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जीवन में फैमली के लिए कुछ करना है तो इसको जरूर पढ़े ।2024

जीवन में फैमली के लिए कुछ करना है तो इसको जरूर पढ़े ।2024

जीवन में फैमली के लिए कुछ करना है तो इसको जरूर पढ़े ।2024 दोस्तों सोचिए आप एक खूबसूरत से जंगल के किनारे खड़े हैं पेड़ सूरज से चमक रहे हैं दूर से चिड़ियां चहचहाना है आप अपनी आंखें बंद कर लेते हैं और ताजी हवा में सांस लेते हैं हवा का एक झोंका महसूस करते हैं

जीवन में फैमली के लिए कुछ करना है तो इसको जरूर पढ़े ।2024

 

लेकिन फिर आप अपनी आंखें खोलते हैं और हकीकत सामने आ जाती है आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में वापस आ जाते हैं तनाव और चिंताओं से घिरे हुए खुशी का भाव जल्दी ही फीका पड़ जाता है उसकी जगह जंगल में उस पल की लालसा ले लेती है हम सभी खुशी की इस लालसा इस एहसास को महसूस करते हैं कि यह हमारे हाथ से दूर है हमें लगता है कि अगर हमें बस वह नई नौकरी वह नया घर या वह नया रिश्ता मिल जाए तो हम आखिरकार खुश हो जाएंगे

लेकिन क्या होगा अगर मैं आपको बता दूं कि खुशी कोई ऐसी चीज नहीं है जो आपको मिलती है बल्कि यह कुछ ऐसी चीज है जिसे आप खुद बनाते हैं इस आर्टीकल में हम एक कहानी के माध्यम से यह सीखेंगे कि कैसे हम खुशी की राह देखना बंद करें और हर पल में उसे ढूंढना शुरू करें हम सीखेंगे कि कैसे सकारात्मक सोच पैदा करें जिंदगी की छोटी-छोटी चीजों की सराहना करें और रोजमर्रा की गतिविधियों में खुशी पाएं एक बार की बात है

एक छोटे से गांव में अर्जुन नाम का एक युवक रहता था उसकी आंखों में हमेशा सपनों की एक चमक रहती थी वह एक साधारण किसान परिवार का बेटा था लेकिन उसके मन में बड़े-बड़े सपने पल रहे थे अर्जुन चाहता था कि वह एक दिन बड़ा आदमी बने और अपने गांव का नाम रोशन करें अर्जुन बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज था वह गांव के स्कूल में सबसे होशियार छात्रों में से एक था लेकिन उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी

उसके पिता खेतों में मेहनत करते थे और मां घर के कामों में व्यस्त रहती थी अर्जुन को अपनी पढ़ाई के साथ-साथ घर के कामों में भी हाथ बटाना पड़ता था अर्जुन भी अपने माता-पिता की मदद करने के लिए खेतों में काम करता था वह जानता था कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है इसलिए उसने अपने सपनों को किनारे रखकर अपने परिवार की मदद करने का निर्णय लिया रोज सुबह अर्जुन जल्दी उठकर खेतों में जाता मिट्टी में अपने हाथों से फसल बोता और अपने माता-पिता के साथ मिलकर काम करता

जीवन में फैमली के लिए कुछ करना है तो इसको जरूर पढ़े ।2024

खेतों में काम करते-करते अर्जुन के हाथ कठोर हो गए थे लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी वह अपने सपनों को दिल में संजोए हुए मेहनत करता रहता लेकिन किस्मत ने एक दिन बड़ा खेल खेला अर्जुन के माता-पिता का देहांत हो गया अब अर्जुन के कंधों पर दो छोटी बहनों की जिम्मेदारी आ गई हर सुबह वह सूरज के उगने से पहले उठता और दिन भर काम करता रहता उसकी जिंदगी बस काम और जिम्मेदारियों के बीच फंसी हुई थी अर्जुन की बहने रीना और मीना अभी छोटी थी और उन्हें अच्छे से पढ़ाना और पालना अर्जुन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी

वह खुद को कभी आराम नहीं देता क्योंकि वह जानता था कि उसके बहनों के भविष्य की जिम्मेदारी उसी पर है सूरज की पहली किरण के साथ ही अर्जुन उठ जाता और घर के सारे काम करता फिर वह खेतों में काम करने चला जाता खेतों में काम खत्म करने के बाद वह गांव के स्कूल में अपनी बहनों को लेने जाता घर लौटकर वह उनकी पढ़ाई में मदद करता और उन्हें अच्छे संस्कार देता अर्जुन का जीवन केवल काम और जिम्मेदारियों में बंधा हुआ था उसने अपने सपनों और इच्छाओं को पूरी तरह से छोड़ दिया था

ताकि वह अपने परिवार की देखभाल कर सके अर्जुन के दोस्त अक्सर दूर दराज के इलाकों में घूमने जाते थे नई जगहों की खोज करते थे जब वे लौटकर आते और अपनी यात्राओं के किस्से सुनाते तो अर्जुन के मन में भी उन जगहों को देखने की इच्छा जाग उठती लेकिन अपनी जिम्मेदारियों के बोझ के तले अर्जुन अपनी इच्छाओं को दबा लेता मेरे पास घूमने फिरने का समय नहीं है वह सोचता मेरा काम है

अपने परिवार का ध्यान रखना और उनकी देखभाल करना एक दिन अर्जुन का सबसे करीबी दोस्त रवि उसके पास आया रवि ने अर्जुन को देखा और बोला अर्जुन मैं तेरी मेहनत और त्याग की बहुत कदर करता हूं तू वाकई अपने परिवार के लिए एक जिम्मेदार इंसान है लेकिन दोस्त तुम्हें अपनी खुशी के लिए भी थोड़ा समय निकालना चाहिए अर्जुन ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया मेरे लिए मेरी खुशी यही है कि मेरी बहनें खुश रहे और हमारा घर अच्छा चले एक शाम अर्जुन काम से थका हुआ घर लौट रहा था

उसका दिन बहुत लंबा और मुश्किल भरा था वह अपने काम से बहुत थका हुआ था और उसके दिमाग में ढेर सारी उलझने चल रही थी रास्ते में उसे एक सुंदर बगीचा दिखा यह बगीचा बहुत ही शांत और हरा भरा था अर्जुन को यह जगह बहुत अच्छी लगी और उसने सोचा कि थोड़ी देर यहां बैठने से शायद उसे भी कुछ राहत मिलेगी अर्जुन बगीचे के अंदर चला गया एक कोने में उसे एक व्यक्ति दिखा जिसका चेहरा बहुत शांत और तेजस्वी था

वह व्यक्ति गहरे ध्यान में था और उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी इस चमक ने अर्जुन को बहुत प्रभावित किया और वह उसकी ओर खींचता चला गया अर्जुन उस चमक से मोहित हो गया और धीरे-धीरे उस व्यक्ति के पास जाकर बोला क्षमा करें मैं देख रहा हूं कि आप बहुत शांति से ध्यान कर रहे हैं मैं अपनी समस्याओं से बहुत परेशान हूं और मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं

उस व्यक्ति ने धीरे-धीरे अपनी आंखें खोली और अर्जुन की ओर मुस्कुराते हुए देखा उन्होंने कहा मैं बोध भिक्षु हूं तुम्हारी क्या समस्या है पुत्र अर्जुन ने अपने दिल का बोझ हल्का करते हुए कहा मैं जिम्मेदारियों के बोझ तले दब गया हूं मेरे माता-पिता के निधन के बाद सारी जिम्मेदारियां मुझ पर आ गई हैं मुझे हर दिन कई काम करने पड़ते हैं और अपने लिए समय नहीं निकाल पा रहा हूं इससे मेरी मानसिक स्थिति भी खराब होती जा रही है

जीवन में फैमली के लिए कुछ करना है तो इसको जरूर पढ़े ।2024

मैं हमेशा चिंतित और परेशान रहता हूं मुझे नहीं पता कि क्या करूं बोध भिक्षु ने ध्यान से अर्जुन की बात सुनी और फिर बोले पुत्र जीवन में समस्याएं और जिम्मेदारियां सभी के पास होती हैं सबसे महत्त्वपूर्ण है कि हम इनसे कैसे निपट हैं चिंता मत करो हर समस्या का समाधान होता है तुम्हें बस थोड़ा शांत होकर अपने अंदर झांकना होगा भिक्षु अर्जुन की ओर देखकर आगे बोले अर्जुन तुम बहुत परेशान हो तुम्हारे सवालों का जवाब तुम्हें मिलेगा लेकिन इसके लिए तुम्हें थोड़ा धैर्य रखना होगा

