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जैसा आप सोचोगे वैसा आप पाओगे, लाइफ मैं आगे जाने के लिए जरूर पढ़े । 2024

जैसा आप सोचोगे वैसा आप पाओगे, लाइफ मैं आगे जाने के लिए जरूर पढ़े । 2024

जैसा आप सोचोगे वैसा आप पाओगे, लाइफ मैं आगे जाने के लिए जरूर पढ़े । 2024 बुद्ध कहते हैं हमारा ज्ञान हमारे अनुभव से आता है और हमारा अनुभव हमारी मूर्खता से दोस्तों मैं आज आपको भगवान बुद्ध की एक बहुत ही अच्छी कहानी सुनाता हूं जैसा आप सोचते हैं आप वैसे ही बन जाते हैं

जैसा आप सोचोगे वैसा आप पाओगे, लाइफ मैं आगे जाने के लिए जरूर पढ़े । 2024

 

तो कहानी को पूरा ही सुनिए यह कहानी आपके बहुत काम आने वाली है एक बार गौतम बुद्ध और उनके शिष्य एक वन से गुजर रहे होते हैं बहुत दूर चलने के बाद भगवान बुद्ध के शिष्य बुद्ध से कहते हैं बुद्ध क्या हम कुछ देर विश्राम कर सकते हैं बुद्ध कहते हैं अवश्य अब हमें विश्राम करना चाहिए वो देखो एक बड़ा वृक्ष है हम उसके नीचे विश्राम करेंगे बुद्ध और उनके सभी शिष्य उस वृक्ष के नीचे बैठ जाते हैं उनमें से एक शिष्य बुद्ध से कहता है

बुद्ध आपने हमसे एक बात कही थी कि हम जैसा सोचते हैं हम वैसा ही बन जाते हैं कृपा करके इस कथन को विस्तार से समझाइए बुद्ध कहते हैं अवश्य मैं तुम्हें एक छोटी सी कहानी सुनाता हूं जिसे सुनने के बाद आप सभी समझ जाएंगे तो कहानी को ध्यान से सुनो एक नगर में एक बहुत धनी सेठ रहता था उसके पास धन की कोई कमी नहीं थी परंतु फिर भी हर समय धन इकट्ठा करने के बारे में सोचता रहता था एक बार सेठ के घर उसका एक रिश्तेदार आता है सेठ उसकी खूब खातेदारी करता है

बातों बातों में सेठ का रिश्तेदार सेठ से कहता है अरे सेठ जी हमारे नगर में एक नामी गिरामी सेठ रहता था वह आपसे ज्यादा धनवान था वह सेठ पूछता है पर तुम एक बात बताओ तुम उसे रहता था क्यों कह रहे हो सेठ का रिश्तेदार कहता है रहता था मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि वह अब जीवित नहीं है वह मर चुका है सेठ बेचारा धन को इकट्ठा करते करते वह यह भी भूल गया कि मृत्यु नाम की चीज होती है सेठ को भी आती है सेठ उस व्यक्ति से पूछता है क्यों क्या कारण हुआ जिससे उसकी मृत्यु हो गई सेठ का रिश्तेदार कहता है कारण तो कुछ ना था

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अचानक ही उसका बुलावा आ गया और उसको जाना पड़ा सेठ कहता है अरे ऐसे कैसे बुलावा आ गया उसे कोई बीमारी रही होगी वह व्यक्ति कहता है नहीं उसे कोई बीमारी नहीं थी वह तो अचानक ही मृत्यु को प्राप्त हो गया सेठ अपने रिश्तेदार की बात सुनकर हैरान रह जाता है क्योंकि अब तक वह सोचता था कि मृत्यु बुढ़ापे में आती है या किसी बीमारी के कारण आती है क्योंकि सेठ अभी जवान है वह अभी मरना नहीं चाहता अगले दिन वह रिश्तेदार अपने घर चला जाता है

