जिंदगी में हमेशा खुश रहोगे इसको एक बार जरूर पढ़े । 2024

जिंदगी में हमेशा खुश रहोगे इसको एक बार जरूर पढ़े । 2024

जिंदगी में हमेशा खुश रहोगे इसको एक बार जरूर पढ़े । 2024 ज्यादा अच्छे मत बनो नहीं तो हमेशा दुखी रहोगे यह एक ऐसा विषय है जिसे सुनकर शायद आपको थोड़ी हैरानी हो लेकिन इसमें छुपा हुआ सच्चाई का पहलू बहुत गहरा और महत्त्वपूर्ण है

जिंदगी में हमेशा खुश रहोगे इसको एक बार जरूर पढ़े । 2024
जिंदगी में हमेशा खुश रहोगे इसको एक बार जरूर पढ़े । 2024

 

सच कहां है किसी ने इस दुनिया में तुम जितने सीधे बनोगे लोग तुम्हारा उतना ही फायदा उठाएंगे इस दुनिया में तुम जितने भोले बनोगे और दूसरों का अच्छा करने के बारे में सोचोगे तो तुम्हारे साथ उतना ही बुरा होगा और लोग तुम्हारा उतना ही फायदा उठाएंगे सही बात है जंगल में जो पेड़ जितना सीधा होता है उसे उतनी ही जल्दी काट दिया जाता है इसीलिए आजकल के जमाने में ना तो बहुत ज्यादा सीधा होना अच्छा है और ना ही बहुत बुरा होना अच्छा है

या यूं कह लो कि आजकल ज्यादा अच्छा बनना आपके लिए दुखों का कारण बन सकता है कुछ लोगों की आदत होती है कि वे कभी किसी को ना नहीं कह पाते अपना काम छोड़कर वे दूसरे काम करते हैं अपना नुकसान करवाकर भी दूसरों का फायदा कर ने के बारे में सोचते हैं ऐसे लोग हमेशा आपना नुकसान करवाते हैं और उनका घाटा उनके जीवन में होता रहता है जिसकी वजह से वे बहुत दुखी रहते हैं लेकिन इस आदत को वे कभी नहीं छोड़ पाते यह कहानी उन्हीं लोगों के लिए है

जो जरूरत से ज्यादा अच्छे रहते हैं और जरूरत से ज्यादा दूसरों के बारे में सोचते हैं अपना ख्याल छोड़कर उन्हें दूसरों की फिक्र होती है वे लोग इस कहानी को अंत तक जरूर पढ़े क्योंकि यह कहानी आपकी जिंदगी बदलने वाली है बात उन दिनों की है जब अरेव गांव के लोगों की जिंदगी सीधी सादी और ईमानदारी पर आधारित थी गांव में सभी लोग एक दूसरे का सम्मान करते और हमेशा मदद के लिए तैयार रहते थे

इस गांव में एक साधारण सा व्यक्ति रामू रहता था जिसकी सादगी और अच्छाई के चर्चे दूर-दूर तक थे रामू का दिल बहुत बड़ा था वह हमेशा दूसरों की भलाई के लिए सोचता और हर किसी की मदद करता गांव के लोग उसकी इज्जत करते थे लेकिन कुछ लोग उसकी अच्छाई का फायदा भी उठाते थे रामू ने कभी किसी को मना नहीं किया था चाहे कितनी भी परेशानी क्यों ना हो रामू का परिवार भी उसकी तरह ही साधारण था उसकी पत्नी सीता बहुत ही समझदार और सुघड़ गृहणी थी दोनों की एक बेटी गीता थी

जो गांव के स्कूल में पढ़ती थी रामू का सपना था कि गीता पढ़ लिखकर बड़ी आदमी बने और उनके गांव का नाम रोशन करें एक बार धनिया राम ने रामू से कहा रामू क्या तुम मेरी भैंसों को कुछ वक्त के लिए देख लोगे मुझे कुछ काम से शहर जाना है इसीलिए क्या तुम इनका ख्याल रखोगे रामू ने बिना सोचे समझे हां कह दी क्योंकि वह दिल से बहुत अच्छा था उसे लगा कि गायों का देखभाल तो आसान है

