खुद पर ध्यान दो, इसको पढ़ने के बाद जिंदगी बदल जायेगी । 2024
दुख जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है यह हमारे जीवन में उतार चढ़ाव लाता है हर कोई अपने जीवन में किसी ना किसी रूप में दुख का अनुभव करता है दुख हमें अंदर तक हिला देता है लेकिन यह याद रखना महत्त्वपूर्ण है कि दुख हमेशा के लिए नहीं रहता जैसे मौसम बदलता है वैसे ही दुख भी आता है और जाता है कुछ लोग दुख में डूब जाते हैं
और खुद को इससे उभरने नहीं देते लेकिन कुछ लोग दुख से सीखते हैं और मजबूत बनकर उभरते हैं कैसे एक सुखी व्यक्ति खुद को दुख में डाल लेता है और दुखी हो जाता है चलिए शुरू करते है आज की कहानी है एक बार की बात है एक नगर में एक लड़का रहता था जिसका नाम राहुल वह अपने जीवन में बहुत निराशा रहता था उसके निराशा का कारण यह था
अब तक वह अपनी जिंदगी में कुछ नहीं कर पाया था उसके माता-पिता उसे रोज ताने मारते थे कि तुम्हारे सभी मित्र कुछ ना कुछ कर रहे हैं लेकिन तुम अभी भी घर बैठे हो दोस्तों के बीच भी अक्सर उसका मजाक उड़ाया जाता था जब वह कहीं जाता तो लोग उससे पूछते थे बेटा तुम क्या कर रहे हो उसे यह बताने में भी शर्म आती थी कि वह कुछ नहीं कर रहा है
धीरे-धीरे उसने रिश्तेदारों से मिलना जुलना कम कर दिया और लोगों से मिलना भी बंद कर दिया वह ज्यादातर समय घर पर ही रहता अकेला रहता और भगवान को कोसता रहता वह अपनी किस्मत को दोष देता था अब उसे अपना जीवन बोझ लगने लगा था कभी-कभी वह सोचता कि कब वह कुछ करने के योग्य बनेगा और फिर वह सोचता कि जिंदा रहने से अच्छा मर जाना ठीक है
एक दिन वह अपने नगर की एक गली से गुजर रहा था तभी उसने देखा कि एक गुरु दुख और परेशानियों पर उपदेश दे रहे हैं वह भी इस भीड़ में सबसे पीछे बैठकर गुरु जी के प्रवचन सुनने लगा गुरु जी कह रहे थे कि दुख हमें जीवन की कीमत समझाता है यह हमें सिखाता है कि सुख कितना अनमोल है दुख एक शिक्षक की तरह है जो हमें जीवन की सच्चाई दिखाता है और हमें जीने का सही तरीका सिखाता है
दुख आने पर आप चाहे तो जिंदगी जीना भी सीख सकते हैं आप चाहे तो कुछ भी हासिल कर सकते हो और अगर चाहे तो एक कोने में बैठकर रो सकते हो इन सभी बातों को राहुल ध्यान से सुन रहा था लेकिन गुरु जी की यह बातें उसे पसंद नहीं आई उसने खड़े होकर कहा कुछ भी सीखने से दुख दूर नहीं होता है इसमें केवल दर्द होता है दुख की पीड़ा अनंत है ऐसा लगता है कि इसके बाद कुछ होने वाला नहीं है
इससे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता है इसके सामने तो मौत भी छोटी लगती है तब गुरुजी ने कहा बेटा तुम्हारा दुख क्या है राहुल ने उनके सामने अपनी सारी व्यथा सुनाई और गुरुजी से पूछा मेरे इन दुखों का क्या समाधान है यह सुनकर गुरुजी मुस्कुराए और बोले तुम उसी दिन मेरे पास आना जब तुम्हारे जीवन में वास्तविक दुख आए
खुद पर ध्यान दो, इसको पढ़ने के बाद जिंदगी बदल जायेगी । 2024
मैं तुम्हारी समस्या का समाधान अवश्य करूंगा यह कहकर गुरु वहां से चले गए राहुल ने सोचा क्या यह मेरा दुख नहीं है तो क्या है मैं जिस दर्द से गुजर रहा हूं वह असली दुख नहीं है क्या मेरा दुख कोई नहीं समझ सकता जब माता-पिता नहीं समझते तो भला यह गुरु क्या समझेंगे दुखों से व्यथित होकर राहुल ने एक फैसला लिया कि अब वह कुछ करेगा उसने एक छोटा व्यवसाय शुरू किया पर उसे सफलता नहीं मिल रही थी
