आखिर क्यों भारतीए स्टूडेंट्स को अमेरिका में जान से मारा जा रहा है।

आखिर क्यों भारतीए स्टूडेंट्स को अमेरिका में जान से मारा जा रहा है।

23 जनवरी 2023 जानवी एक इंडियन स्टूडेंट की यूएस में मौत हो जाती है मौत की वजह रोड क्रॉस करते वक्त एक फुल स्पीड से आती पुलिस कार से टक्कर लेकिन इस एक्सीडेंट पे अफसोस जताने की बजाय जैसे ही ऑफिसर को पता चला कि जानवी इंडियन है वो जोर-जोर से हंसने लगा

आखिर क्यों भारतीए स्टूडेंट्स को अमेरिका में जान से मारा जा रहा है।
आखिर क्यों भारतीए स्टूडेंट्स को अमेरिका में जान से मारा जा रहा है।

 

 

29th अक्टूबर 2023 एक 23 साल के वरुण को उसके एक अमेरिकन जिम पार्टनर ने चाकू से मार डाला वजह उसे वरुण की शक्ल वियर्ड लगती थी

17 जनवरी 2023 22 साल का नील आचार्य अचानक से मिसिंग हो गया फिर पुलिस इन्वेस्टिगेशन में उसकी लाश उसके कॉलेज से मिली जहां पे वह पढ़ाई करने जाता था एंड ये बस दो-तीन केसेस नहीं है

हम सिर्फ इसी साल की बात करें ना तो इंडियंस के ऐसे टारगेटेड किलिंग के इंसीडेंट्स आपको यूएस में कई सारे मिल जाएंगे सो आखिर क्यों अचानक से यूएस में इंडियन स्टूडेंट्स की मौत हो रही है वेल हर कोई इसकी सिर्फ एक ही वजह बता रहा है रेशल डिस्क्रिमिनेशन इनफैक्ट यूएस प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट विवेक रामस्वामी ने भी कहा कि उन्होंने खुद रेशल डिस्क्रिमिनेशन फेस किया है

और उनके मुताबिक रेसिजम यूएसए में ही मैन्युफैक्चर होता है  जो अब वहां पर इस लेवल तक बढ़ चुका है कि स्कूल में जाने वाले इंडियन बच्चे भी उनके साथ भी रेसिजम हो रहा है आज यूएसए में हर दो में से एक इंडियन के साथ डिस्क्रिमिनेशन होता है

और इनफैक्ट ये इतना प्रिवेट है कि हाल ही में इन्होंने हमारे महात्मा गांधी जी के स्टैचू को भी गुस्से में आकर तोड़ दिया था  असल में ये जो डेथ्स हो रहे हैं ना इनके पीछे की वजह सिर्फ रेशल डिस्क्रिमिनेशन नहीं है इस डिस्क्रिमिनेशन की रियलिटी और इसका एक्चुअल रूट  तो कुछ और ही है

आखिर क्यों भारतीए स्टूडेंट्स को अमेरिका में जान से मारा जा रहा है।

एंड यही  हम डिस्कस करने वाले हैं आज हम डिस्कस करेंगे कि यूएस में इंडियंस के अगेंस्ट एक्स्ट्रीम लेवल ऑफ हेट क्राइम्स क्यों हो रहा है कैसे यूएस के सिस्टम का एक सिंपल सा फ्लश वाइड इतना बड़ा प्रॉब्लम खड़ा कर सकता है एंड इस प्रॉब्लम का सलूशन क्या है

अगर आपके साथ रेसिजम हो रहा है तो आपको क्या करना चाहिए आज हम इंडियंस यूएस की लार्जेस्ट डायस्पोरा है हर साल 90 हजार से 1 लाख इंडियंस यूएस जाते हैं एवरी ईयर ए एंड जैसे हम वहां पे एडजस्ट होते हैं