परंतु सेठ को एक बहुत बड़ी समस्या दे जाता है कि सेठ को भी मृत्यु आ सकती है सेठ जैसे पहले धन के बारे में सोचता था अब केवल मृत्यु के बारे में सोचने लगता है कि कहीं मुझे मृत्यु ना आ जाए समय बीतता है सेठ बहुत कमजोर होने लगता है क्योंकि वह अब सही से ना खाता है और ना पिता है केवल मृत्यु के बारे में सोचता है उसकी जुबा पर केवल एक ही कथन रहता था कहीं मेरी मृत्यु ना हो जाए और वह बीमार हो जाता है उसकी ऐसी स्थिति हो जाती है मानो कभी भी प्राण निकल जाए सभी लोग उस सेठ की ऐसी हालत देखकर बड़े आश्चर्य चकित होते हैं

क्योंकि उन्होंने देखा था वह शेठ हमेशा खुश रहता था उसके पास धन की कोई कमी नहीं थी पर अब इसको क्या हुआ अब सेठ कहीं आता जाता नहीं था केवल एक जगह लेटा रहता था उस सेठ की हालत देखकर उस सेठ का एक मित्र एक सन्यासी को उस सेठ के पास लाता है और कहता है सुनो यह बहुत प्रसिद्ध सन्यासी है तुम अपनी समस्या इन्हें बताओ ये उसका जरूर समाधान बताएंगे वह सन्यासी उस सेठ से पूछते हैं क्या हुआ मैं तुम्हें पहले भी देखा हूं

परंतु तुम इतने कमजोर कैसे हो गए कौन सी चिंता तुम्हें खाई जा रही है सन्यासी की बात सुनकर वह सेठ सन्यासी से कहता है मैं मृत्यु को प्राप्त नहीं होना चाहता हूं कहीं मुझे मृत्यु ना आ जाए सेठ की बात सुनकर वह सन्यासी मुस्कुरा कर बोले अच्छा तुम्हें मृत्यु का भय है वह सेठ कहता है हां मेरे पास इतना सारा धन है इसका उपयोग कौन करेगा मुझे मृत्यु को प्राप्त नहीं होना है मुझे जीना है वह संत कहते हैं तुम्हारी इस समस्या का मैं अभी समाधान निकलता हूं

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संत की बात सुनकर सेठ बहुत खुश होता है उस संत के हाथ जोड़ता है और कहता है कृपा करके मेरे समस्या का समाधान कीजिए वह संत उस सेठ से कहते हैं मैं तुम्हें एक मंत्र देता हूं तुम बस इसका उच्चारण भीतर भी और बाहर भी करना मतलब मुंह से भी यही मंत्र बोलना और अपने भीतर मन में भी यही मंत्र बोलना यह मंत्र है जब तक मुझे मृत्यु नहीं आएगी तब तक मैं जिऊंगा जब तक मुझे मृत्यु नहीं आएगी तब तक मैं जिऊंगा तुम इस मंत्र को सात दिन तक लगातार जपना मैं सात दिन बाद आऊंगा और वह सन्यासी वहां से चले जाते हैं

सात दिन बाद वह सन्यासी आते हैं तो वह देखते हैं कि सेठ स्वस्थ होने लगता है और सेठ उस सन्यासी को देखकर उनके चरणों में गिर पड़ता है और उनको धन्यवाद कहता है वह सेठ कहता है आपके मंत्र ने कमाल ही कर दिया अब मैं मृत्यु से भयभीत नहीं हूं क्योंकि जब तक मृत्यु नहीं आएगी तब तक मैं अपना जीवन जिऊंगा पहले मैं मृत्यु के डर के कारण जीवन जी नहीं पा रहा था

परंतु आपके मंत्र ने मेरा जीवन ही बदल दिया जब तक उस सेठ को दूसरे सेठ के बारे में नहीं पता चला था तब तक वह केवल धन के बारे में सोचता था और दिन रात उसके धन में वृद्धि हो रही थी और उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता था वह अपने जीवन से खुश था परंतु जब वह मृत्यु के बारे में सोचना शुरू कर दिया तो वह मृत्यु के करीब जाने लगा और ऐसा क्षण आ गया कि वह कभी भी मृत्यु को प्राप्त हो सकता था दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हम जो भीतर और बाहर रखते हैं

वही हमारे जीवन में घटित होने लगता है इसलिए हमें हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए दोस्तों आपको यह कहानी अच्छी लगी तो इस आर्टिकल को अपने दोस्त और परिवार के साथ जरूर शेयर कीजिएगा

https://youtu.be/CgQApD9yB5g?si=Xwgu8ZIpCh7QUSSr

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