लेकिन उसके घर वाले खुश थे कि वह कुछ कोशिश कर रहा है वह अपने व्यवसाय में लगा रहा और धीरे-धीरे उसे सफलता मिलने लगी फिर उसने रफ्तार पकड़ी और केवल तीन साल के अंदर ही वह एक बड़ा बिजनेसमैन बन गया अब राहुल के आसपास ऐसे कई लोग थे जो उसकी परवाह करते जो उससे प्यार करते थे अब उसके परिवार के सदस्य भी उसकी तारीफ करते करते थकते नहीं थे
दिन प्रतिदिन उसके मित्रों की संख्या बढ़ती जा रही थी अब वह अपनी जिंदगी से बहुत खुश था उसके कुछ दोस्तों ने उसे सलाह दी जब तुम एक बड़ा बिजनेसमैन बनकर बहुत खुश हो तो सोचो तुम्हें कितनी खुशी होगी अगर तुम इस शहर और इस राज्य के सबसे बड़े बिजनेसमैन बन जाते कितने लोग आपसे जुड़ना चाहेंगे लोग तुम्हारे आगे पीछे घूमेंगे तुम्हारी कितनी बड़ी ख्याति होगी और स्वयं राजा भी आपसे दोस्ती करना चाहेंगे जरूरत पढ़ने पर आपसे पैसे भी उधार लेंगे दोस्तों की यह बात राहुल के मन में बैठ गई
अब वह और पैसे कमाने की कोशिश करने लगा लेकिन उसे यह सब बहुत ही जल्दी चाहिए था वह समय बर्बाद नहीं करना चाहता था वह अधिकांश समय इन चीजों को प्राप्त करने में लगाने लगा इसलिए वह ऐसे काम करने लगा जो सही नहीं थे उसने पैसे उधार लेना शुरू कर दिया अपने दोस्तों से पैसे की मंत्र और अधिक मुनाफा कमाने के लालच में वह अपने माल में मिलावट करने लगा
उसने अन्य व्यापारियों के खिलाफ भी साजिश रची और उन्हें धमकाया जैसा उसके दोस्त कहते थे वैसा ही करता था वह इन तरीकों से ज्यादा पैसा कमा रहा था पर अब उसके जीवन में पहले जैसा चयन नहीं रहा उसकी मानसिक शांति गायब हो गई थी और वह रात को सो नहीं पाता वह विचारों में रहता था
वह सब कुछ कर रहा था पर उसे किसी चीज में सुख नहीं मिल रहा था एक दिन राहुल अपनी गाड़ी से कहीं जा रहा था तभी रास्ते में उसे गुरु का आश्रम दिखाई दिया वह गुरु के पास जाकर बोला गुरुजी आपने मुझे कहा था जब कभी जीवन में सच्चा दुख आए तो चले आना अब मैं बहुत दुखी हूं मेरी नींद हराम हो गई है मुझे कहीं भी शांति नहीं मिल रही है
इस प्रकार राहुल ने अपनी सारी समस्याएं गुरु जी को बताई गुरु ने कहा जब तुम पहली बार मुझे मिलने आए थे तब भी तुम किसी दुख में थे तुमने उस दर्द से क्या सीखा राहुल ने कहा सिर्फ सोने और चिंता करने से कुछ नहीं होता अपनी दृष्टि को सच करने के लिए मेहनत भी जरूरी है और सिर्फ मेहनत करने से भी कुछ नहीं होता परिणाम भी मिलना चाहिए जब आपको लगे कि आपका लक्ष्य हासिल नहीं होने वाला है
खुद पर ध्यान दो, इसको पढ़ने के बाद जिंदगी बदल जायेगी । 2024
तब राह में चाहे कितनी भी मुश्किलें आए मन कितना भी निराश क्यों ना हो खुद पर आत्मविश्वास करना चाहिए कि मैं जो भी कर रहा हूं उसमें अवश्य सफल होऊंगा लोग केवल सफल लोगों का सम्मान करते हैं कोई कितना भी अच्छा क्यों ना हो वह हमेशा लोगों की नजरों में बोझ बना रहता है यह सब सुनकर गुरु मुस्कुराए और बोले यह वास्तव में दुख नहीं है