उनके कल्चर को अपनाते हैं बिल्कुल वैसे ही अमेरिकंस भी इंडियन से मिक्स होते हैं इनफैक्ट कई अमेरिकंस हमारे कल्चर को बढ़ चढ़ के सेलिब्रेट भी करते हैं वन ऑफ द मेजर रीजंस बीइंग यूएसए को इंडियन टैलेंट से काफी ज्यादा फायदा होता है और ऐसा मैं नहीं कह रही हूं खुद इलन मस्क ने ट्वीट किया था

google एडोबी ऐसे कितने सारे अमेरिकन जायंट्स हैं जिन्हें लीड इंडियंस कर रहे हैं यूएस की सिलिकॉन वैली दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप हब है एंड रिपोर्ट्स कहती है कि वहां पे 50 से भी ज्यादा स्टार्टअप्स जो $ बिलियन डॉलर और हायर वैल्यूड है वो इमीग्रेंट ने फाउंड की है जिनमें सबसे बड़ा नंबर हम इंडियंस का ही है

इनफैक्ट यूएस के एक मिनिस्टर ने तो उनके पार्लियामेंट में तक एक्सेप्ट कर लिया था कि इंडियंस यूएस इकॉनमी में जॉब क्रिएटर्स है एंड अगर आप देखो तो वहां इंडियन टेक इंडस्ट्री ने अकेले 27000 अमेरिकंस को जॉब्स दी है

जॉब क्रिएटर्स होने के अलावा भी इंडियंस अगर सर्विस सेक्टर में भी है तो वो भी काफी हाई स्किल जॉब्स में है इनफैक्ट h1 भी वीजा तो है ही था कि अमेरिकंस इंडिया ऐसे बेस्ट टैलेंट को अपने देश अट्रैक्ट कर सके उन्हें यूएसए में जॉब वीजा दे सके यूएस गवर्नमेंट तो खुद एवरी ईयर इंडियंस के लिए ए1 ब वीजा का परसेंटेज बढ़ाती ही जा रही है

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आप इस ग्राफ में देख सकते हो 2015 से 2020 तक यह नंबर बढ़ते ही जा रहा था इनफैक्ट एक सर्वे के अकॉर्डिंग नॉट जस्ट यूएसए ग्लोबली भी काफी वेस्टर्न कंट्रीज आज इंडियन इमीग्रेंट के लिए फाइट कर रही है स्पेशली द यूके एंड ऑफकोर्स काफी इंडियन स्टूडेंट्स भी यूके स्टडीज के लिए जाना प्रेफर करते हैं

बट द प्रॉब्लम इज वहां पर जाने के लिए आपके पास एक बैंक अकाउंट होना जरूरी है लेकिन व्हाट इफ आई टेल यू अभी आप इंडिया में रहकर भी यूके पहुंचने से पहले ही यूके में अपना एक मल्टी करेंसी बैंक अकाउंट खोल सकते हो यस दिस इज पॉसिबल विद आई फास्ट ग्लोबल बैंक ये एक फुल्ली लाइसेंस यूके डिजिटल बैंक है

जो कि आई फास्ट ग्रुप का एक पार्ट है जो सिंगापुर की एक पब्लिक लिस्टेड कंपनी है यहां पर आपके पैसे बिल्कुल सेफ है क्योंकि आपके डिपॉजिट्स फाइनेंशियल सर्विसेस कंपनसेशन स्कीम के अंडर प्रोटेक्टेड होते हैं आप यहां पर अपना आधार कार्ड और लोकल एड्रेस प्रूफ दिखाकर भी अपना अकाउंट कंप्लीट ऑनलाइन खोल सकते हो

कोई यूके एड्रेस की जरूरत नहीं है अगर आप अभी यूके में नहीं रह रहे हो तो देयर इज नो मिनिमम बैलेंस रिक्वायर्ड नो अकाउंट ओपनिंग चार्जेस नो एनुअल फीज रिक्वायर्ड एंड सबसे इंपॉर्टेंट यहां आपका पैसा काफी अच्छे इंटरेस्ट रेट्स अर्न कर सकता है 4.7 ऑन योर कैश विदाउट एनी लिमिट्स जो कि काफी बैंक्स ऑफर नहीं करते हैं

