लॉरेंस बिश्नोई का पूरा इतिहास क्या है काला हिरण इनके लिए खास यह जानिए सलमान खान से दुसमनी का कारण o/24

लॉरेंस बिश्नोई का पूरा इतिहास क्या है काला हिरण इनके लिए खास यह जानिए सलमान खान से दुसमनी का कारण o/24

आज आप को लॉरेंस बिश्नोई का पूरा इतिहास बताते हैं सलमान खान और अपने द्वारा किए गए कामों के कारण वह पहचाने जाते हैं हमेशा न्यूज़ हेडलाइंस में छाए रहते हैं उनकी सलमान खान से क्या नाराजगी है उनके अराउंड इतनी कंट्रोवर्सी क्यों है वो सही है गलत है उसका फैसला तो चलो कोर्ट ले लेगा उसके लिए ज्यूडिशियल सिस्टम है। 

आज बताऊंगा इस कंट्रोवर्सी के जुड़ा पीछे का एक कनेक्शन पीछे का इतिहास क्या है ये जो बिश्नोई है ये ऐसे लोग हैं इनके बारे में किसी को पता नहीं बिश्नोई कौन है बिश्नोईयों का जब इतिहास समझ में आया तब मुझे उनका क्रोध भी समझ में आया जानवर के लिए जान दे दे अपनी ऐसे होते है बिश्नोई समाज के लोग सबसे पहले उनकी बात करते हैं जिसने बिश्नोई कम्युनिटी की शुरुआत करी।

गुरु जांभेश्वर यूनिवर्सिटी का नाम सुना होगा आपने ये कौन थे 28 अगस्त 1451को राजस्थान के नागौर जिले में इन्होंने जन्म लिया बचपन से नेचर लवर थे आध्यात्मिक बहुत थे और किसी भी जीव हत्या के प्रति बहुत बहुत जागरूक करने में लोगों को लगे रहते थे ओजोन सेफ्टी की जो लेयर है वो हम लोगो को डेंजरस सूरज की किरणों से बचाती है और पोल्यूशन के कारण ये लेयर खत्म होती है।

लॉरेंस बिश्नोई का पूरा इतिहास क्या है काला हिरण इनके लिए खास यह जानिए सलमान खान से दुसमनी का कारण o/24
लॉरेंस बिश्नोई का पूरा इतिहास क्या है काला हिरण इनके लिए खास यह जानिए सलमान खान से दुसमनी का कारण o/24

 

क्या आप जानते हैं ओजोन लेयर को किसने पहले खोजा था गूगल कहता है ये खोजा था एक फ्रेंच फिजिसिक्ट्स ने 1913 के अंदर लेकिन आपको बता दूं हैरान हो जाएंगे 550 साल पहले गुरु जांबेश्वर ने बता दिया था (मोरे धरती ध्यान वनस्पति वासो ओजू मंडल छायो।) धरती पर बसने वाले पेड़ को बोलते थे कि पेड़ ध्यान रूप में बसता है पेड़ शांत रहता है एक जगह रहता है।

Lawrance Bishnoi लॉरेंस बिश्नोई

तो कहते हैं भगवान का ध्यान कर रहा है उनके खतरे के लिए ओजू मंडल छायो ओजू मंडल छाया हुआ है इसीलिए उन्हें धरती का पहला पर्यावरण वैज्ञानिक कहते हैं उन्होंने बहुत सारी चीज पहले बता ही बता दी थी गुरु जांबेश्वर इनके जीवन में इन्होंने 29 संस्कार दिए इसीलिए इनको 20+9= 20 नोई इसीलिए इनका नाम विश्नोई पड़ गया और कई लोग कहते हैं क्योंकि भगवान  विष्णु के ये सब उपासक है इनकी कम्युनिटी भगवान विष्णु को बहुत मानती है ये लोग भगवान विष्णु का भूत भजन करते हैं इसलिए कहते हैं कि विश्नोई विष्णु थे बाद में विश्नोई हो गए।

तो ये दो तरह की कहावत हैं मुझे नहीं पता सही कौन सी है लेकिन मैं दोनों बताना चाहता था हरे पेड़ नहीं काटना ये इनका बहुत बड़ा मॉडल था सबसे बड़े सैक्रिफाइस इनकी कम्युनिटी ने किए हैं अपने गर्दन कटवा दिए अपने पेट धड से अलग करा दिया अपने शरीर को हाथ को कटवा दिए मरने को तैयार हो जाते हैं सैकड़ों बिश्नोईयों ने अपनी जान दे दी कि हरे पेड़ नहीं काटने देंगे।

