क्या सच में whatsapp भारत को छोड़कर जा रहा है? क्यो सरकार की बाते नही मान रहा whatsapp क्या है पूरा मामला
क्या सच में whatsapp भारत को छोड़कर जा रहा है? क्यो सरकार की बाते नही मान रहा whatsapp क्या है पूरा मामला 24th अप्रैल 2024 को whatsapp ने दिल्ली हाईकोर्ट को ओपनली ये धमकी दे ही है के it Rule 2021 के रूल नंबर फोर से व्हाट्सएप जरा भी सहमत नही है क्योंकि ये तानाशाही को इंडिया में ला रहा है और इंडियंस की राइट टू प्राइवेसी को खत्म कर देगा
इसका मतलब ये हुआ की हमारे जो मैसेज व्हाट्सएप आज तक खुद नही पढ़ सकता था अब उसे सरकार जब चाहे तब पढ़ सकती है
इस रूल में बेसिकली फर्स्ट ओरिजनेटर यानी कि मैसेज को लिखकर या शेयर करने वाले, भेजने वाले का नाम सरकार के मांगने पर देना पड़ेगा जिसके whatsapp बिलकुल खिलाफ है और अगर इस रुल को हटाया नहीं गया
तो व्हाट्सएप देश से चले जाने की धमकी दे रहा है क्योंकि ये रुल भारत के नागरिकों Right To Privacy को खत्म कर रहा है
जैसे थाईलैंड में होता है जहां पर एक आदमी को रॉयल फैमिली को इंशल्ट करने वाले सोशल मीडिया पोस्ट शेयर करने के लिए 50 सालों की सजा मिल गई सिर्फ एक पोस्ट के लिए 50 सालों की सजा चाइना में भी ऐसा ही लॉ है
वहां पर एक कंस्ट्रक्शन सुपरवाइजर को सिर्फ इस बात के लिए पांच दिनों की जेल हुई क्योंकि उसने अपने दोस्तों के एक प्राइवेट चैट ग्रुप में चाइना के टॉप गवर्नमेंट ऑफिसर और एक सेलेब्रिटी के अफेयर होने को लेकर एक मीम भेजा था
तो क्या इस इसका मतलब अब से हमारी गवर्नमेंट भी हमारी सारी बातों को मॉनिटर करेगी और उनके खिलाफ अगर हम कुछ भी गलत बोलते हैं तो हम पर भी एक्शन लिया जाएगा और अगर यह सच है तो whatsapp की राइट टू प्राइवेसी की वाकई में उलंघन हो जाएगी
क्या इस लॉ की वजह से क्या वाकई में व्हाट्सएप इंडिया से चला जायेंगे यूके ने भी पिछले साल ऐसा ही बिल पास किया था लेकिन बाद में उन्होंने बाद में उसे कैंसल कर दिया क्योंकि इस लॉ से लोगों की प्राइवेसी वाकई में वायलेट हो रही थी
तो हमारी गवर्नमेंट को क्यों यह लॉ सही लग रहा है और वो इसे इंपोज करना ही चाहती हैं उनकी साइड ऑफ द स्टोरी क्या है क्या वो सही है या इस मामले में whatsapp इंडियंस के हित में बात कर रहा है
क्या सच में whatsapp भारत को छोड़कर जा रहा है? क्यो सरकार की बाते नही मान रहा whatsapp क्या है पूरा मामला
यह सब कुछ आज हम डिटेल में समझेंगे सो शुरुआत करते हैं इस पूरे मुद्दे की जड़ से आईटी रूल 2021 के रूल नंबर फोर पर गौर करके तो रूल नंबर फोर बेसिकली यह कहता है कि कोई भी मैसेज जिससे भारत की नेशनल सिक्योरिटी को खतरा हो सके या किसी फ्रेंडली देश के साथ भारत के रिलेशंस खराब हो सके
या फिर किसी मैसेज से पब्लिक ऑर्डर डिस्टर्ब हो सके या किसी मैसेज का कनेक्शन किसी रेप केस से हो या मैसेज में किसी तरह का सेक्सुअली एक्सप्लिसिट मटेरियल और चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूड़ोस मीडिया कंपनीज के लिए ये कंपलसरी करती है