कल सुबह सूरज उगने से पहले तुम मुझसे नदी के किनारे आकर मिलो वहां मैं तुम्हें तुम्हारी समस्याओं का समाधान दूंगा अर्जुन ने भिक्षु की बात सुनी वह जानता था कि बोध भिक्षुक के पास उसके सवालों के जवाब जरूर होंगे वह रात भर सो नहीं सका क्योंकि उसे अगली सुबह का बेसब्री से इंतजार था अगली सुबह सूरज की पहली किरणें जब धरती पर पड़ी अर्जुन उठ गया वह जल्दी से तैयार हुआ और नदी के किनारे चल दिया रास्ते में उसे तरह-तरह के विचार आ रहे थे

उसे लगा शायद भिक्षु उसे कोई विशेष मंत्र सिखाएंगे या ध्यान की कोई विधि बताएंगे जब अर्जुन नदी के किनारे पहुंचा तो उसने देखा कि बोध भिक्षु पहले से ही वहां बैठे हुए थे बोध भिक्षु नदी की ओर देख रहे थे जैसे वे प्रकृति की सुंदरता में खो गए हो अर्जुन भिक्षु के पास गया और झुककर नमस्कार किया भिक्षु ने मुस्कुराकर कहा अर्जुन तुम्हारी समस्याओं का समाधान बहुत ही सरल है पर इससे पहले हमें इस नदी के उस पार पहुंचना होगा अर्जुन ने नदी की देखा नदी बहुत विशाल थी

नदी का पानी तेज गति से बह रहा था अर्जुन डर गए और बोध भिक्षु से पूछा भिक्षु जी हम इस नदी को कैसे पार करेंगे बोध भिक्षु मुस्कुराए और बोले अर्जुन चिंता मत करो हम इस नदी को अवश्य पार करेंगे यह सुनकर अर्जुन को थोड़ी राहत मिली लेकिन उसके मन में अभी भी संदेह था बोध भिक्षु ने आगे कहा लेकिन हम इस नदी को पैदल पार करेंगे अर्जुन हैरान रह गए और बोला लेकिन भिक्षु जी पैदल पार कैसे करेंगे बोध भिक्षु ने धीरे से कहा अर्जुन धैर्य रखो जब इस नदी का सारा पानी सूख जाएगा और नदी का तल दिखाई देने लगेगा

तब हम इस नदी को पार करेंगे यह सुनकर अर्जुन के चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गए उसे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ अर्जुन ने कहा भिक्षु जी आप क्या कह रहे हैं यह तो असंभव है इतनी बड़ी नदी का पानी भला कैसे सूख सकता है हम अगर इस विशाल नदी के सूखने का इंतजार करेंगे तो हमेशा के लिए हम इंतजार ही करते रहेंगे ऐसा कभी नहीं होगा हम भले ही बूढ़े हो जाएं फिर भी य भी नहीं होगा हमें इस विशाल नदी के सूखने का इंतजार नहीं करना चाहिए बोध भिक्षु ने उसके आश्चर्य पूर्ण चेहरे को देखा और प्यार से कहा अर्जुन तुम्हारी बात सही है

यह नदी अत्यंत विशाल है और इसका पानी कभी नहीं सूख सकता मैं तुम्हें यही बात सिखाना चाहता हूं तुम भी सोच रहे हो कि जब सभी काम खत्म होंगे तब तुम्हारा जीवन बेहतर होगा पर वास्तव में जिम्मेदारियां कभी खत्म नहीं होती वैसे ही जैसे यह नदी कभी पूरी तरह खतम नहीं हो सकती अर्जुन को अब महसूस हुआ कि जिंदगी हमेशा व्यस्त रहेगी उसने सोचा मैं हमेशा सोचता हूं कि जब मेरे सारे काम खत्म हो जाएंगे तब मैं आराम करूंगा लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा

हर दिन कुछ ना कुछ नया काम सामने आ जाता है अगर मैं इसी इंतजार में रहूंगा कि काम खत्म हो जाएं तो मैं कभी खुश नहीं रह पाऊंगा अर्जुन ने बोध भिक्षु से कहा भिक्षु जी आपने मेरी आंखें खोल दी अब मैं समझ गया हूं कि मुझे अपने जीवन का आनंद अभी और यही लेना होगा जिम्मेदारियों के होते हुए भी मुझे खुश रहना सीखना होगा अर्जुन ने बोध भिक्षु से पूछा लेकिन भिक्षु जी यह कैसे संभव है

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मैं अपनी सभी जिम्मेदारियों के बीच से ही अपने लिए समय कैसे निकालूंग बोध भिक्षु ने एक गहरी सांस ली और मुस्कुराते हुए कहा अर्जुन खुश रहने की कुंजी बाहरी परिस्थितियों में नहीं बल्कि हमारी आंतरिक दृष्टिकोण में है अगर तुम चाहो तो हर पल में खुशी ढूंढ सकते हो चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो अर्जुन थोड़े उल न में दिखा और उसने फिर पूछा लेकिन भिक्षु जी जब मैं अपने काम परिवार और अन्य जिम्मेदारियों में व्यस्त रहता हूं

तब मुझे अपने लिए समय निकालना बहुत कठिन लगता है ऐसे में मैं कैसे खुश रह सकता हूं अर्जुन सबसे पहले तो तुम्हें यह समझना होगा कि खुश रहना एक कला है यह कोई बड़ी चीज नहीं है जिसे पाने के लिए बहुत प्रयास करना पड़े यह हमारे छोटे-छोटे कामों में छिपा है

उदाहरण के लिए सुबह उठते ही अगर तुम कुछ देर ध्यान करो गहरी सांसें लो और दिन की शुरुआत शांत मन से करो तो यह तुम्हें पूरे दिन के लिए ऊर्जा और सकारात्मकता देगा या जब भी तुम्हें लगे कि तुम तनाव में हो तो कुछ देर के लिए काम से ब्रेक लो और थोड़ा टहल लो या तुम अपने दिनचर्या में छोटे-छोटे बदलाव कर सकते हो जैसे कि हर घंटे में कुछ मिनट अपने लिए निकालो अपनी आंखें बंद करो और गहरी सांसें लो बोध भिक्षु ने आगे अर्जुन से कहा अर्जुन यही तो जीवन का सार है

हमें हर दिन का आनंद लेना चाहिए अगर हम हमेशा भविष्य की चिंता करोगे तो वर्तमान का सुख खो देंगे जिम्मेदारियां तो जीवन का हिस्सा है लेकिन हमें अपने लिए भी समय निकालना चाहिए अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा आप सही कह रहे हैं भिक्षु जी अब से मैं हर दिन थोड़ा समय अपने लिए निकाल लूंगा चाहे कितनी भी व्यस्तता हो मुझे पता है कि यह आसान नहीं होगा लेकिन मैं कोशिश करूंगा भिक्षु ने कहा अर्जुन जब तुम अपनी दिनचर्या में छोटे-छोटे बदलाव करोगे तो तुम देखोगे कि तुम्हारी जिंदगी कितनी बेहतर हो जाएगी

तुम्हारे अंदर की शांति और खुशी बढ़ेगी जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाना सीखो और देखो कैसे तुम्हारा जीवन खुशहाल होता है अर्जुन ने भिक्षु जी के पैर छूकर कहा धन्यवाद भिक्षु जी आपकी सीख मेरे जीवन के लिए अमूल्य है अब मैं हर दिन का आनंद लेने की कोशिश करूंगा और अपनी जिम्मेदारियों के बीच भी खुश रहना सीखू अर्जुन ने अपने परिवार के साथ भी समय बिताने का का निर्णय लिया उसने सोचा परिवार के साथ समय बिताना बहुत जरूरी है

इससे मुझे खुशी मिलेगी और मेरे रिश्ते भी मजबूत होंगे उसने सोचा मुझे अपने काम को भी सही ढंग से बांटना होगा ताकि मैं हर काम को समय पर पूरा कर सकूं और मेरे पास खुद के लिए भी समय बचे तो दोस्तों यह कहानी यहीं पर खत्म होती है

अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करे आप कमेंट्स में भी बता सकते हैं कि आप आगे किस तरह की कहानियां सुनना पसंद करेंगे तो फिर मिलते हैं अगली कहानीकहानी में नमो बुद्धाय

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