
सोच बदलो – जिंदगी खुद बदल जाएगी – The Story Of The Beggar || Motivational Story 2025
किसी शहर के रेलवे स्टेशन पर एक भिखारी रहता था वह वहां आने जाने वाली रेलगाड़ियों में बैठे यात्रियों से भीख मांगकर अपना पेट भरता था एक दिन जब वह भीख मांग रहा था तो सूट बूट पहने एक लंबा सा व्यक्ति उसे दिखा।
उसने सोचा कि यह व्यक्ति बहुत अमीर लगता है इससे भीख मांगने पर यह मुझे जरूर अच्छे पैसे देगा वह उस लंबे व्यक्ति से भीख मांगने लगा भिखारी को देखकर उस लंबे व्यक्ति ने कहा तुम हमेशा मांगते ही रहते हो क्या कभी किसी को कुछ देते भी हो भिखारी बोला साहब मैं तो भिखारी हूं हमेशा लोगों से मांगता ही रहता हूं मेरी इतनी औकात कहां कि किसी को कुछ दे सकूं।
लंबा व्यक्ति बोला जब किसी को कुछ दे नहीं सकते तो तुम्हें मांगने का भी कोई हक नहीं है मैं एक व्यापारी हूं और लेनदेन में ही विश्वास करता हूं अगर तुम्हारे पास मुझे कुछ देने को हो तभी मैं तुम्हें बदले में कुछ दे सकता हूं इतना कहने के बाद वह लंबा आदमी ट्रेन में बैठकर चला गया इधर भिखारी उसकी कही गई बात के बारे में सोचने लगा।
उस लंबे व्यक्ति के द्वारा कही गई बात उस भिखारी के दिल में उतर गई वह सोचने लगा कि शायद मुझे भीख में अधिक पैसा इसीलिए नहीं मिलता क्योंकि मैं उसके बदले में किसी को कुछ दे नहीं पाता हूं लेकिन मैं तो भिखारी हूं किसी को कुछ देने लायक भी नहीं हूं लेकिन कब तक मैं लोगों को बिना कुछ दिए केवल मांगता ही रहूंगा बहुत सोचने के बाद उस भिखारी ने निर्णय किया कि जो भी व्यक्ति उसे भीख देगा उसके बदले में वह भी उस व्यक्ति को कुछ जरूर देगा।
लेकिन अब उसके दिमाग में यह प्रश्न चल रहा था कि वह खुद भिखारी है तो भीख के बदले में वह दूसरों को क्या दे सकता है इस बात को सोचते हुए दो दिन हो गए लेकिन उसे अपने प्रश्न का कोई उत्तर नहीं मिला था तीसरे दिन जब वह स्टेशन के पास बैठा हुआ था तभी उसकी नजर कुछ फूलों पर पड़ी जो स्टेशन के आसपास के पौधों पर खिल रहे थे उसने सोचा क्यों ना मैं लोगों को भीख के बदले कुछ फूल दे दिया करूं।
उसको अपना यह विचार अच्छा लगा और उसने वहां से कुछ फूल तोड़ लिए अब वह ट्रेन में भीख मांगने पहुंचा अब जब भी कोई उसे भीख देता तो उसके बदले में वह भीख देने वाले को कुछ फूल दे देता उन फूलों को लोग खुश होकर अपने पास रख लेते थे अब भिखारी रोज फूल तोड़ता और भीख के बदले में उन फूलों को लोगों में बांट देता था कुछ ही दिनों में उसने महसूस किया कि अब उसे बहुत अधिक लोग भीख देने लगे हैं।
वह स्टेशन के पास के सभी फूलों को तोड़ लाता था जब तक उसके पास फूल रहते थे तब तक उसे बहुत से लोग भीख देते थे लेकिन जब फूल बांटते बांटते खत्म हो जाते तो उसे भीख भी नहीं मिलती थी अब रोज ऐसा ही चलता रहा एक दिन जब वह भीख मांग रहा था तो उसने देखा कि वही लंबा व्यक्ति ट्रेन में बैठा है।
जिसकी वजह से उसे भीख के बदले फूल देने की प्रेरणा मिली थी वह तुरंत उस व्यक्ति के पास पहुंच गया और भीख मांगते हुए बोला आज मेरे पास आपको देने के लिए कुछ फूल है आप मुझे भीख दीजिए तो बदले में मैं आपको कुछ फूल दूंगा उस लंबे व्यक्ति ने उसे भीख के रूप में कुछ पैसे दे दिए और भिखारी ने कुछ फूल उसे दे दिए उस लंबे व्यक्ति को बात बहुत पसंद आई।
वह बोला वाह क्या बात है आज तुम भी मेरी तरह एक व्यापारी बन गए हो इतना कहकर फूल लेकर वह लंबा व्यक्ति अपने स्टेशन पर उतर गया लेकिन उस लंबे व्यक्ति द्वारा कही गई बात एक बार फिर से उस भिखारी के दिल में उतर गई वह बार-बार उस लंबे व्यक्ति के द्वारा कही गई बात के बारे में सोचने लगा और बहुत खुश होने लगा।
उसकी आंखें अब चमकने लगी उसे लगने लगा कि अब उसके हाथ सफलता की वह चाबी लग गई है जिसके द्वारा वह अपने जीवन को बदल सकता है वह तुरंत ट्रेन से नीचे उतरा और उत्साहित होकर बहुत तेज आवाज में ऊपर आसमान की तरफ देखकर बोला मैं भिखारी नहीं हूं मैं तो एक व्यापारी हूं मैं भी अमीर बन सकता हूं
