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क्या है BYJU’S के सफलता और अचानक से विफलता की कहानी ?

क्या है BYJU’S के सफलता और अचानक से विफलता की कहानी ?

BYJU’S के सफलता

Byju रवींद्रन का जन्म सन 1980 में केरला में हुवा था उनके माता पिता एक लोकल सरकारी स्कूल में अध्यापक थे

रवींद्रन को बचपन से ही दो चीजों से गहरा लगाव था

  1. स्पोर्ट
  2. मैथमेटिक्स

हर मिडिल क्लास फैमली की तरह उनकी भी फैमली ने उन्हें 2 ऑप्शंस दिया पहना डॉक्टर या इंजीनियर रवींद्रन ने इंजीनियरिंग चुनी साल 2000 में उन्होंने इंजीनियरिंग पूरा किया

और 2001 में एक शिपिंग फार्म में नौकरी करने लगे लेकिन 2 साल बाद रवींद्रन के जीवन में कुछ ऐसा हुआ जिसने उनके पूरे जीवन को बदल दिया

क्या है BYJU’S के सफलता और अचानक से विफलता की कहानी ?

उनके कुछ दोस्त iims में एडमिशन लेने के लिए कैट एग्जाम को पास करना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने रवींद्रन की मददत मांगी रवींद्रन ने अपने सभी दोस्तों को पढ़ाया और साथ में खुद भी कैट का एग्जाम दे दिया

12 में से 4 दोस्तो ने तो कैट क्लियर कर ही लिए साथ में रवींद्रन ने भी पास कर लिया लेकिन उन्होंने कोई भी iims ज्वाइन नही किया और अपनी पहले की ही जॉब चालू रखा

2005 उन्होंने फिर से कैट एग्जाम दिया जिसमे उन्होंने फिरसे 100% स्कोर किया जिसके बाद रवींद्रन चारो तरफ से कैट टॉपर के नाम से प्रसिद्ध हो गए और उनसे पढ़ने के लिए स्टूडेंट्स की लाइन लग गए

कुछ ही समय में उन्हें मालूम हो गया की उन्हें टीचिंग बहुत पसंद है और ओ अपनी पूरी लाइफ यही करना चाहते हैं

2006 में उन्होंने एक छोटी सी क्लास से सुरवात की byjus क्लासेज for कैट की लेकिन बहुत ही जल्द ये क्लास बहुत बड़े ऑटोटोरियम में शिफ्ट हो गई जहा वो एक साथ 1200 बच्चो को पढ़ाने लगे

बायजुस की क्लासेज प्रीमियम माडल पर चलती थी पहली क्लास फ्री होती थी उसके बाद पैसे लगते थे अब रवींद्रन का पढ़ाने का तरीका काफी प्रैक्टिकल था वो मार्क से ज्यादा अच्छे से दिमाग में उतार कर पढ़ाने पर फोकस करते थे

क्या है BYJU’S के सफलता और अचानक से विफलता की कहानी ?

 

जिन बच्चो को बचपन से रट्टा मारकर पढ़ना सिखाया गया था उनके लिए ये लाइफ चेंजिंग थी  इसीलिए उनसे फ्री क्लासेज लेने वाले 10 में से 9 बच्चे पेड़ क्लासेज ले लेते थे

इस सक्सेस को देखते हुए रवींद्रन ने इसे 4 सहर मुंबई पुणे चेन्नई और बेंगलूर तक फैला दिया इन्ही क्लासेज के दौरान उनकी मुलाकात कई होनहार स्टूडेंट और अपनी फ्यूचर वाइफ दिव्या गोकुलनाथ से हुई

2009 तक रवींद्रन ने अपने टीचिंग स्किल और क्लासेज को 9 शहरो तक फैला दिया था वो दिन रात मेहनत करते थे

उनके हर क्लास में स्टूडेंट्स इतने ज्यादा होते थे की सबके डाउट्स क्लियर करने का समय नहीं था इसीलिए रवींद्रन ने अपने कंटेंट को इस तरह से डिजाइन किया था की सबको उनके डाउट्स के जवाब मिल जाए