जिंदगी में हमेशा खुश रहोगे इसको एक बार जरूर पढ़े । 2024

चारा डालना और पानी देना है और क्या उसने कहा जी मैं ऐसा कर पाऊंगा आप बेफिक्र रहिए धनिया राम शहर चला गया और रामू उसकी गायों का ख्याल रखने लगा वह उन्हें समय पर चारा देता उनका ख्याल रखता और उन्हें पानी पिलाता लेकिन उस रात बहुत तेज तूफान आया और तूफान में गाय घर से गायब हो गई

वे वहां से भाग गई रामू चिंता में पड़ गया उसने बहुत दूर-दूर तक गायों को ढूंढा लेकिन फिर भी वे नहीं मिली उसने पूरी रात नहीं सोया और गायों को ढूंढता ही रहा उसके मन में ख्याल आया कि अब वह धनिया राम को क्या जवाब देगा गाय कहां चली गई अगले दिन जब धनिया राम आया तो उसने पूछा मेरी गाय कहां हैं रामू ने कहा मालिक रात की बारिश और तूफान में पता नहीं कहां गाय भाग गई मैंने बहुत ढूंढने की कोशिश की लेकिन गाय नहीं मिली

धनिया राम गुस्सा हो गया और बोला तुम झूठ बोल रहे हो दरअसल तुमने मेरी गायों को बेच दिया है और उन पैसों से अमीर बनना चाहते हो सच तो यही है रामू ने कहा नहीं सर आप मेरे बारे में गलत सोच रहे हैं मैं ऐसा सोच भी नहीं सकता और ना ही ऐसा हूं यह झूठ है मैं सच कह रहा हूं मुझे नहीं पता गाय कहां भाग गई लेकिन मैंने बहुत ढूंढने की कोशिश की मैंने गायों को नहीं बेचा है

और मैं ऐसा क्यों करूंगा धनिया राम ने कहा क्योंकि तुमने मेरी गायों को बेच दिया एक दिन के लिए मैंने तुम्हें गायों का ध्यान रखने को कहा और तुमने अपनी असलियत दिखा दी मैं तुम्हें बहुत अच्छा समझता था लेकिन तुम बहुत बुरे हो अब मैं तुम्हारी शिकायत पंचायत में करूंगा तब देखूंगा फैसला क्या होता है और तुम्हें मेरी गायों का हरजाना भरना पड़ेगा रामू के लाख समझाने के बाद भी वह नहीं माना और बात को पंचायत तक ले गया पंचायत में उसने कहा मुखिया जी रामू ने मेरी गायों को जब मैं उसे जिम्मे सौंपकर शहर गया था

तो रात में गायों को बेच दिया मुखिया ने पूछा क्या यह सही बात है रामू ने कहा नहीं मुखिया जी ऐसा कुछ नहीं है मैंने गायों को नहीं बेचा दरअसल बारिश और तूफान में गाय पता नहीं कहां भाग गई और मैंने बहुत ढूंढने की कोशिश की लेकिन फिर भी वे नहीं मिली आखिरकार पंचायत ने धनिया राम के हक में फैसला सुनाया और रामू को उसकी भरपाई करने के लिए आधे बीघे जमीन उसके नाम करने को कहा रामू को ना चाहते हुए भी ऐसा करना पड़ा क्योंकि गाएं अब नहीं मिली रामू खुद को कोस रहा था

कि उसने क्या कर दिया उसने तो भलाई के लिए हां बोला था लेकिन फिर भी उसका नुकसान हो गया रामू के घर वाले बहुत समझाते थे कि वह दूसरों के लिए ज्यादा अच्छा बनना छोड़ दे नहीं तो हमेशा उसे नुकसान ही होगा लेकिन रामू पर इसका कोई असर नहीं होता एक बार फिर ऐसी ही एक और कहानी हुई एक दिन की बात है रामू अपने खेत में काम कर रहा था

जब गांव के मुखिया भोलाराम ने उसे बुलाया भोलाराम बहुत ही चतुर और चालाक आदमी था वह रामू की अच्छाई को देखकर अक्सर उसकी मदद लेता था लेकिन बदले में कुछ भी नहीं देता था भोलाराम ने कहा रामू मेरे खेत में कुछ समस्या हो गई है क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो रामू ने बिना सोचे समझे कहा हां मुखिया जी बताइए क्या करना है