लोगों ने उसे देखा तो सोचा कि शायद यह भिखारी पागल हो गया है और अगले दिन से वह भिखारी उस स्टेशन पर फिर कभी नहीं दिखा लेकिन छ महीने बाद इसी स्टेशन पर दो व्यक्ति सूट बूट पहने हुए यात्रा कर रहे थे दोनों ने एक दूसरे को देखा तो उनमें से एक ने दूसरे से हाथ मिलाया और कहा क्या आपने मुझे पहचाना दूसरा व्यक्ति बोला नहीं।
क्योंकि मेरे हिसाब से हम लोग पहली बार मिल रहे हैं पहला व्यक्ति बोला नहीं आप याद कीजिए हम पहली बार नहीं बल्कि तीसरी बार मिल रहे हैं दूसरा व्यक्ति बोला मुझे याद नहीं वैसे हम पहले दो बार कब मि थे अब पहला व्यक्ति मुस्कुराया और बोला हम पहले भी दो बार इसी ट्रेन में मिले थे मैं वही भिखारी हूं जिसको आपने पहली मुलाकात में बताया कि मुझे जीवन में क्या करना चाहिए।
और दूसरी मुलाकात में बताया कि मैं वास्तव में कौन हूं दूसरा व्यक्ति मुस्कुराया और अचंभित होते हुए बोला ओ याद आया तुम वही भिखारी हो जिसे मैंने एक बार भीख देने से मना कर दिया था और दूसरी बार मैंने तुमसे कुछ फूल खरीदे थे लेकिन आज तुम यह सूट बूट में कहां जा रहे हो और आजकल क्या कर रहे हो।
तब पहला व्यक्ति बोला हां मैं वही भिखारी हूं लेकिन आज मैं फूलों का एक बहुत बड़ा व्यापारी हूं और इसी व्यापार के काम से ही दूसरे शहर जा रहा हूं कुछ देर रुकने के बाद वह फिर बोला आपने मुझे पहली मुलाकात में प्रकृति का वह नियम बताया था जिसके अनुसार हमें तभी कुछ मिलता है जब हम कुछ देते हैं।
लेनदेन का यह नियम वास्तव में काम करता है मैंने यह बहुत अच्छी तरह महसूस किया है लेकिन मैं खुद को हमेशा भिखारी ही समझता रहा इससे ऊपर उठकर मैंने कभी सोचा ही नहीं और जब आपसे मेरी दूसरी मुलाकात हुई तब आपने मुझे बताया कि मैं एक व्यापारी बन चुका हूं अब मैं समझ चुका था कि मैं वास्तव में एक भिखारी नहीं बल्कि व्यापारी बन चुका हूं।
सोच बदलो – जिंदगी खुद बदल जाएगी – The Story Of The Beggar || Motivational Story 2025
मैंने समझ लिया था कि लोग मुझे इतनी भीख क्यों दे रहे हैं क्योंकि वह मुझे भीख नहीं दे रहे थे बल्कि उन फूलो का मूल्य चुका रहे थे सभी लोग मेरे फूल खरीद रहे थे क्योंकि इससे सस्ते फूल उन्हें कहां मिलते मैं लोगों की नजरों में एक छोटा व्यापारी था लेकिन मैं अपनी नजरों में एक भिखारी ही था आपके बताने पर मुझे समझ आ गया कि मैं एक छोटा व्यापारी हूं।
मैंने ट्रेन में फूल बांटने से जो पैसे इकट्ठे किए थे उनसे बहुत से फूल खरीदे और फूलों का व्यापारी बन गया यहां के लोगों को फूल बहुत पसंद है और उनकी इसी पसंद ने मुझे आज फूलों का बहुत बड़ा व्यापारी बना दिया दोनों व्यापारी अब खुश थे और स्टेशन आने पर साथ उतरे और अपने अपने व्यापार की बात करते हुए आगे बढ़ गए।
दोस्तों इस कहानी से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है कहानी में लंबा व्यापारी गिव एंड टेक के नियम को बहुत अच्छी तरह जानता था दुनिया के सभी बड़े व्यापारी इसी जीवन के नियम का उपयोग करके सफल हुए हैं इस फार्मूले को उसने भिखारी को भी बताया भिखारी ने इस प्राकृत नियम को अपना लिया और इसका असर उसके जीवन में साफ दिखाई देने लगा।
उसने अपनी सोच बदली और उसकी जिंदगी बदल गई यह कहानी हमें बताती है कि हम यदि अपनी सोच बदल ले तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है यदि हम खुद को छोटा समझते रहेंगे तो हम हमेशा छोटे ही बने रहेंगे बड़ा बनने के लिए हमें अपनी सोच को बदलना होगा और खुद के बारे में बड़ा सोचना होगा।
कहानी का सार यह है कि सफलता आपकी सोच में छुपी होती है खुद का आत्मसम्मान जगाए अपनी सोच को बड़ा बनाइए और देखिए कैसे आप सफलता के शिखर पर पहुंच जाते हैं।
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