ईरान कितना ताकतवर है क्या ये इजराइल जैसे दुसमान को टक्कर दे सकता है ? जानिए 2024
ईरान यानी एक ऐसा देश जिसकी ताकत और सत्ता के आगे अमेरिका भी घुटने टेकता दिखाई देता है जिसके रुतबे और दबदबे के आगे इजराइल भी नतमस्तक है।
ईरान अगर चाह ले तो वह आधी दुनिया की इकॉनमी को चंद घंटों में ही मिट्टी में मिला सकता है क्योंकि वह जहां पर स्थित है उसी रास्ते से दुनिया का 40 फीसदी तेल और माल सप्लाई होता है ईरान दुनिया की 21वीं सबसे बड़ी सैन्य ताकत है और वह आज दुनिया के सुपर पावर को टक्कर दे रहा है यह तब है जब अमेरिका ने ईरान पर तमाम तरह की पाबंदियां लगा रखी हैं।
ईरान की मौजूदा सरकार की स्थापना ही इजराइल का विरोध और अमेरिका के वर्चस्व को खत्म करने के लिए की गई थी 1970 तक ईरान में पहलवी डायनेस्टी का राज था जिसे अमेरिका और इजराइल का समर्थन हासिल था और उस दौर में ईरान अमेरिका का सबसे करीबी दोस्त माना जाता था 1948 में जब इजराइल की स्थापना हुई तो जिस मुस्लिम देश ने सबसे पहले इजराइल को मान्यता दी थी उसका नाम ईरान था।
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ईरान के विचारों और उसके अमेरिका समर्थक रवैए को वहां की जनता पसंद नहीं करती थी इसी बात को लेकर वहां की जनता और सरकार के बीच में टकराव पैदा हुआ जिसने ईरानी क्रांति को जन्म दिया 1979 में ईरानी क्रांति के नतीजे में पहलवी राजवंश का अंत हो गया और ईरान में एक नई सरकार का गठन हुआ जो आज इस्लामी रिपब्लिक ऑफ ईरान कहलाती है।
ईरान की सरकार को बनाने में भारत के मशहूर आलिम सैयद अहमद मुसाब के पोते रूहुल्लाह खाम का बड़ा योगदान रहा उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में जन्मे सैयद अहमद मुसाब के पोते रूहुल्लाह खाम ने ही ईरानी क्रांति का नेतृत्व किया था और वह ईरान के पहले सुप्रीम लीडर थे रूहुल्लाह खाम के सत्ता में आने के बाद ईरान अब कामयाबी की ओर अग्रेसर था।
लेकिन यह कामयाबी अमेरिका और उसके विरोधियों को पसंद ना थी और य यही वजह है कि जब उन्होंने अपने परमाणु प्रोजेक्ट की शुरुआत की तो उनके विरोधियों ने उनके वैज्ञानिकों को मरवाना शुरू कर दिया अमेरिका कभी नहीं चाहता था कि ईरान एक परमाणु शक्ति बने इसलिए उसने ईरान पर तमाम तरह की पाबंदियां लगा दी लेकिन यह पाबंदियां ईरान के हौसलों को कम नहीं कर पाई और आज कुछ मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि ईरान दुनिया का दूसरा मुस्लिम देश है जिसके पास परमाणु हथियार मौजूद हैं।
ईरान की सबसे बड़ी ताकत उसकी जियोग्राफी है वह जहां पर मौजूद है वह इलाका तेल और खनिज पदार्थों से भरा पड़ा है और यहां तक कि दुनिया का 40 फीसदी तेल इसी रास्ते से होकर यूरोप और अन्य देशों तक पहुंचता है यह रास्ता इतना अहम है कि अमेरिका ने इस रास्ते पर अपने जंगी बेड़े तैनात कर रखे हैं ताकि कोई देश तेल की सप्लाई लाइन को नुकसान ना पहुंचा सके।
Fact about iran
क्योंकि अगर पश्चिम सहित यूरोपी देशों को तेल नहीं मिला तो वह एक दिन भी जिंदा नहीं रह पाएंगे और तेल कितनी बड़ी ताकत है इसका खौफ शाह फैसल अमेरिका को पहले ही दिखा चुके हैं कहा जाता है कि लेबनान की तंजीम हिज्बुल्लाह और फिलिस्तीनी संगठन हमास को ईरान ही हथियार सप्लाई करता रहा है।
हमास पिछले कई दशकों से ईरानी मिसाइलों का इस्तेमाल करता रहा है दुनिया आज भी हैरत में है कि एक शिया देश किसी सुन्नी संगठन की मदद कैसे कर सकता है लेकिन बात जब फिलिस्तीन की हो बात जब किबलाए अव्वल को बचाने की हो तो हर मसलक और हर जात का फर्क छोटा पड़ जाता है ईरान एक छोटा सा देश है लेकिन उसका मुकाबला अमेरिका जैसी बड़ी ताकत के साथ किया जाता है।
जबकि ईरान का बजट सिर्फ 6 अरब 30 करोड़ डॉलर और अमेरिका का रक्षा बजट 587 अरब डॉलर है यहां तक कि सऊदी अरब ईरान से नौ गुना ज्यादा पैसा हथियारों और युद्ध पोतों पर खर्च करता है ईरान के पास 50 से अधिक रडार सिस्टम मौजूद हैं ईरान के पास मौजूद असर रडार द्वारा समंदर में 2 किलोमीटर तक दुश्मन का पता लगाया जा सकता है।
