कैसे एक गरीब लड़के ने Honda जैसी इतनी बड़ी कंपनी बना दी ?
कैसे एक गरीब लड़के ने Honda जैसी इतनी बड़ी कंपनी बना दी ? Honda कम्पनी 2 करोड़ रुपए हर मिनट कमाती है वो आज कार मोटरसाइकिल हवाईजहाज और रोबोट्स भी बनाती है
लेकिन इसकी सुरवात एक ऐसे गरीब लड़के से हुई थी जिसे खुद बचपन में एक साइकिल भी नसीब नही हुवा। कहानी की सुरवात होती है 1906 में जापान के एक छोटे से गांव में जन्म होता है सोइचिरो होंडा का
उनके पिता एक लोहार थे और मां सिलाई का काम करती थी उनकी माली हालत बहुत खराब थी इतनी खराब की उन्होंने सोइचिरो होंडा के 5 भाई बहनों को बेसिक इलाज भी नही करवा पाए और उन्हें खो बैठे
इस कंडीशन से बाहर निकलने का एक जरिया था पढ लिखकर फ्यूचर में कहीं नौकरी करना बट अनफॉर्चूनेटली सोइचिरो पढ़ाई में भी काफी कमजोर थे लेकिन अभी भी एक उम्मीद बाकी थी और वो थी मशीन बचपन में सोइचिरो अपने ग्रैंडफादर के साथ एक राइस मिल में जाया करते थे इस मिल की खास बात यह थी
कि वहां पे एक पेट्रोल्ड पावर्ड मोटर का यूज करके काम किया जाता था जो उस समय काफी रेयर थी उस मोटर का साउंड उससे निकलता हुआ धुआं और पेट्रोल की स्मेल उन्हें काफी आकर्षक लगती थी इसी को देखते देखते उनका मोटर्स और मशीनस में एक पैशन डेवलप हो गया
11 साल की उम्र में सोइचिरो के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने उनके इसी पैशन को एक लाइफ चेंजिंग डायरेक्शन दिया उन्होंने अपनी लाइफ में पहली बार एक कार देखी थी सोइचिरो उस कार से पूरी तरह झूम उठे थे उसे देखते ही व बिना कुछ सोचे उसके पीछे भागने लगे
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जब कुछ दूर जाके वो कार रुकी तो उसके नीचे थोड़ा सा पेट्रोल लीक हो गया उन्होंने लिटरली नीचे झुककर पेट्रोल को स्मेल किया और उसे अपने हाथों में लगा लिया और इसी वक्त उन्होंने ठान लिया कि वो एक दिन खुद अपनी एक कार बनाएंगे
ईयर 1922 सोइचिरो ने मैगजीन में एक ऐड देखा टोक्यो शहर में शोकोई नाम का एक गैराज था जो वर्कर्स ढूंढ रहा था उन दिनों एक गैराज में कार्स को रिपेयर करना सोइचिरो के लिए एक ड्रीम जॉब थी थी इसीलिए उन्होंने बिना देरी किए जॉब के लिए अप्लाई कर दिया
और लकिली वो हायर भी हो गए उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और केवल 14 साल की उम्र में अपनी मंजिल की तलाश में टोक्यो शहर की ओर निकल पड़े सोइचिरो काफी खुश थे वो फाइनली उन चीजों प काम करने वाले थे जिनके लिए वो सालों से पैशनेट थे
लेकिन रियलिटी तो कुछ और ही थी शुरुआत से ही शिकोई के ओनर ने सोइचिरो को साफ सफाई और बेबी सिटिंग के काम पे लगा दिया महीनों बीत गए लेकिन उन्हें कार्स को छूने तक नहीं दिया गया
वो अब होप खोते जा रहे थे उन्होंने कई बार काम छोड़कर घर वापस जाने का सोचा लेकिन वो केवल इसलिए रुक गए क्योंकि इस फेलियर के बाद उन्हें अपने पेरेंट्स को फेस करने की हिम्मत नहीं थी 1923 में जापान में एक मेजर अर्थक्वेक आया द ग्रेट कांटो अर्थक्वेक पूरे जापान में मैसिव डिस्ट्रक्शन हुआ।
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लेकिन सरप्राइजिंगली यही अर्थक्वेक सोइचिरो के लिए लकी साबित हुआ अर्थक्वेक के बाद शकोई के ज्यादातर मैकेनिक्स अपने-अपने घरों को रिपेयर करने के लिए गांव लौट गए अब गैराज में केवल केवल सोइचिरो और एक और एंप्लॉई बचे थे
इसीलिए फाइनली ओनर को सोइचिरो को कार रिपेयरिंग में लगाना ही पड़ा ना केवल अब वह कार रिपेयरिंग सीख रहे थे पर साथ में टेस्टिंग के लिए उन्हें मोटरसाइकिल्स और कार्स को चलाने का भी मौका मिला सोइचिरो का काम देखकर सभी लोग सरप्राइज थे