इंडियंस इन पॉलिटिक्स भी देखिए तो करंट यूएस प्रेसिडेंट बाइड के एडमिनिस्ट्रेशन में 13 इंडियन अमेरिकंस टॉप पोजीशंस पे हैं एंड दे हैव ऑलवेज अप्रिशिएट इंडियंस इंडियन फिर क्यों यही लीडर्स इंडियंस के अगेंस्ट ऐसे बयान भी देते हैं वी विल फॉलो टू सिंपल रूल्स बाय अमेरिकन एंड हायर अमेरिकन क्यों उन्होंने एंटी इंडिया बिल और इंडियन कंपनीज के अगेंस्ट इमीग्रेशन बिल भी लाया वेल हमारी रिसर्च के हिसाब से हमें कुछ ऐसे रीजंस मिले जो इस प्रॉब्लम के सिर्फ सिमटम्स है

आखिर क्यों भारतीए स्टूडेंट्स को अमेरिका में जान से मारा जा रहा है।

और कुछ जो इस प्रॉब्लम का रूट  स्टार्ट करते हैं

  1.  वाइट मैन  सुपीरियर है सो ये जो माइंडसेट है यह कहीं ना कहीं अमेरिकन स्टूडेंट्स में बचपन से ही डाला जा रहा है एंड इसका बेस्ट प्रूफ है हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का यह रिसर्च पेपर इसमें एक हिस्टोरियन डॉनल्ड यवने ने 1800 से लेकर 1900 यानी कि पूरे एक सेंचुरी तक की 3000 यूएस हिस्ट्री टेक्स्ट बुक्स को स्टडी करके यह प्रूव किया कि वाइट मैन सुपीरियर है और ब्लैक्स नहीं यह माइंडसेट बचपन से ही अमेरिकंस के दिमाग में कहीं ना कहीं फीड करवाया जा रहा है

वो भी स्कूल टेक्स्ट बुक्स के थ्रू सबसे पहले उन्होंने इस किताब की बात की जो खुद उन्होंने ही फिफ्थ ग्रेड में पढ़ी थी यह बुक अमेरिकन हिस्ट्री के इन दो मेजर इवेंट्स के पीरियड की थी लेकिन एक तरफ जहां इस बुक में सिविल वॉर को वाइट मैन वॉर बताकर उन्हें ब्रेव हीरोइक और अपने हक के लिए लड़ने वाले आइडल्स की तरह पेश किया गया वहीं पे बुक में ब्लैक मेन के एंटी स्लेवरी मूवमेंट जहां पे ब्लैक्स अपने हक के लिए लड़ रहे थे

उन इवेंट्स की बात ही नहीं की गई थी नेक्स्ट उन्होंने एक अफ्रीकन अमेरिकन राइटर का किस्सा बताया जिनका यह कहना था कि उन्हें अमेरिकन हिस्ट्री बुक्स ने यह पढ़ाया आया कि उनके अफ्रीका की तो कोई हिस्ट्री ही नहीं थी

उल्टा अफ्रीकन को यूरोप ने बचाया और वही उन्हें अमेरिका लेकर आए एंड इसके बाद उन्होंने यह भी बताया कि 1920 के दौर में अगर कोई अफ्रीकन अमेरिकन स्टूडेंट टीचर से ये पूछ भी लेता था कि उन ब्लैक लोगों की हिस्ट्री के बारे में उनकी टेक्स्ट बुक में कोई भी बात क्यों नहीं लिखी गई है

तो टीचर्स उनकी बात को यह कहकर रफा दफा कर देती थी कि उन्होंने तो कुछ ऐसा काम ही नहीं किया है जिसे हिस्ट्री में ऐड किया जा सके बेसिकली अगर आप इस आर्टिकल को पढ़ोगे तो ऐसे कई और इंस्टेंसस उन्होंने शेयर किए जिससे कहीं ना कहीं क्लियर हो जाता है