बिश्नोईयों के बारे में कोई नहीं जानता अभी आज जानेंगे आप हर प्राणी पर दया भावना रखना ये कहते थे गुरु जांबेश्वर हर प्राणी पर दया भावना रखने का मतलब क्या हुआ प्राणी मतलब इंसान नहीं जानवर भी अगर किसी जानवर की मां मर जाती है किसी हिरण की मां मर जाती है तो जो बिश्नोई समाज की मां अगर वो स्तनपान करा रही है बच्चे को तो अपने स्तन से उस जानवर को भी दूध पिलाती है। 

विश्नोई के सारे के सारे गांव में चलते चला जा रहा है कि माएं जानवरों को भी अपने स्तन का पान कराती है हां अपना दूध पान कराती है जानवरों का मांस नहीं खाना है उनकी नेचुरल डेथ होनी चाहिए संस्कार जैसे इंसान का होता है वैसे ही जानवर का होना चाहिए आपको पता है ये लोग नीले रंग के वस्त्र को पसंद नहीं करते क्यों क्योंकि नील की खेती से में एक्सट्रीम पानी लग जाता है और जितना ज्यादा पानी लगेगा और पानी वेस्ट होगा बाद में वो इन फर्टाइल सोइल भी हो जाएगा तो वो यूवी किरणों को ज्यादा अब्जॉर्ब करेगा जिससे कैंसर होता है।

बिश्नोई समाज का इतिहास bishnoi samaj ka itihas

ये सब चीजें उन्होंने आज से 500 साल पहले बता दी थी इनके यहां खेजड़ी का एक पेड़ होता है उसको ये भगवान मानते हैं (ये सलमान खान और लॉरेंस बिश्नोई की कहानी नहीं है केवल लॉरेंस बिश्नोई क्यों सलमान खान से इतने नाराज थे ये समझो आप) खेजड़ी को तुलसी के बराबर या पीपल के बराबर माना जाता है खेजड़ी की पत्ती जो बकरियों और ऊंट का खाना बन जाता है उनके जो फूल और फल से सांगरी उसकी सब्जी और अचार बन जाता है फल सूखने पर सूखा मेवा मेडिसिनल यूसेज के लिए आ जाता है ये खेजड़ी का पेड़ अलग ही पेड़ होता है।

उसकी लकड़ी से फर्नीचर बनता है पर जड़े इतनी जबरदस्त होती है कि उससे हल भी बन जाता है राजस्थान में ये इकलौता पेड़ मई जून में हरा भरा रहता है उसको रेत के अंदर रेगिस्तान में पानी की जरूरत नहीं तब भी हरा रहेगा एक ही पेड़ है दुनिया में खेजड़ी का पेड़ रेत के रेगिस्तान में जहां बूंद नहीं पानी का वहां भी हरा रहता है ये खेजड़ी का पेड़ अपनी छाव में पौधे और अनाज को उगने में हेल्प करता है इस पेड़ के लिए एक बार 363 लोगों ने अपनी गर्दन कटवाई थी।

1730 की बात बता रहा हूं जोधपुर के महाराजा अजय सिंह उनके महल में लकड़ी की जरूरत थी तो खेजड़ी का पेड़ चाहिए था राजा के आदेश पर सैनिक पेड़ काटने के लिए लग गए बिश्नोई समाज की अमृता देवी खड़ी हो गई अमृता देवी को बहुत मानते हैं वहां विश्नोई समाज के लोग बहुत मानते हैं ये पेड़ को जाकर चिपक गई बोली पहले मेरी गर्दन काट दो उसके बाद पेड़ काटने दूंगी उसकी तो गर्दन काट दी उसकी तीनों बेटियां भी आ गई उनकी भी गर्दन काट दी फिर पति आ गया एक पेड़ ना कटे उसके लिए फर पति ने भी अपनी गर्दन कटवा दी उसके बाद 363 लोगों ने अपनी गर्दन कटवाई कि एक पेड़ ना कटे

लॉरेंस बिश्नोई कौन है who is lawrance Bishnoi

ये चिपकू आंदोलन बाद में शुरू हुआ था। 1973 में चिपकू आंदोलन ऐसे ही फेमस नहीं हुआ ये अमृता देवी से इंस्पायर्ड था सरकार ने अमृता देवी बिश्नोई वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन अवार्ड रखा इनके नाम पे