वो बहुत जल्द वहां के सबसे बेस्ट मैकेनिक बन गए और उनका एक के बाद एक प्रमोशन होता चला गया उसी दौरान जापान में मोटर स्पोर्ट्स की पॉपुलर बढ़ते जा रही थी इसीलिए शोकोई के ओनर ने सोइचिरो को एक रेसिंग कार असेंबल करने को कहा सोईचिरो ने अमेरिकन कर्टिस बाय पलेन का सेकंड हैंड इंजन लिया और मिल नाम की एक अमेरिकन कार की बॉडी यूज करके एक रेसिंग कार असेंबल कर दी
इस कार का नाम भी कर्टिस रखा गया 1924 की जैपनीज मोटर कार चैंपियनशिप में इस कार ने हिस्सा लिया और फर्स्ट पोजीशन हासिल की और इस रेस में सोइचिरो ने इंजीनियर का रोल निभाया ये सोइचिरो के लिए एक स्पेशल एक्सपीरियंस था
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और इसी के बाद मोटर स्पोर्ट्स सोइचिरो का एक नया जुनून बन गया लेकिन उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि यही ऑब्सेशन आगे चलके उनके लिए लाइफ थ्रेटनिंग साबित होगा
1928 में आट शकोई ने सोइचिरो के टाउन हमामा मात्सू में अपनी एक ब्रांच खोलने का फैसला लिया और पार्टनरशिप बेसिस पे सोइचिरो को इस स्टोर का इंचार्ज बना दिया उसी सोइचिरो को जिसे कुछ साल पहले कार्स को छूना भी अलाउड नहीं था सबको उम्मीद थी कि सोइचिरो की यह शॉप एक इंस्टेंट सक्सेस बन जाएगी
लेकिन हुआ इसका बिल्कुल उल्टा यह शॉप बुरी तरह से फेल हो गई सोइचिरो केवल 21 साल के थे और कोई भी कस्टमर अपनी कार की जिम्मेदारी इतने यंग लड़के को नहीं देना चाहता था इसीलिए उनके गैराज में कस्टमर्स आते ही नहीं थे गैराज को बंद होने से रोकने के लिए सोइचिरो को जल्द ही कोई सॉल्यूशन निकालने की जरूरत थी
उन्होंने ऑब्जर्व किया कि दूसरे गैराज कई बार किसी कार को रिपेयर करने में फेल हो जाते थे या फिर उस कार को रिपेयर करने को इंपॉसिबल बता देते थे ऐसे केसेस में केवल सोइचिरो ही थे जो उन कार्स को रिपेयर करने की गारंटी देते थे और सच में उन्हें रिपेयर कर भी देते थे इसी के चलते उनकी मार्केट में एक स्ट्रांग रेपुटेशन डेवलप हो गई
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अगले कुछ सालों में उनकी शॉप बहुत तेजी से ग्रो हुई 1931 में जब वोह 25 साल के हुए तो व हर महीने 1000 यान का प्रॉफिट अर्न कर रहे थे और उन्होंने 50 लोगों की टीम भी बना ली थी इसी दौरान 1936 तक उन्होंने कई रेसेस जीती और मोटर स्पोर्ट्स में ही अपना फ्यूचर करियर देखने लगे
लेकिन फिर उनके साथ एक भयानक ट्रेजेडी हो गई जुलाई 1936 में कार रेसिंग के दौरान सोइचिरो का मेजर एक्सीडेंट हो गया अब जब सोइचिरो ने हॉस्पिटल में आंखें खोली तो उन्हें पूरी बॉडी में एक्यूट पेन महसूस हो रहा था
उनका फेस बुरी तरह से इंजर्ड था लेफ्ट शोल्डर डिसलोकेट हो चुकी थी और रेस्ट फ्रैक्चर हो चुकी थी सैडली होंडा के पास अब रेसिंग छोड़ने के अलावा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं था
उन्हे पूरी तरह से ठीक होने में 18 महीने लग गए और इस दौरान उन्होंने ऑटो मोबाइल पार्ट्स को मैन्युफैक्चर करने का फैसला लिया वो अब पिस्टन रिंग्स को बनाने वाले थे पिस्टन रिंग कार में लगने वाला एक इंपॉर्टेंट कंपोनेंट होता है
और उस समय काफी डिमांड में भी था उन्होंने गैराज की जिम्मेदारी अपने एंप्लॉयज को दे दी और 1937 में टोकाई सेई नाम की कंपनी को एस्टेब्लिश किया 50 नए एंप्लॉयज हायर किए और काफी एक्सपेंसिव मशीनस भी खरीद ली
कैसे एक गरीब लड़के ने Honda जैसी इतनी बड़ी कंपनी बना दी ?