कि क्यों अब भी वहां पे डिस्क्रिमिनेशन इतना कॉमन है लेकिन अब ये डिस्क्रिमिनेशन और ज्यादा हो रहा है जिसका रीजन है हमारा ट्रिगर नंबर टू राइज ऑफ इंडियन स्टूडेंट्स इन अमेरिका द हिंदू ने रिसेंटली कोट किया कि यूएस जाने वाले इंडियन स्टूडेंट्स पिछले साल से 35 पर मन गए हैं एंड इसी राइज की वजह से इंडियन स्टूडेंट्स के साथ हो रहा डिस्क्रिमिनेशन भी पहले से और ज्यादा दिख रहा है

एग्जांपल के लिए 100 इंडियन स्टूडेंट्स में से 50 पर के साथ अगर डिस्क्रिमिनेशन हो रहा है यानी 50 लोग के साथ डिस्क्रिमिनेशन हो रहा है लेकिन अभी अगर स्टूडेंट काउंटी 100 से 1000 हो गया तो उसका 50 पर तो 500 होता है एंड जो नंबर 550 के सामने काफी इजली नजर में आएगा एंड सडन राइज एंड डिस्क्रिमिनेशन के पीछे एक और रीजन है

जो हमारा तीसरा मेजर ट्रिगर पॉइंट भी है व्च इज यूएस का इकोनॉमिक डाउनफॉल इस प्रॉब्लम की वजह से आज यूएस कंपनीज में मास ले ऑफस हो रहे हैं लेकिन यह ले ऑफस इंडियन से ज्यादा खुद अमेरिकंस के साथ हो रहे हैं एंड कहीं ना कहीं यही वजह है

इंडियंस के प्रति राइज इन डिस्क्रिमिनेशन की इसे एक एग्जांपल से समझाती हूं सो यूएस की कंपनी डिजनी कंपनी ने क्या किया ना उन्होंने अपने अमेरिकन एंप्लॉयज को निकाला और एक अमेरिकन की सैलरी में चार इंडियन एंप्लॉयज रख दिए एंड इसके बाद उन्होंने खुद ही एक्सेप्ट किया कि ऐसा करने के बाद उनके कंपनी का प्रॉफिट 25 से 49 तक बढ़ गया एंड ये सिर्फ एक एग्जांपल है

लेकिन ये सिनेरियो आपको यूएस के हर दूसरे कंपनी में देखने को मिल जाएगा धीरे-धीरे अमेरिकंस का जॉब मिलना कहीं ना कहीं मुश्किल होते जा रहा है उनकी जॉब सिक्योर रिटी कमजोर होते जा रही है लेकिन चलो हमने ये तो समझ लिया कि वो कौन से रीजंस है जो इस इशू को अभी ट्रिगर कर रहे हैं

लेकिन अगर आप रेसिजम जैसे मुद्दे की बात करें तो कहीं ना कहीं ये फंडामेंटली पॉलिटिकली चार्जड भी है अब बाह्य अमेरिका तो फिर भी ठीक है हम भी इंडिया में स्वदेशी और मेड इन इंडिया प्रमोट करते राइट लेकिन प्रॉब्लम ये है कि जब ये पॉलिटिशियन हायर अमेरिकंस कहते हैं

तो ये लोगों को ये मैसेज देता है कि अमेरिकंस की जॉब इंडियंस की वजह से जा रही है बेसिकली पॉलिटिशियन अपनी जनता से ये कहना चाहते हैं कि अगर तुम हमें वोट दोगे तो हम तुम्हें जॉब दिलवाए इंडियन से छीनकर एंड ये वर्क भी करता है एंड यू वोंट बिलीव सिर्फ और सिर्फ इसी नैरेटिव से 2016 इलेक्शन में ट्रंप का वोट शेयर 74 पर से बढ़ गया था

सेम किया था यूएस सेनेटर टेड क्रूज ने भी इन्होंने भी वोट्स जीतने के लिए कहीं ना कहीं ऐसा ही दोगला बंद दिखाया था वो 2013 तक प्रो इमीग्रेशन पॉलिसीज को सपोर्ट कर रहे थे एंड यह पॉलिसी कहीं ना कहीं इंडियंस के लिए बेनिफिशियल भी थी क्योंकि इससे ज्यादा से ज्यादा इंडियंस यूएस में जाकर जॉब कर पाते थे