जब तुम्हारे जीवन में वास्तविक दुख आए तब मेरे पास आना मैं उसे ठीक कर दूंगा राहुल ने जाते समय गुरु को सोने के सिक्कों से भरा घड़ा भेंट किया घड़ा देखकर गुरु ने कहा यह मेरे किसी काम का नहीं है इसे पेड़ के नीचे गड्ढा खोदकर गाड़ दो राहुल ने घड़े को पेड़ के नीचे दबा दिया जैसा कि गुरु ने बताया उसने वैसा ही किया और वहां से चला गया कुछ दिनों तक उसका कारोबार ठीक चल रहा था
लेकिन व्यापार के गलत तरीकों के कारण धीरे-धीरे उसे व्यापार में घाटा होने लगा उसकी सारी दौलत धीरे-धीरे खत्म होने लगी और एक दिन ऐसा भी आया जब उसके पास कुछ भी नहीं बचा और उस पर कर्ज का बोझ चढ़ गया परंतु वह निश्चित था क्योंकि उसने सारा कर्ज अपने दोस्तों से लिया था उसने सोचा था कि उसके दोस्त बुरे वक्त में उसके साथ खड़े रहेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ
जैसे ही बुरा वक्त आया दोस्त पहले उससे कर्ज मांगने लगे अगर उसने कर्ज नहीं लौट आया तो उन्होंने उसे जान से मारने की धमकी भी दी उसके सभी शुभ चिंतक और प्रिये जन उससे दूर हो गए उसके दोस्त जो उसके साथ मस्ती किया करते थे अब उससे दूर भाग रहे थे उसका परिवार उसकी गलतियां और कमियां गिनने लगा उसकी सारी संपत्ति नीलाम हो गई और उसके पास कुछ भी ना बचा जब उसने अपने पिता से मदद मांगी तो पिता ने कहा मेरे पास थोड़ी सी संपत्ति है
अगर मैं तुम्हें दे दूंगा तो तुम्हारी मां को क्या कहूंगा यह संपत्ति हमारा अंतिम सहारा है राहुल के मन में गहरा दुख छा गया उसके आसपास कोई नहीं था जो उसके दुख को समझ सके लोगों के इस विश्वासघात के कारण वह अंदर से टूट चुका था वह सोचने लगा कि अब जीने का कोई मतलब नहीं है अब मौत ही मेरा सहारा है वह आत्महत्या करने के लिए पहाड़ी पर जा रहा था
तब उसे याद आया कि गुरु ने उससे कहा था जब तुम्हारे जीवन में वास्तविक दुख हो तब मेरे पास आना राहुल गुरु के पास गया और अपनी सारी व्यथा सुनाई आखों में आंसू लिए उसने कहा गुरुदेव मेरे दुख का निवारण कीजिए तब गुरु ने कहा जब जीवन में असली दुख आए तब मेरे पास आना मैं इसे जरूर ठीक करूंगा पहले आप मुझे बताओ कि आपने अपने दुख से क्या सीखा
राहुल ने कहा मैंने यह सीखा कि जो लोग हमारे जीवन में आते हैं वे हमारी सफलता और प्रगति के कारण हमें धोखा जरूर देंगे क्योंकि बुरे समय में वे हमारे साथ नहीं खड़े होंगे वे अच्छे समय में ही हमारा फायदा उठाएंगे और बुरे समय में हमें छोड़ देंगे उन लोगों पर ही भरोसा करें जो हमारे बुरे समय में हमारे साथ खड़े रहते हैं लेकिन ऐसे लोग बहुत कम होते है
जिनके पास हैं उन्हें उनकी सराहना करनी चाहिए उनका अपमान नहीं करना चाहिए कभी भी किसी के खिलाफ साजिश नहीं रचनी चाहिए अपना काम ईमानदारी और धैर्य से करें और कभी लालची ना बने अपने सारे दुख दर्द और अनुभव बयान करने के बाद राहुल गुरुजी के सामने आंखों में आंसू लिए बैठ गया कुछ देर बाद गुरुजी उठे और पेड़ के नीचे गड्ढा खोदा और वह घड़ा निकाला जो सोने के सिक्कों से भरा हुआ था
खुद पर ध्यान दो, इसको पढ़ने के बाद जिंदगी बदल जायेगी । 2024
उन्होंने राहुल को देकर कहा मेरे पास तब आना जब तुम्हारे जीवन में वास्तविक दुख हो राहुल ने अपने गुरु को धन्यवाद दिया और उन्हें प्रणाम करके चला गया उसने पैसों से एक छोटा सा व्यवसाय शुरू किया अब वह छोटा व्यापारी बनकर भी खुश था उसने पूरी लगन और ईमानदारी से कारोबार किया और जल्द ही वह अपने शहर का एक बड़ा व्यापारी बन गया उसका जीवन सुख सुविधाओं से भरा हुआ था लेकिन जीवन में दुख कभी भी आ सकता है