उन्हें पिस्टन रिंस बनाने का कोई एक्सपीरियंस नहीं था इसीलिए फैमिली ऑफ फ्रेंड्स ने उन्हें इस बिजनेस के अगेंस्ट वर्न किया लेकिन सोइचिरो नहीं माने उनका कहना था कि अगर मैं किसी चीज को केवल एक बार देख लूं तो मैं उसे बना सकता हूं आई कैन बिल्ड एनीथिंग इफ आई सी इट जस्ट वंस वो दिन रात फैक्ट्री में अपने वर्कर्स के साथ काम पे लग गए
कई महीने बीत गए और उनकी सारी सेविंग्स खत्म होने लगी अल्टीमेटली फैक्ट्री को चालू रखने के लिए उन्हें अपनी वाइफ की ज्वेलरी बेचनी पड़ी लेकिन इन सब के बाद भी वो एक प्रॉपर पिस्टन रिंग बनाने में फेल हो गए फाइनली सोइचिरो को रिलाइज हुआ कि उनके पास एक प्रॉपर पिस्टन रिंग बनाने के लिए सफिशिएंट नॉलेज नहीं है इसीलिए उन्होंने 31 की एज में हमामत्सु हाई स्कूल में मेटालर्जी पढ़ने के लिए एक स्पेशल स्टूडेंट के तौर पे एडमिशन ले लिया
उन्होंने अपनी लर्निंग्स को फैक्ट्री में अप्लाई किया और फाइनली नवंबर 1937 में उन्होंने एक एक्सेप्टेबल पिस्टन रिंग बना ली अगले दो सालों में वह अब ना केवल टोयटा बाकी की कंपनीज को भी पिस्टन रींग्स सप्लाई कर रहे थे
और नेवी के लिए भी पार्ट्स और मशीनरी बनाना चालू कर चुके थे 1940 तक उन्होंने एक अच्छा खासी कंपनी बना ली थी और उनका बिजनेस काफी तेजी से बढ़ रहा था लेकिन फिर कहानी में एक मेजर ट्विस्ट आता है
यह वर्ल्ड वॉर ट का टाइम था और जपान और अमेरिका आपस में वॉर लड़ रहे थे वॉर के दौरान एक दिन आसमान से अमेरिकन फाइटर जेट्स ने बमिंग करी और सोइचिरो के प्लांट को बुरी तरह से डैमेज कर दिया वो इस हादसे से रिकवर कर ही रहे थे कि 1945 में हमामा मात्सू एरिया में एक मेजर अर्थक्वेक आता है और उनका प्लांट पूरी तरह से डिस्ट्रॉय हो जाता है
वॉर के बाद तक उनकी सालों की मेहनत और उनकी कंट्री दोनों ही बर्बाद हो चुके थे वो वापस से जीरो पे आ चुके थे सोइचिरो ने अपनी कंपनी के बचे कुचे एसेट्स 45 लाख यन में बेच दिए और काम से ब्रेक ले लिया इसी दौरान उन्हें जैपनीज आर्मी का एक जनरेटर मिला जो आर्मी अपने वायरलेस रेडियोज को चलाने के लिए यूज करती थी
इंजन को एग्जामिन करने के बाद सोइचिरो के मन में एक ऐसा आईडिया आया जिसने आज की होंडा कंपनी की नीव रखी वार के बाद फ्यूल की काफी कमी थी जिस कारण उसका प्राइस बहुत बढ़ गया था इसीलिए ज्यादातर लोगों को हर जगह साइकिल से ही ट्रेवल करना पड़ता था
सोइचिरो का आईडिया था इसी साइकिल को मोटराइज करने का इस काम के लिए उन्होंने 1946 में honda टेक्निकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की सुरवात की अपनी स्किल्स का यूज करके इस मिलिट्री इंजन को मॉडिफाई किया और साइकिल्स में फिट कर दिया जिससे अल्टीमेटली एक अफोर्डेबल मोटरसाइकिल बनके तैयार हो गई
और यह एक इंस्टेंट सक्सेस भी बन गई लेकिन दो प्रॉब्लम्स थी पहली यह कि उनके पास केवल 500 मिलिट्री इंजंस बाकी थ थे लेकिन डिमांड बहुत ज्यादा थी दूसरा यह कि मिलिट्री इंजंस भी पेट्रोल पे चलते थे और पेट्रोल काफी एक्सपेंसिव था इन प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए सोइचिरो ने खुद का इंजन डिजाइन किया