लेकिन 2015 में इन्होंने सिर्फ वोट बैंक के लिए सीधे-सीधे द अमेरिकन जॉब्स फर्स्ट एक्ट ऑफ 2015 नाम का बिल पार्लियामेंट में इंट्रोड्यूस कर दिया इस बिल से बेसिकली एंटी इमीग्रेशन पॉलिसीज और ज्यादा स्ट्रिक्ट हो जाती बट फॉर्चूनेटली ये बिल पार्लियामेंट में पास नहीं हुआ सो बेसिकली बाय एंड लार्ज वोट बैंक पॉलिटिक्स सोशल नैरेटिव डिक्टेट करता है

यानी कि जनता क्या सोचती है वो डिक्टेट करता है बट यूएस के केस में स्पेसिफिकली एक और प्रॉब्लम है उनका फॉल्टी एंटी डिस्क्रिमिनेशन लॉ देखो ये इंडियन लॉ है द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स एक्ट 1955 जिसमें क्लियर बताया गया है कि डिस्क्रिमिनेशन करने वालों को एक से 2 साल की जेल तक हो सकती है

लेकिन वहीं पे दूसरी तरफ ये है यूएस का लॉ जिसने अपनी कंट्री में डिस्क्रिमिनेशन के अगेंस्ट लॉ तो बनाया है वहां पर डिस्क्रिमिनेशन एक क्राइम तो है लेकिन प्रॉब्लम ये है कि इसके लिए गवर्नमेंट ने कोई स्पेसिफिक पनिशमेंट मेंशन नहीं की है मतलब डिस्क्रिमिनेशन करने वाले के साथ क्या होगा कितने साल की सजा होगी कितना जुर्माना भरना पड़ेगा ये पनिशमेंट मेंशन नहीं है

वहां ये चीजें थोड़ी सी एमग्विता छोड़ी है यानी कि केस की सीवियरिंग गंभीरता को देखकर जजेस पनिशमेंट डिसाइड करते हैं लेकिन लॉ के इसी लूप होल से कई बार हेट क्राइम करने वाले बिना किसी पनिशमेंट के छूट जाते हैं एंड कई बार तो पनिशमेंट देते वक्त भी डिस्क्रिमिनेशन होता है और ये खुद यूएस सिविल लिबर्टी यूनियन ने एक्सेप्ट किया है बट देखो जैसे मैं हर बार कहती हूं हर चीज ब्लैक एंड वाइट नहीं होती है

मेरा ये वीडियो बनाने का मकसद यह नहीं है कि अगर आप यूएस में रह रहे हो या फिर एक स्टूडेंट हो जो यूएस जाना चाहते हो तो आप डर जाओ मेरा इस वीडियो के जरिए एक ही मकसद है यह बताना कि डू नॉट कॉज द डार्कनेस लाइटर कैंडल करेंटली बहुत सारे इंडियन स्टूडेंट्स यूएस पढ़ने के लिए जा रहे हैं मेरे खुद के बैच से आधे से ज्यादा मेरे फ्रेंड्स फॉरेन कंट्रीज में पढ़ने चले गए हैं

सो ऐसे में उन्हें पता होना चाहिए कि उनके साथ अगर ऐसा कोई रेशल डिस्क्रिमिनेशन हो रहा है तो उन्हें क्या करना है क्योंकि कई लोग इसे एक्सेप्ट करके भूल जाते हैं आगे बढ़ जाते हैं इस पर सवाल नहीं उठाते हैं रेसिजम तो विवेक राव स्वामी के साथ भी हुआ था लेकिन आज वो यूएस के प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट है उन्होंने उस रेसिजम को अपनी जिंदगी में एक ऑब्स्ट कल नहीं बनने दिया एंड एगजैक्टली इसीलिए आपके साथ अगर रेसिजम हो रहा है तो आपको पता होना चाहिए कि इसके सॉल्यूशंस क्या है