उनके मेहनत के कारण देखते देखते कई और शहरो से byjus की डिमांड कई और शहरो से आने लगी लेकिन रवींद्रन का इन सभी शहरो में जा जा कर संभव नहीं था।

और वो 24 घंटे काम कर के थक भी चुके थे और इसीलिए रवींद्रन ने बायजूस को ऑनलाइन करने का फैसला लिया

2009 में उन्होंने V. S.A.T. यानी very smart aperture turminal सैटलाइट बेसेड ब्रॉडकास्ट टेक्नोलॉजी यूज की ओर अपने लेक्चर को 45 शहरो में ब्रॉडकास्ट किया इस टेक्नोलॉजी के साथ वो एक बहुत बड़ी कंपनी की नीव रख चुके थे

2011 में और एक्सपेंड करने के लिए think and learn privet Ltd को बनाया और पैसिनेट टीचरों की एक टीम बनाई और सबसे महत्वपूर्ण स्कूल ट्यूशन में एंट्री ली उस समय करीब 25 करोड़ स्कूल गोइंग स्टूडेंड थे और ये बात रवींद्रन को अच्छे से समझ आ गया था की अगर उन्हे सबतक पहुंचना है तो एक मोबाइल ऐप लांच करना होगा

2013 में बायजूस ने मनिपाल ग्रुप से 26% इक्विटी के बदले 50 करोड़ रुपए की फंडिंग  उठाए और साथ ही साथ अपने ऐप को डेबलॉप करना चालू कर दिया

Byjus ने देखा की हर स्टूडेंट की लर्निंग अप्रोच और और स्पीड डिफरेंट होती है इसीलिए बायजू ने सारी अप्रोच अपने ऐप में डाल दी। और तो और, स्टूडेंट्स जिस पेज पर कंफर्टेबल थे, उस पेज पर लेसंस ले सकते थे।

बायजू को पता था कि स्टूडेंट्स ऑलरेडी फोन पर गेम्स और मूवीज पर काफी टाइम स्पेंड करते हैं। इसका मतलब स्टूडेंट्स का ध्यान पढ़ाई में तभी आएगा, जब एजुकेशनल कॉन्टेंट की क्वॉलिटी गेम्स और एंटरटेनमेंट कॉन्टेंट से सिमिलर हो।

इसीलिए बायजू ने एक्सपर्ट टीचर्स, मोशन ग्राफिक्स आर्टिस्ट्स, थ्रीडी डिजाइनर्स और प्रोफेशनल म्यूजिशियंस को हायर किया। अपने कंटेंट को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने के लिए करोड़ों के इन्वेस्टमेंट और सालों की मेहनत के बाद फाइनली टू थाउजेंड फिफ्टीन में लॉन्च हुआ बायजू लर्निंग ऐप।

ऐप के अलावा बाई जूस, टैबलेट्स और। एसडी कार्ड में भी प्रीलोडेड कोर्सेज सेल करता था। इन दोनों ही प्रोडक्ट्स के लॉन्च होते ही कस्टमर्स ने बहुत अच्छा रिस्पॉन्स दिया और इसे देखते हुए जून में सिकोइया ने बायजू में 25 मिलियन डॉलर लगाए। सिक्सटीन में मार्क जकरबर्ग की ऑर्गेनाइजेशन ने फिफ्टी मिलियन डॉलर्स इनवेस्ट किए।

करोड़ों की फंडिंग के बाद बायजू का अब केवल एक एम था सेल्स। बायजू ने कई फ्रेश इंजीनियरिंग ग्रेजुएट को हायर किया और एक एग्रेसिव सेल्स टीम बनाई। इनकी सेल्स प्रोसेस काफी क्लेवर थी। इसकी शुरुआत होती थी बायजू के टीवी ऐड से। पेरेंट्स बायजू का ऐड देखते थे और बायजू का ऐप डाउनलोड कर लेते थे। उसके कुछ दिन बाद बायजू का एक सेल्समैन उन्हें कॉल करता था और उनके साथ एक पर्सन काउंसलिंग सेशन बुक कर लेता था।