और उसे यूज करके मोटरसाइकिल्स बनाने लगे इन मोटरसाइकिल्स की खास बात यह थी कि इन्हें चलाने के लिए 100% पेट्रोल की जरूरत नहीं थी पाइन ट्री की रूट से बनने वाला रेजिन और पेट्रोल को मिक्स करके जो फ्यूल बनता था ये मोटरसाइकिल्स उससे भी चल सकती थी
यही कारण था कि सोइचिरो की ये जुगाड़ू मोटरसाइकल हाथों हाथ विकी इस सक्सेस के बाद सोइचिरो ने एक प्रॉपर मोटरसाइकिल बनाने का सपना देखा और इसे अंजाम देने के लिए उन्होंने स्टैबलिश किया The Honda Motor Company
और केवल 1 साल बाद 1949 में उन्होंने अपनी एक कंप्लीट मोटरसाइकिल बना ली उन्होंने इसका नाम रखा ड्रीम लेकिन ये मोटरसाइकिल किस्मत से मार्केट में फेल हो गई ड्रीम मोटरसाइकिल की स्पीड और स्टाइल दोनो अच्छा था लेकिन साथ में ये उतनी ही हेवी और एक्सपेंसिव थी
कॉमन जैपनीज मैन के लिए सूटेबल नहीं थी इस फेलियर के बाद सोइचिरो ने ठान लिया कि वो मिडिल क्लास के लिए एक परफेक्ट मोटरसाइकिल बनाएंगे सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह थी कि ज्यादा पावर जनरेट करने वाले इंजंस ज्यादा बड़े और हैवी भी होते थे जिस कारण पूरी बाइक भी हैवी हो जाती थी
इसीलिए 1952 में सोइचिरो ने कब Cub नाम का इंजन डिजाइन किया जो साइज में तो काफी छोटा था लेकिन साथ में बहुत पावरफुल था ये इनोवेशन उस टाइम के हिसाब से एक बहुत बड़ी अचीवमेंट थी और इसीलिए उन्हें जापान का ब्लू बन अवार्ड भी मिला इंजन बन चुका था
और अब बारी थी मोटरसाइकिल बनाने की उन्होंने पूरी दुनिया ट्रेवल की कई एक्सपर्ट से मुलाकात की और मोटरसाइकिल डिजाइन को डीप समझा और फाइनली 1958 में लॉन्च की अपनी रिवोल्यूशन टू व्हीलर द सुपर कब सुपर कब एक अफोर्डेबल और हाईली एफिशिएंट मोटरसाइकिल थी
इसकी सबसे बड़ी खासियत थी कि इसे लिटरली कोई भी चला सकता था इसीलिए लॉन्च होते ही इसने जापान में कंपटीशन को ऑलमोस्ट इंटेंटली किल कर दिया अर्ली 1960 तक honda जैपनीज मार्केट में नंबर 1 बन चुके थे
साथ ही साथ वह लाखो मोटरसाइकिल पास के देशों में एक्सपोर्ट कर रहे थे लेकिन दुनिया के सबसे बड़े मार्केट को कैप्चर करना अभी भी बाकी था और वो मार्केट था अमेरिका उस समय अमेरिका में मोटरसाइकिल की रिपोटेशन काफी खराब थी
वहा के लोग मानते थे की मोटरसाइकिल केवल क्रिम्नल और बाइकर गैंग्स वगैरह यूज करते हैं इस इमेज को बदलने के लिए उन्होंने टाइम लाइफ और लुक जैसी प्रेस्टीजियस और पॉपुलर मैगजींस में अपनी मोटरसाइकिल्स का ऐड किया लेकिन उन्होंने बड़ी ही स्मार्टली किसी भी ऐड में मोटरसाइकिल वर्ड का यूज नहीं किया
honda चाहता था अमेरिका के शरीफ लोग उनके बाइक्स को अपनाए और इसीलिए उन्होंने अपने ads की टैगलाइन को भी बड़ी ही स्ट्रेटजिकली चुना उनकी टैगलाइन थी यू मीट द नाइसेस्ट पीपल ऑन A होंडा उन्होंने साइड में कॉमन लोगो की होंडा चलाते दिखाया
ये मार्केट स्टर्टजी इतनी सेक्सफुल हुई की 1968 तक होंडा ने अमेरिका में 10 लाख मोटरसाइकिल बेच दी और 1973 तक वहां का 43% मार्केट शेयर कैप्चर कर लिया वो एक के बाद एक और नए और इंप्रूव मॉडल लांच करते जा रहे थे