राहुल के जीवन में भी दुख आया उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई वे दोनों एक ही दिन मर गए राहुल अपने माता-पिता से बहुत प्यार करता था इसलिए उनके निधन से उसे गहरा सदमा लगा उसने अपने माता-पिता का अंतिम संस्कार किया शव जलते हुए देखा तो उसका मन बेचैन हो उठा उसके मन में कई सवाल उठने लगे वह घर वापस आ गया उसने अपने माता-पिता के घर और संपत्ति को देखा जिसके लिए उसके पिता हमेशा लड़ते रहे
आज वह खाली पड़ा है जिन्होंने इसकी देखभाल की इसके लिए प्यार किया वे इस दुनिया से चले गए उसके पिता ने जो कुछ कमाया वह सब यहीं रह गया एक दिन पहले तक उसके पिता मारपीट करते थे किसी के साथ अपनी संपत्ति के लिए आज वे खुद इस दुनिया से चले गए उसका मन ऐसे अनेक विचारों में भटक रहा था वह अंदर से अकेला और डरा हुआ महसूस कर रहा था
वह खाली महसूस कर रहा था उसे लगा कि कुछ तो है परंतु वह समझ नहीं सका इसलिए वह गुरु के पास गया उसे देखकर गुरु ने कहा क्या जीवन में कोई दुख है राहुल ने कहा वैसे तो जीवन में कोई दुख नहीं है सब कुछ अच्छा चल रहा है लेकिन आज मेरे माता पिता का देहांत हो गया है मैं इस घटना से बेहद दुखी और परेशान हूं गुरु ने कहा इसमें दुखी होने की क्या बात है एक दिन सबको मरना है मुझे भी मरना है तुझे भी मरना है
शायद तुम कल ही मर जाओ या आज भी मर सकते हो राहुल ने कहा क्या कह रहे हो गुरु जी मैं भी मर जाऊंगा लेकिन मैं अभी जवान हूं गुरु ने कहा सभी इस भ्रम में जी रहे हैं कि मृत्यु केवल बूढ़ों को आती है लेकिन ऐसा नहीं है जवान भी मर जाते हैं बच्चे भी मर जाते हैं मौत का उम्र से कोई लेना देना नहीं है यह सभी को प्रभावित करती है गुरु की यह बातें राहुल के मन में बैठ गई और वह चुपचाप चला गया लेकिन उसका मन अभी भी बेचैन था
वह खाली महसूस कर रहा था वह सारा दिन अपने भीतर ही सोचता रहता कि वह कौन है वह इस दुनिया में क्यों आया है इस जीवन का लक्ष्य क्या है ऐसे कई सवाल उसके दिमाग में लगातार उठ रहे थे लेकिन उन्हें अपने किसी भी सवाल का जवाब नहीं मिल रहा था और उसका दुख दिन दिन बढ़ता ही जा रहा था कुछ दिन बाद वह फिर से गुरु के पास पहुंचा और बोला हे गुरुदेव मैं बहुत दुखी हूं क्योंकि मैं यह नहीं जान पा रहा हूं कि मैं कौन हूं और मैं इस दुनिया में क्यों आया हूं
यह सुनकर गुरु मुस्कुराए और बोले आज आपके जीवन में पहली बार सच्चा दुख उत्पन्न हुआ है यह वास्तव में दुख कहलाने लायक है हम नहीं जानते कि हम कौन हैं और हम क्यों आए हैं राहुल ने अपने गुरु से कहा कि उसकी दुर्दशा दूर करें गुरु ने कहा हम सभी इंसान हैं जीवन भर संग्रह करते रहते हैं राहुल ने कहा कोई भी इंसान अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा सकता वह सिर्फ अकेला ही जाता है