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भोलाराम ने अपने खेत में लगी फसल की देखभाल का काम रामू को सौंप दिया रामू ने बिना किसी संकोच के काम करना शुरू कर दिया रामू के दिन का एक बड़ा हिस्सा भोलाराम के खेत में बीतने लगा इस कारण से वह अपने खेत और परिवार को ज्यादा समय नहीं दे पाता था सीता ने कई बार रामू से कहा तुम्हारी यह अच्छाई तुम्हे और हमें मुश्किल में डाल रही है तुम्हें कुछ सोचना चाहिए लेकिन रामू हर बार कहता अच्छाई का फल हमेशा अच्छा ही होता है

वहीं गांव के कुछ लोग रामू की इस अच्छाई का फायदा उठाने लगे एक दिन गांव के ही एक और व्यक्ति लल्लू रामू के पास आया और बोला रामू भाई मेरे घर की छत टूट गई है क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो रामू ने फिर से बिना किसी हिचकिचाहट के हामी भर दी रामू की अच्छा का असर उसकी खुद की जिंदगी पर पड़ने लगा उसकी फसल खराब होने लगी क्योंकि वह अपने खेत को ठीक से समय नहीं दे पा रहा था सीता ने फिर से रामू को समझाया रामू तुम्हारी यह अच्छाई हमें मुश्किल में डाल रही है

हमें भी अपने बारे में सोचना चाहिए लेकिन रामू ने हमेशा की तरह सीता की बात को नजरअंदाज कर दिया एक दिन जब रामू भोलाराम के खेत में काम कर रहा था तभी गीता स्कूल से रोते हुए घर आई सीता ने पूछा क्या हुआ गीता क्यों रो रही हो गीता ने बताया कि स्कूल की फीस ना भरने के कारण उसे क्लास से बाहर निकाल दिया गया सीता का दिल टूट गया और उसने फैसला किया कि अब वह रामू से कड़ा सवाल करेगी सीता ने रामू से कहा रामू अब बहुत हो गया तुम्हारी अच्छाई के कारण हम सब मुश्किल में हैं

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तुम्हें अब सोचना पड़ेगा कि क्या सही है और क्या गलत रामू ने कहा सीता मैं सब ठीक कर दूंगा रामू ने अगले दिन से ही अपने खेत में ज्यादा समय देना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे उसकी फसल अच्छी होने लगी उसने गीता की स्कूल की फीस भी भरी और उसे वापस स्कूल भेजा लेकिन उसके मन में एक सवाल उठा क्या सच में मेरी अच्छाई ही मुझे और मेरे परिवार को मुश्किल में डाल रही है रामू ने सोचने की ठानी कि वह अब हर किसी की मदद नहीं करेगा बल्कि सोच समझकर ही किसी की मदद करेगा

उसने भोलाराम और लल्लू से भी साफ-साफ कह दिया कि अब वह सिर्फ अपने परिवार और अपने खेत के लिए ही काम करेगा धीरे-धीरे रामू की जिंदगी पटरी पर आने लगी उसकी फसल अच्छी होने लगी और गीता भी अच्छे नंबरों से पास होने लगी सीता भी खुश थी कि रामू ने आखिरकार सही निर्णय लिया गांव के लोग भी रामू की नई सोच का सम्मान करने लगे रामू ने सीखा कि ज्यादा अच्छा बनना भी हमेशा सही नहीं होता कभी-कभी हमें खुद के और अपने परिवार के बारे में भी सोचना चाहिए

अच्छाई का मतलब यह नहीं कि हम अपनी और अपने पर परिवार की खुशी को नजरअंदाज कर दें रामू की यह कहानी हमें सिखाती है कि संतुलन बनाना बहुत जरूरी है हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए लेकिन अपने परिवार और खुद की भलाई को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए यही सही मायने में अच्छाई है बाकी अगर यह कहानी आपको अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों परिवारों में शेयर जरूरजरूर करे धन्यवाद 

जिंदगी में हमेशा खुश रहोगे इसको एक बार जरूर पढ़े । 2024

https://youtu.be/Wsa1anuBWzo?si=hs-6qm_YaUMGwCPp

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