1960 में ही दुनिया के सबसे बड़े मोटरसाइकिल ब्रांड बन चुके थे लेकिन सोइचिरो के बचपन का सपना अभी भी अधूरा था अब टाइम आ चुका था उसे पूरा करने का खुद की कार्स बनाने का 1960 में जापान में पहले से ही toyota Nissan और Suzuki जैसी कंपनीज थी जो कार मार्केट को रूल कर रही थी
कंपटीशन बहुत ही कठिन था इसीलिए सभी ने सोइचिरो को कार्स मैन्युफैक्चरिंग में एंट्री लेने से मना किया लेकिन सोइचिरो डिसीजन ले चुके थे उन्होंने मैसिव टाइम और मनी इन्वेस्ट करके 1963 में अपना पहला फोर व्हीलर लॉन्च किया
लेकिन उनका पहला फोर व्हीलर कोई कार नहीं थी बल्कि t360 नाम का एक पिकअप ट्रक था अनफॉर्चूनेटली ये ट्रक कमर्शियली एक फेलियर था होंडा की सुरवात अच्छी नहीं हुई थी
लेकिन उन्होंने हमेशा की तरह हार नहीं मानी उन्हें मोटरसाइकिल मार्केट में सक्सेस तब मिली थी जब उन्होंने कॉमन मैन के लिए मोटरसाइकिल बनाई थी सिमिलरली 1967 में उन्होंने एक कॉमन जैपनीज फैमिली के लिए एक होंडा N360 लांच की
जो एक स्पेशियस और हाई माइलेज देने वाली कार थी लेकिन उसकी यूएसपी थी उसका प्राइस N 360 अपने कंपेटिटर से 25% सस्ती थी इसीलिए इसने लांच होते ही जैपनीज मार्केट को पलट कर रख दिया
जापान में तो सक्सेस मिल चुकी थी लेकिन अपने फोर व्हीलर से एक ग्लोबल इंपैक्ट करना अभी भी बाकी था 1970 में होंडा ने एक बहुत बड़ा मौका देखा उस समय पूरे वर्ल्ड में एक oil क्राइसेज चल रहा था
जिस कारण फ्यूल बहुत महंगा था साथ में us सरकार ऑटोमोबाइल से होने वाले प्रदूषण के कारण काफी दुखी थी इसीलिए उन्होंने क्लीन एयर एक्ट के थ्रू ऑटोमोबाइल कंपनीज के ऊपर स्ट्रिक्ट रेगुलेशंस लगा दिए मतलब अब उन्हें बिजनेस करने के लिए अपने इंजंस को इस तरह मॉडिफाई करना होगा
जिससे वह कम पोल्यूशन करें इस रेगुलेशन के बाद सभी कार कंपनीज ने लॉयर्स को हायर करके यूएस गवर्नमेंट के अगेंस्ट केसेस फाइल कर दिए लेकिन वहीं दूसरी तरफ होंडा ने काम चालू कर दिया अगले कुछ सालों में होंडा ने सीवीसीसी इंजिन लांच किया
ऑटोमोबाइल की दुनिया में ये एक मेजरब्रेकथ्रू था किसी और कंपनी का इंजन इसके आस पास भी नहीं था होंडा ने 1975 में अपनी इसी इंजन के साथ होंडा सिविक को लांच किया ये कार सरकार और कॉस्ट्यूमर्स दोनो को 100% सेटिस्फाई कर रही थी
और इसने अमेरिकन कार मार्केट को हिला के रख दिया होंडा सिविक आगे चलकर one of the best कार में से एक बनी इसके नए मॉडल्स आज भी मार्केट में बिकते है
होंडा ने इसके बाद पीछे मुड़कर नही देखा फाइनली होंडा कार्स ने ऐसी कार्स बना ली थी जिसने उनके साथ-साथ पूरे वर्ल्ड को फैसिनेट किया था
जापान के एक छोटे से सहर के लड़के का बड़ा सपना अब पूरा हो चुका था सोइचिरो होंडा का कहना था की सक्सेस is 99% failure हम सब फेलियर से कही न कही डरते है लेकिन सोइचिरो होंडा की ये स्टोरी ये प्रूफ करती है कि फेलियर किसी की भी जर्नी का एक क्रुशल हिस्सा है
धन्याबाद
कैसे एक गरीब लड़के ने Honda जैसी इतनी बड़ी कंपनी बना दी ?
कैसे एक गरीब लड़के ने Honda जैसी इतनी बड़ी कंपनी बना दी ?