काउंसलिंग सेशन के दौरान सेल्स मैन सबसे पहले बच्चे से उसके इंटरेस्ट और एम्बीशन के बारे में पूछकर उससे एक पर्सनल बॉन्ड, एक रैपो बिल्ड कर लेता था। उसके बाद बच्चे से कुछ ऐसे क्वेश्चंस पूछे जाते थे, जिसके आंसर्स वह न दे पाए। जैसे एक कॉमन क्वेश्चन था कि एक सर्कल में कितने प्वॉइंट्स होते हैं। ज्यादातर बच्चे इसका आंसर नहीं दे पाते थे और यही तो बायजू का सेल्समैन चाहता था।

फिर सेल्समैन अपने टैबलेट पर रविंद्रन की एक हाई क्वॉलिटी वीडियो दिखाता था, जिसमें वह एक्सप्लेन करते हैं कि एक सर्कल में इन फाइनल प्वाइंट्स होते हैं। इसके बाद पेरेंट्स से एक सिंपल क्वेश्चन पूछा जाता था। अगर आपका बच्चा इतने बेसिक कॉन्सेप्ट का आंसर नहीं दे पा रहा तो वह बोर्ड और उसके बाद के कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स में कैसे परफॉर्म करेगा। इस क्वेश्चन के बाद पेरेंट्स अपने बच्चे के फ्यूचर को लेकर गिल्ट और नर्वस महसूस करते थे।

पेरेंट्स की इसी फीलिंग को एक्सप्लॉइट करते हुए सेल्स मैन बायजू लर्निंग ऐप को ऐसा सॉल्यूशन पेश करता था। डील को क्रिएटिव बनाने के लिए 50 पर्सेंट की स्कॉलरशिप ऑफर की जाती थी और हंड्रेड परसेंट रीफंड का ऑप्शन भी दिया जाता था। अगर पेरेंट्स तब भी न खरीदें तो फिर सेल्समैन अपना ब्रह्मास्त्र निकालता था। बच्चे से कुछ और सवाल पूछे जाते थे, जिसके आंसर वह न दे पाए।

फिर इन सवालों से जुड़े टॉपिक्स की वीडियो दिखाई जाती थी और उन्हीं सवालों को दोबारा पूछा जाता था। इस बार वह बच्चा इन सवालों के जवाब बिल्कुल सही देता था। बच्चे की इस इम्प्रूवमेंट को देखकर पेरेंट्स काफी इंप्रेस हो जाते थे और अब तक वह बच्चा भी बायजू का टैबलेट लेना चाहता था। फाइनली पेरेंट्स फी पे कर देते थे और बायजू की एक सेल क्लोज हो जाती थी। यह एक ऐसी सेल्स ट्रिक थी जो कभी फेल नहीं होती थी।

इसी सेल्स मॉडल के बेस पर बायजू बुलट की रफ्तार से ग्रो करता चला गया। चीन में वन बिलियन डॉलर्स प्लस की वैल्यूएशन के साथ बायजू इंडिया का पहला टेक यूनिकॉर्न बन चुका था और मार्च तक करीब 4 करोड़ यूजर्स के साथ उसकी वैल्यूएशन करीब आठ बिलियन डॉलर्स तक पहुंच गई कि तभी कुछ ऐसा हुआ, जिसने बायजू की ग्रोथ को और भी बढ़ा स्पीड बूस्ट दे दिया।

क्या है BYJU’S के सफलता और अचानक से विफलता की कहानी ?

 

 

क्या है BYJU’S के सफलता और अचानक से विफलता की कहानी ?

क्या है BYJU’S के सफलता और अचानक से विफलता की कहानी ?

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