आप क्या स्टेप्स ले सकते हो उसके अगेंस्ट सो फर्स्टली नो योर राइट्स आपको आपके राइट्स पता होने चाहिए रेस रिलीजन सेक्स कलर एथनिक या नेशनल ओरिजिन को लेकर डिस्क्रिमिनेशन यूएस लॉ के अंडर इल्लीगल है सिविल राइट्स एक्ट ऑफ़ 1964 यूएस में एंप्लॉयमेंट के लिए जाने वाले इमीग्रेंट के राइट्स को भी प्रोटेक्ट करता है मतलब डिस्क्रिमिनेशन होने पर चुप बैठने की जरूरत नहीं है आप यूएस के लीगल सिस्टम को भी फॉलो कर सकते हो जिसके लिए सेकंड सॉल्यूशन को फॉलो करना इंपॉर्टेंट है डॉक्यूमेंट द इंसिडेंट एंड रिपोर्ट इट आपके साथ जो भी डिस्क्रिमिनेशन हुआ हो आप उसे अच्छे से रिकॉर्ड कर लो और उसके बाद ही केस फाइल करो इंसिडेंट कहां हुआ कितने बजे हुआ क्या डेट थी ये सारी चीजें केस फाइल करने पे एविडेंसेस के तौर पे यूज होती है

तो इसे काफी बारीकी से नोट करना प्लस आप वहां पे डिफरेंट अथॉरिटीज को अप्रोच कर सकते हो एक आप पुलिस के पास जा सकते हो अगर कंपनी में डिस्क्रिमिनेशन हुआ है तो एचआर डिपार्टमेंट में भी कंप्लेंट कर सकते हो इफ नॉट यूएसए में वर्क प्लेस डिस्क्रिमिनेशन कंप्लेंट फाइल करने के लिए एक अलग कमीशन भी एस्टेब्लिश है इक्वल एंप्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटी क कमिशन जहां आप अपनी रिपोर्ट फाइल कर सकते हो एंड जैसा मैंने पहले भी बताया डिस्क्रिमिनेशन और हेट क्राइम के अगेंस्ट वहां की जुडिशरी पहले केस की सीवेट समझकर परपेट्रेटर को सजा देती है तो स्ट्रांग प्रूव्स आपके पास होना काफी इंपॉर्टेंट है

नेक्स्ट सॉल्यूशन काफी इंपॉर्टेंट है एजुकेट अदर्स आप अपनी डिस्क्रिमिनेशन की स्टोरी अपना एक्सपीरियंस शेयर करके दूसरों को इसके बारे में एजुकेट कर सकते हो एंड लास्टली खुद इंडिया की मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स ने ऐसे सिचुएशंस के लिए मदद नाम का एक पोर्टल बनाया है जहां आप रजिस्टर करके इंडियन गवर्नमेंट से भी हेल्प मांग सकते हो एंड यह सबसे भी ज्यादा इंपॉर्टेंट अगर आपका कोई भी रिलेटिव कोई भी फ्रेंड अब्रॉड जाने वाला है स्पेसिफिकली यूएस तो उसके साथ ये वीडियो जरूर शेयर करना यू नेवर नो यू माइट जस्ट सेव अ लाइफ आल्सो जस्ट लाइक दिस एक और एक इशू है

जो बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट है जो मैं ऑब्जर्व कर रही हूं कि इंडिया में काफी ज्यादा कॉमन होते जा रहा है वो है इनफर्टिलिटी इन इंडियन वुमेन क्या आपने ऑब्जर्व किया कि हाल-फिलहाल में अचानक से काफी सारे फर्टिलिटी क्लिनिक्स ओपन हो गए हैं काफी सारे इंडियन कपल्स कंसीव करने के लिए बहुत ही ज्यादा स्ट्रगल कर रहे हैं लेकिन इसके पीछे के रीजंस बहुत कॉमन है ऐसी चीजें जो हम रूटीन में करते हैं लेकिन हमें समझ में भी नहीं आता कि वह कितना ज्यादा हार्म पहुंचा रही है वेल इस टॉपिक को हमने डिटेल में डिस्कस कर रखा है

 

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