कि जभी भी कोई कोर्ट या कॉम्पटन गवर्नमेंट अथॉरिटी जैसे कि गवर्नमेंट की कोई कोई एजेंसी अगर किसी भी मैसेज के फर्स्ट ओरिजनेटर यानी कि क्रिएटर का नाम मांगेगी तो इन कंपनीज को कोऑपरेट करना ही होगा
और इसी कारण के वजह से लोगों को भी जेल में डाल सकती है इसे समझने के लिए whatsapp एक एरिया है और पर्सन ए ने अपने क्लोज कांटेक्ट बी जो कि उस एरिया में जाने वाला है उसे बताया कि जाते वक्त वहां पर चाकू और पत्थर लेकर जाना
क्योंकि वहां पर रायट्स हो रहे हैं पर इसके बाद पर्सन बी ने भी आउट ऑफ कंसर्न अपने क्लोज कांटेक्ट सी तक यह बात पहुंचाई और देखते ही देखते यह सेफ्टी वार्निंग आगे मल्टीपल होने लग गया अब इस केस में पर्सन ए को इंफॉर्मेशन का फर्स्ट ओरिजनेटर कंसीडर किया जाएगा
और उसे जेल हो जाएगी दूसरा केस सिनेरियो पर्सन ए के पास कहीं से यह मैसेज या इमेज आता है कि एरिया x में 300 लोग हथियार लेकर रायट करने वाले हैं आप भी अपने हक के लिए लड़ने के लिए वहां पर आके प्रोटेस्ट में शामिल हो जाओ
अगेन आउट ऑफ कंसर्न पर्सन ए ने अपने रिलेटिव को यह मैसेज कॉपी पेस्ट करके या इमेज को फोन गैलरी में डाउनलोड करके या उसका स्क्रीनशॉट लेकर वो आगे भेज दिया और बिल्कुल पिछली बार की तरह ये इंफॉर्मेशन भी फैल जाती है
अब इस केस में भी इंफॉर्मेशन का फर्स्ट ओरिजनेटर ए ही कंसीडर किया जाएगा और उसे ही पनिशमेंट मिलेगी क्योंकि कॉपी पेस्ट या गैलरी से भेजने पर पर्सन ए के फोन से वो इंफॉर्मेशन एक न्यू इंफॉर्मेशन जैसे जा रही है
अब इससे आपका कस्टमर सेटिस्फैक्ट्रिली को फॉलो करने के लिए उन्हें तीन बड़े चैलेंज को फेस करना पड़ेगा पहला उनके प्लेटफॉर्म पर हर रोज लाखों मैसेजेस सर्कुलेट होते हैं इसमें फर्स्ट ओरिजनेटर को ट्रेस करने के लिए उन्हें इन लाखों मैसेजेस को बैक ट्रेल करना पड़ेगा
जो कि काफी ज्यादा मुश्किल टास्क है दूसरा गवर्नमेंट उनसे किसी के भी मैसेजेस कभी भी मांग सकती है और इसके लिए उन्हें सालों के डाटा को मेंटेन करके रखना पड़ेगा
और इसी वजह से वो उन्हें कंप्रोमाइज नहीं कर सकते अब सरकार नेशनल इंटीग्रिटी बताकर उस पर एक्शन ले सकती है और स्पेशली अपोजिशन पार्टीज और अपोजिशन मीडिया के साथ ऐसा होने के चांसेस बहुत हाई हो जाते है
और कुछ एनालिस्ट ने तो राहुल गांधी के केस में ऐसा बोला भी था जब उन्होंने पीएम मोदी को क्रिटिसाइज किया था तो उन्हें एमपी पद से सीधे डिसक्वालीफाई कर दिया गया था सो ऐसा बिल्कुल हो सकता है
कि आगे चलके जैसे चाइना और थाईलैंड जैसी कंट्रीज में हो रहा है जैसे हमने देखा सरकार के खिलाफ बोलने पर लोगों को रूल के तहत जेल में डाल दिया जा रहा है बट अगेन जैसे मैं हमेशा कहता हूं हमने अभी तक सिर्फ एक ही साइड को सुना है
क्या सच में whatsapp भारत को छोड़कर जा रहा है? क्यो सरकार की बाते नही मान रहा whatsapp क्या है पूरा मामला
कोई भी डिसीजन एक ही साइड को सुनकर नहीं लेना चाहिए हमें दूसरे साइड के पर्सपेक्ट को भी देखना चाहिए और इसीलिए अब गवर्नमेंट के पॉइंट ऑफ व्यू को भी सुनना हमारे लिए उतना ही इंपॉर्टेंट बन जाता है
