कर्मों का फल एक दिन सबको मिलता है जैसी करनी वैसी भरनी । 2024Everyone gets the fruits of their deeds one day. 2024

कर्मों का फल एक दिन सबको मिलता है जैसी करनी वैसी भरनी । 2024

कर्मों का फल एक दिन सबको मिलता है जैसी करनी वैसी भरनी ।2024 सही कहा है किसी ने दूसरे के साथ किया गया बुरा बर्ताव आपके बर्बादी के सारे रास्ते खोल देता है अगर आप किसी के साथ गलत करते हो तो आपके साथ भी जरूर गलत होगा

उस वक्त शायद यह बात आपको समझ में ना आए लेकिन देर से ही सही आपके कर्मों की सजा आपको जरूर मिलती है

कर्मों का फल एक दिन सबको मिलता है जैसी करनी वैसी भरनी । 2024
कर्मों का फल एक दिन सबको मिलता है जैसी करनी वैसी भरनी । 2024

 

आप इससे कभी बच नहीं सकते जो आपने किया है उसका अंजाम आपको हर हाल में भोगना ही पड़ेगा अगर आप किसी का दिल दुखाते हो या अगर आप किसी के साथ बुरा करते हो तो देर से ही सही लेकिन कभी ना कभी आपको आपके कर्मों का फल भोगना पड़ेगा आइए इस बात को हम एक कहानी की मदद से समझने की कोशिश करते हैं

गौतम बुद्ध हर दिन की तरह उस दिन भी सभा कर रहे थे तब तक एक ने उनसे पूछा कि गौतम बुद्ध कर्मों का फल कैसा मिलता है कृपया इस बारे में आप मुझे समझाएं गौतम बुद्धा कहते हैं एक समय के बाद रामू और श्यामू नाम के एक गांव में दो भाई रहते थे श्यामू अक्सर रामू को देखकर जलता था क्योंकि रामू स्वभाव से बहुत अच्छा था लेकिन श्यामू का स्वभाव ऐसा नहीं था

उसके दिल में दूसरों के लिए कोई दया नहीं था वह हमेशा दूसरों का अनादर करता और उन्हें नुकसान पहुंचाता रहता था धीरे-धीरे काफी वक्त गुजर गया रामू श्यामू के माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे रामू ने खूब अच्छे से उनका अंतिम संस्कार किया और गांव वालों को भोजन के लिए आमंत्रित किया और ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर उनको विदा दिया वह हर साल मां-बाप की बरसी के लिए रामू हर साल पंडितों को दान देता और भोजन कराता

लेकिन श्याम को यह बात पसंद नहीं वह उसे अभी भी देखकर जलता अगले साल रामू ने राजा को बुलाया और राजा के सामने पूरे गांव को खाना खिलाया और दान दिया ताकि उसे मां-बाप स्वर्ग में खुश रह सके यह सब देखकर राजा श्याम से बोलते हैं श्यामू तुम्हारा भाई तुम्हारे मां-बाप के लिए इतना कुछ करता है

कर्मों का फल एक दिन सबको मिलता है जैसी करनी वैसी भरनी । 2024

तुम यह सब क्यों नहीं करते क्या तुम्हें समझ नहीं है कि तुम भी अपने मां-बाप के लिए कुछ ऐसा ही करो श्याम ने  कुछ नहीं बोला और वहां से चला जाता है वह इस बात को लेकर गुस्सा होता है कि आज रामू की वजह से उसकी राजा ने बेइज्जती कर दी वह अपने अपमान का बदला लेने के बारे में सोचता है और अगले दिन एक ढोंग करना शुरू करता है

नगर के सामने जोर-जोर से चीखने लगता है मेरे मां-बाप मेरे सपने में आए थे वह स्वर्ग में खुश नहीं है वह चाहते हैं कि कोई उन्हें वहां जाकर खाना बनाकर खिलाए वो तभी खुश रहेंगे उन्होंने मुझे सपने में कहा था जो रामू को मेरे पास भेज दो वह उनकी बहुत सेवा करता है वह इसके साथ बहुत खुश रहेंगे राजा कहते हैं यह तो अच्छी बात है लेकिन इसके लिए तो रामू को मरना पड़ेगा रामू को सब समझ आता है

यह सब कहीं ना कहीं उसको फंसाने की चाल है लेकिन वह कहता है चलो इसी बहाने में जरूर सेवा करके दिखाऊंगा रामू मरने को तैयार हो जाता है वह राजा से कहता है राजा आप अगले दिन नदी किनारे एक नाव का बंदोबस्त कराए मैं नाव से कूदकर नदी में अपनी जान दे दूंगा और फिर मैं स्वर्ग में जाकर मां-बाप की सेवा करूंगा राजा कहते हैं ठीक है अगले दिन यह सारे बंदोबस्त कर दिए जाएंगे रामू नदी से कूद जाता है

और सरे गांव में सबको पता लग जाता है कि अब रामू इस दुनिया में नहीं रहा अब वह भी मां-बाप की सेवा करने के लिए स्वर्ग चला गया वह बहुत खुश था कि उसका इकलौता भाई दुनिया में नहीं रहा जो भी राज पाठ और जमी है अब वह सब उसका मालिक बनेगा धीरे-धीरे काफी दिन गुजर चले एक दिन अचानक से राजा के दरबार के बाहर रामू बैठा होता है और जोर-जोर से रो रहा होता है राजा के सिपाही दरबार में ले जाते हैं