मेरे माता-पिता भी अपने साथ कुछ भी लेकर नहीं गए धन संपत्ति वैभव सब कुछ यहां पर छोड़कर गए गुरु ने कहा अब मेरी बात ध्यान से सुनो इस संसार में हमें जो संग्रह करना चाहिए वह हम नहीं करते बल्कि चीजें हमारे सामने होती हैं लेकिन हम उन्हें देखने की कोशिश नहीं करते हमें इस दुनिया में जो कुछ भी इकट्ठा करना है वह हम खुद हैं हमें खुद को जुटाना होगा ताकि जब हम मरे तो हम एकजुट हो सके और खुद को पहचानने में सक्षम हो सके हम अंदर बैठे हुए हैं हम प्यार नफरत गुस्सा ईर्ष्या में बैठे हुए हैं
कर्तव्य धन स्थिति प्रतिष्ठा सम्मान पहचान धर्म जाति सैकड़ों हजारों ऐसी चीजों और इच्छाओं में हम विजित है और टुकड़ों में जीवन जी रहे हैं इस विभाजन के कारण हमारी चेतना कभी एक नहीं हो सकती हमारी चेतना की शक्ति बिखरी हुई है इसलिए हमारे पास इतना समय नहीं है इतनी ऊर्जा नहीं है कि हम मर सकते हैं और अपने भीतर देख सकते हैं
वास्तव में धन सम्मान और सुविधाओं के अभाव को लोग दुख समझते हैं और जीवन भर के लिए इसे दुख का कारण बताते रहते हैं और समाधान खोजने का प्रयास करते रहते हैं उन्हें अपना समाधान कभी नहीं मिलेगा क्योंकि जिसे लोग दुख कहते हैं वह वास्तविक दुख नहीं है यह सिर्फ एक आदमी की इच्छा है उसकी इच्छा कभी पूरी नहीं होती इसीलिए व्यक्ति को कभी उनके प्रश्नों का समाधान नहीं मिलता
इसलिए इन सबसे परे यदि आप अपने दुखों का परम समाधान चाहते हैं तो सबसे पहले खुद को समेटना होगा इस दुनिया से अपनी ऊर्जा वापस ले लो और इकट्ठा करो अपने आप पर ध्यान केंद्रित करो स्वयं पर ध्यान दो अपने मृत्यु से पहले अपने आप को जानने की कोशिश करो बिखर मत राहुल ने कहा गुरु जी क्या हमें संसार को छोड़ देना चाहिए
हमारी सभी इच्छाओं को मार देना चाहिए किसी से प्रेम नहीं करना चाहिए धन संग्रह नहीं करना चाहिए सम्मान की आशा छोड़ देनी चाहिए गुरु ने कहा भावनाओं और इच्छाओं से बिखरे हुए मनुष्य में से बाहर निकल आओ जैसे कोई पत्थर पहाड़ से अलग होकर गिरता है जब वह गिरता है तो पर्वत का कोई नियंत्रण नहीं होता सिवाय देखने या परेशान होने के ठीक वैसे ही बिखरे हुए मनुष्य की इच्छाएं बेकाबू और दर्दनाक होती हैं
उसका अनियंत्रित मन इच्छा करता रहता है और कल्पना करता रहता है और यह दुख देता है लेकिन जब एक व्यक्ति अपने मन को एकत्र करता है तो वह जो कुछ भी करता है वह उसके नियंत्रण में होता है फिर उसकी इच्छाएं भी नियंत्रित होती हैं राहुल ने कहा आपने मेरा असली समाधान कर दिया है अब मैं खुद को तलाशने की कोशिश करूंगा गुरु ने कहा मानव शरीर में बहुत ऊर्जा और शक्ति है
लेकिन यह फालतू के कामों में बटा हुआ है बेकार की बातों में लगा हुआ है यह एक बहुत ही शक्तिशाली मशीन की तरह है और वह बिना सोच समझे अपनी शक्ति बर्बाद कर रहा है बिना किसी नियंत्रण के इसीलिए इस शक्ति पर ध्यान दें अपनी चेतना को इकट्ठा करें राहुल को अपने प्रश्नों का उत्तर मिल गया उसने अपने गुरु का धन्यवाद किया और चला गया
दोस्तों कैसी लगी आपको आज की यह कहनी हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह पसंद आई होगी इस कहानी से आपने क्या सीखा हमें कमेंट करके जरूर बताएं और यह आर्टिकल अपने उन दोस्तों को भेजे जिनको इसकी जरूरत है मिलते हैं ऐसे ही एक और कहानी के साथ तब तक के लिए अपना ख्यालख्याल रखे धन्यवाद
खुद पर ध्यान दो, इसको पढ़ने के बाद जिंदगी बदल जायेगी । 2024