तो गवर्नमेंट ने इस लॉ को लेकर अपने तरफ से दो पॉइंट्स ऑफ व्यू रखें एक कि उन्होंने बताया कि यह लॉ लाया ही क्यों गया और इसका इंप्लीकेशन क्या होगा और दूसरा उन्होंने यह बताया कि ये लॉ इंडियंस के लिए बहुत इंपॉर्टेंट क्यों होने वाला है सो शुरू करते हैं
गवर्नमेंट के बयान कि लॉ आखिर लाया ही क्यों गया तो गवर्नमेंट के हिसाब से जैसे मैंने शुरुआत में बताया था हेट स्पीचस को फेक न्यूज़ को रोकने के लिए यह लॉ लाना जरूरी था
और जो डर लोगों के बीच में फैलाया जा रहा है कि उनके सारे चैट अबसे गवर्नमेंट मॉनिटर करेगी तो यह सरासर गलत है क्योंकि अगर आप लॉ को ही ठीक से पढ़ोगे तो उसमें क्लियर ये लिखा हुआ है कि पहले तो जब कोई इंसिडेंट होगा तो फिर इसके बाद इन्वेस्टिगेशन होगी
और तभी ही ओरिजनेटर के नाम को मांगा जाएगा और वो भी तब पूछा जाएगा जब दूसरे किसी भी तरीके से ओरिजनेटर का नाम नहीं मिल रहा हो और उसमें भी उस पर्सन के चैट से सिर्फ वही इंफॉर्मेशन ली जाएगी जो क्राइम को प्रूफ करती हो
मतलब उसका बाकी का डाटा और मैसेजेस अभी भी सेफ और प्राइवेट रहेंगे मतलब कि क्रिमिनल का भी राइट टू प्राइवेसी ये लॉ वायलेट नहीं कर रही है अकॉर्डिंग टू गवर्नमेंट और रही बात ऐसा लॉ लाने की तो गवर्नमेंट ने कहा कि
आईटी एक्ट 2000 का सेक्शन 87 उन्हें ये पावर देता है कि वो इंडिया के नेशनल सिक्योरिटी और कम्यून हार्मनी के लिए कोई भी रूल ला सकते हैं
क्या सच में whatsapp भारत को छोड़कर जा रहा है? क्यो सरकार की बाते नही मान रहा whatsapp क्या है पूरा मामला
और फाइनली रही बात whatsapp की right to privacy की तो सरकार ने कहा कि खुद व्हाट्सएप की यूजर पॉलिसी में लिखा है की सिक्योरिटी गार्ड्स करने के लिए इंफॉर्मेशन गैदर करते हैं
अब ये लॉ इंडियंस के लिए इतना इंपॉर्टेंट क्यों है इसे गवर्नमेंट ने चार केस सिनेरियो के एग्जांपल से समझाया पहला आईटी मिनिस्ट्री ने बताया कि मॉब लिंचिंग केसेस में ये लॉ काफी ज्यादा इंपॉर्टेंट है
क्योंकि इन केसेस में यूजुअली कन्वेंशन रेट सबसे कम बस सिर्फ 16% होता है वजह इन केसेस में कोई प्राइम एक्यूज नहीं होता इसीलिए लिंचर जो मर्डर करके पब्लिक प्रॉपर्टीज को डिस्ट्रॉय करके भाग जाते हैं उन पर कोई स्ट्रांग एविडेंस नहीं होने के कारण उन्हें छोड़ना पड़ता है
जबकि अगर आप देखोगे तो रिसेंटली जभी भी इंडिया में कोई मेजर रायट्स हुए हैं उनके पीछे सोशल मीडिया पोस्ट या मैसेजेस कारण बिल्कुल होते हैं बट अब इस लॉ से सोशल मीडिया पर उन रायट्स को इंस्टिगेट करने वालों को इजली पहचाना जा सकता है और अरेस्ट भी किया जा सकता है।
अब देखो सितंबर 2015 में टेलीग्राम फाउंडर पावल डू रोफ ने टेक क्रंच कॉन्फ्रेंस में ओपनली ये कहा कि टेलीग्राम के राइट टू प्राइवेसी बहुत इंपोर्टेंट है और वो इस डर से की टेलीग्राम से आतंकवाद फैलेगा या कुछ बुरा हो जायेगा इससे वो अपनी पॉलिसी नही बदलेगा
और इस स्टेटमेंट के सिर्फ 2 महीने बाद फ्रांस पर isis के आतंकवादियों ने वर्ल्ड वार 2 के बाद का सबसे बड़ा अटैक किया जिसमें 130 मारे गए और 350 लगभग घायल हुए
फ्रांस पर इस अटैक की पूरी प्लानिंग टेलीग्राम और व्हाट्सएप पर ही की गई थी
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