ईरान दुनिया का तीसरा देश है जिसके पास जीटीएल टेक्नोलॉजी मौजूद है ईरान अपने अधिकतर हथियारों का निर्माण खुद करता है उसके बनाए गए हथियार आज दुनिया भर में इस्तेमाल किए जाते हैं ईरान के पास दुनिया के सबसे खतरनाक फौजी सैनिक मौजूद हैं ईरान की सेना में फौजियों की तादाद 6700 हजार से अधिक है ईरान ने एक स्पेशल फोर्स भी तैयार कर रखी है जिसे इंकलाबी गार्ड के नाम से जाना जाता है।
Iran isriel america
कहा जाता है कि जब किसी मैदान में ईरान का यह फौज उतारता है तो वहां पर राख के ढेर के सिवाय कुछ नहीं बचता ईरान ने पिछले 30 सालों में टेक्नोलॉजी के मामले में खुद को इतना मजबूत कर लिया है कि इजराइल की भी हिम्मत नहीं कि वह सामने से उसका मुकाबला कर सके ईरान के पास 551 एयरक्राफ्ट 4000 टैंक 21 युद्धपोत 19 पनडुब्बियों और 65000 बख्तरबंद गाड़ियां मौजूद हैं जो किसी देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए काफी है।
इतनी पाबंदियों के बावजूद ईरान आज मिस्र और इजराइल के बाद मिडिल ईस्ट की तीसरी सबसे बड़ी ताकतवर शक्ति बन चुका है ईरान ने पिछले दिनों शॉर्ट रेंज और लॉन्ग रेंज की ऐसी मिसाइलें तैयार कर ली हैं जिनसे 300 किलोमीटर से लेकर 3000 किलोमीटर तक हमला किया जा सकता है कहा जाता है कि ईरान के मिसाइल सिस्टम को ताकतवर बनाने में रूस भी उसकी मदद कर रहा है और उसकी वजह यह है कि रूस भी ईरान की तरह अमेरिका विरोधी देश है
2016 में रूस ने ईरान को एक रडार टेक्नोलॉजी दी थी जिसके जरिए ईरान पर होने वाले किसी हमले को रास्ते में ही नाकाम किया जा सकता है अमेरिकी खुफिया निदेशालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक ईरान मिडिल ईस्ट का अकेला देश है जिसके पास सबसे ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें हैं ईरान के पास हाइपरसोनिक मिसाइलें भी हैं जो साउंड की स्पीड से पांच गुना तेजी से हमला करने की क्षमता रखती हैं यह वही मिसाइलें हैं जिनसे पिछले दिनों ईरान ने इजराइल पर हमला किया था।
ईरान में कुछ ऐसे संगठन भी हैं जिनका निर्माण सिर्फ अमेरिका और इजराइल का मुकाबला करने के लिए किया गया है हालांकि ईरान के रिश्ते मुस्लिम देशों के साथ बहुत ज्यादा अच्छे नहीं रहे हैं क्योंकि उसने अतीत में ऐसी गलतियां की हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता ईरान ने खुद को ताकतवर बनाने के लिए रिवर्स इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया और दुनिया की सबसे बेहतरीन टेक्नोलॉजी को अडॉप्ट किया।
यही वजह है कि उसके बनाए गए हथियार आज दुश्मनों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं ईरान को अगर आज किसी मुस्लिम देश का साथ मिल जाए तो वह पूरी दुनिया की भौगोलिक स्थिति को बदल सकता है ईरान जिस तरह से मुखर होकर फिलिस्तीन की आजादी की लड़ाई लड़ रहा है इससे सभी मुस्लिम देशों को सबक लेना चाहिए अमेरिका और इजराइल ईरान को इसलिए भी खतरे के रूप में देखते हैं।
क्योंकि इस देश का असर राक शाम लेबनान गाजा और यमन के बड़े इलाकों तक फैला हुआ है तुर्की और कतर जैसे देश भी ईरान के करीबी दोस्तों में से हैं वहीं दूसरी तरफ भारत और चीन जैसे देश भी ईरान की मदद करने को तैयार रहते हैं भारत तेल और गैस बड़े पैमाने पर ईरान से ही खरीदता है ईरान ही वह देश है जिसमें इतनी ताकत है कि वह खुलेआम इजराइल पर हमला कर सकता है।
57 मुस्लिम देशों में अभी तक किसी में सीधे तौर पर इजराइल पर हमला करने की हिम्मत पैदा नहीं हुई यह अलग बात है कि सभी मुस्लिम देश खामोशी से फिलिस्तीन की मदद कर रहे हैं लेकिन जो जुर्रत ईरान दिखा रहा है वह तारीख के सुनहरे पन्नों में लिखने के काबिल है अगर सभी मुस्लिम देश एकजुट होकर विरोधी शक्तियों का मुकाबला करें तो बातिल ताकतों को चंद लम्हों में ही घुटने पर लाया जा सकता है।
वैसे ईरान के बारे में आपके क्या विचार हैं नीचे कमेंट में जरूर बताएं क्या आप मानते हैं कि सभी मुस्लिम देशों को एकजुट होकर काम करना चाहिए?
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