और बोलते हैं यह चमत्कार कैसे हुआ तुम जिंदा कैसे हो यह सब क्या बला है फिर रामू बताता है मैं स्वर्ग में गया था मैंने वहां देखा लेकिन मेरे बाबा अब भी खुश नहीं है वो मेरे पर गुस्सा हो रहे थे उन्होंने मुझसे बोला तुम्हें वैसे खाना बनाने भी नहीं आता तुमसे अच्छा तो श्याम है वह अच्छा खाना बनता है इसलिए तुम जाओ और तुम उसे भेज दो राजा श्याम को बुलाते हैं

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और सारी बात बता देते हैं कि तुम्हारे भाई ने तुम्हारे मां-बाप के लिए इतना त्याग किया है लेकिन अब तुम्हारी बारी है क्या तुम उनके लिए ऐसा कुछ नहीं करोगे श्याम को अब ना चाहते हुए भी आखिर यह काम करना ही पड़ा है अगले दिन फिर से सारी तैयारी कराई जाती है लेकिन रामू ने सोचा कि अगले दिन मैं जाऊंगा ही नहीं अगले दिन में शहर छोड़कर कहीं चला जाता हूं

फिर रामू ने राजा को सारी बात बता दी थी दरअसल वह जिंदा कैसे बचा उसने पहले ही मछुआरे से अपनी बात कह दिया थी कि वह उसकी जान बचाएगा मछुआरे उसकी जान बचाई और वह एक महीने तक नगर के बाहर रखा और सही वक्त आने पर राजा के दरबार में उपस्थित हुआ वो वैसा सिर्फ उसको सबक सिखाने के लिए करना चाहता था राजा बोले चलो अच्छी बात है

लेकिन उधर श्यामनगर छोड़ने का प्लान बना चुका था कि अगली सुबह वह वहां नहीं जाएगा वह रात के अंधेरे में घर छोड़कर भाग लेता है सिपाही उसे देख लेते हैं और उसे रोकते हैं वह द्वारपाल के साथ लडाई करता है और एक को धक्का देकर वहीं गिरा देता है और पत्थर पर गिरने की वजह से उसे सिर को चोट लगती है और एक सिपाही वहीं मर जाता है आखिरकार यह सारी बात राजा को पता लग जाती है

राजा उसे माफ करने वाले थे लेकिन वह अब और गुस्सा हो जाते हैं फिर अगली सुबह उसे नाव से वैसे धक्का दे दिया जाता है और वह उस नदी में डूब जाता है अब उसे अपनी गलती का बहुत अफसोस होता है कि यह सब उसने यह क्या किया जिंदगी की आखिरी मौके पर भी वह दूसरों का बुरा ही करना चाहा और आखिर में उसे भी अपने जान से हाथ धोने पड़ गई तब गौतम बुद्ध समझाते हैं कर्मों का फल ऐसा ही होता है

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बुरे इंसान को आखिरी वक्त तक सही और गलत की पहचान नहीं होता जिंदगी ऐसी ही नहीं चलती जिंदगी समझने की चीज है उसने महात्मा से पूछा कर्म कैसे बनते हैं फिर महात्मा ने बोला अच्छे कर्म के बनने से पहले हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत है कि आखिर अच्छे कर्मों बनने का सबसे पहला पड़ाव क्या है मनुष्य के द्वारा किए जाने वाले सभी कर्म उसके विचारों से निर्मित होते हैं

हमारी सकारात्मक या नकारात्मक सोच विचारों को जन्म देती है और वही विचार कर्म बनते हैं इस तरह सोच सकारात्मक होने पर ही अच्छे कर्मों का निर्धारण हो सकता है उसने फिर महात्मा से पूछा पाप का फल कब मिलता है फिर महात्मा ने बोला पाप का फल किए गए कर्म पर निर्भर करता है यदि आपके द्वारा किए गए कार्य बुरे हैं और वह अच्छे कर्मों की तुलना में अधिक है तो इसका फल आपको अगले जन्म में भोगना पड़ेगा यदि बुरे कर्म कम है

तो इसका भुगतान आपको इसी जन्म में करना होगा इस प्रकार यह चक्र चलता रहता है जब तुम जिंदगी को समझते हो तब तुम खुद को समझ पाते हो तुम तभी देखोगे कि इस दुनिया में जितने भी जीव जंतु पेड़ पौधे हैं सब तुमसे जुडे हैं उनकी रक्षा करना उनके बारे में अच्छा सोचना और उनका भला करना भी तुम्हारी जिम्मेदारी है जब तुम दूसरों के लिए अच्छा करते हो तो बदले में तुम्हारे लिए भी अच्छा होता है

लेकिन जब तुम किसी दूसरे का बुरा करते हो और तुम्हें लगता है कि तुम्हारे साथ बुरा नहीं होगा और हो सकता है कि शायद उस वक्त तुम्हारे साथ बुरा ना भी हो लेकिन ऐसा कुछ नहीं कभी ना कभी तुमको उसका हरजाना भुगतना ही पड़ता है इसीलिए तुम्हें यहां पर किसी का बुरा करने का कोई हक नहीं है तुम्हें यहां पर किसी के साथ गलत व्यवहार करने का कोई हक नहीं है क्योंकि कर्मों का फल कभी ना कभी मिलतामिलता ही है धन्यवाद ।

कर्मों का फल एक दिन सबको मिलता है जैसी करनी वैसी भरनी । 2024

https://youtu.be/4x7U6rEfZSQ?si=zpgCtWJzM8Pq8K6z

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