सेना में ना होने के बावजूद पहले भारतीय इस पृथ्वी पर निहालचंद बिश्नोई राजस्थान के बीकानेर जिला में पैदा हुए थे 1996 की बात बता रहा हूं जंगली शिकारी आकर के छह हिरणों को मार चुके थे ब्लैक बक जो सलमान खान की कंट्रोवर्सी चलती है छह हिरणों को मार चुके थे निहाल रात का समय था उनको जब गोलियों की आवाज आई तो ये भाग के बाहर निकले अपने घर से भाग के बाहर निकले इन्होने देखा शिकारी लोग और हिरण मारने की कोशिश कर रहे हैं इन्होने कई आवाज ऐसी निकाली जिससे हिरण लोग को पता चल गया कि उनको भागना है। 

आवाज निकाली कि सारे हिरण भाग गए वहां से पर उस दिन सुबह छ लाश नहीं सात लाशें निकली छह लाश तो उन हिरणों की निकली जिनको लेकर जाने नहीं दिया निहाल चंद बिश्नोई ने उन हिरणों को मर जाने के बाद भी उनकी लाश को जो लेकर जाना चाहते थे शिकारी अपने साथ उठा के ले जाने नहीं दिया आखिरी में खुद गोलियां खा कर के मरे सात लाशें निकली वहां से और भारत सरकार ने शौर्य चक्र से इनको सम्मानित किया क्या विश्नोई समाज के बारे में जानते थे आप यह पता चलना चाहिए हमारे देश को ऐसे ऐसे अवार्ड से सम्मानित होने वाले पहले सिविलियन है।

और तीसरी कहानी से पहले मैं आपको एक और बात बताता हूं ये कम्युनिटी जो होती है जैसे बिश्नोईयों की कम्युनिटी कम्युनिटी तब ग्रो करती है जब कंपीट नहीं कोलैबोरेट करें

आगे बात करे है बूचो जी का बलिदान कौन जानता था बिश्नोईयों के बारे में बिश्नोई समाज का गुरु मंत्र है की वचनों का पालन करने के लिए अपनी जान भी दे दो 1756 की बात है नागौर जिले में नरसिंह नाम के राजा ने खेजड़ी के पेड़ काट दिए बहुत सारे बुचो जी ने वहा जाकर प्रोटेस्ट किया पेड़ से सांस मिलती है हमारे को पेड़ से ही हम सांस लेते हैं लोग हसने लग गए पेड़ से सांस मिलते हैं पेड़ से ऑक्सीजन ये किसी को पता नहीं था तब लोग बोल रहे थे बिश्नोई का बलिदान इनकी कहानियां झूठी है पेड़ के लिए कौन जान देता है।  

बूचो जी ने ललकारते हुए कहा कि मैं शहीद होने के लिए तैयार हूं  राजा बोला अगर तू गर्दन कटवाने को तैयार हो गई तो मैं पेड़ नहीं काटूंगा मैं भी वचन देता हूं लेकिन तू अपनी गर्दन कटवा ना मैं रोकूंगा ना मेरा गांव रोकेगा बूचों जी बोली आपको एक वचन पूरा करना होगा आप इसके बाद एक भी पेड़ नहीं काटेंगे इसने प्रतिज्ञा ली राजा ने प्रतिज्ञा ली राजा ने कहा ट्राई करके देखना ये भाग जाएगा ये तलवार लगाना भाग जाएगा यह खड़े रहे वहां पर यह अपने गुरु का स्मरण करते रहे गुरु जांबेश्वर जी का उनका स्मरण करते रहे।

बूचो जी ने गर्दन कटवा कर के लोगों को पेड़ ना काटने की कसम खिलवा दी वही पर राजा ने कसम खा ली बलिदान के 18 साल के बाद 1774 में एक अंग्रेज साइंटिस्ट जोसेफ प्रिसली ने समझाया हमारे को कि प्लांट से ऑक्सीजन निकलती है गुरु जांबेश्वर ने 500 साल पहले बता दिया था इन्होंने 1774 में बताया इस बलिदान के भी कई सालों के बाद बताया आज खामू राम बिश्नोई उनके नाम पर एक्स्ट्राऑर्डिनरी मैन ऑफ इंडिया का अवार्ड है मालूम क्यों क्योंकि प्लास्टिक पोलूशन के खिलाफ लड़े वो 48 साल से किसान है एक अनिल बिश्नोई यह पोचर होते है ना।

 धन्यवाद।।

कैसे एलन मस्क दुनिया के सबसे अमीर इंसान बने थे। एक बिलियनर के पास असल में उतना पैसा होता ही नही है। O/24

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