चिंता मैं खुद को बर्बाद मत करो, अगर परेशान हो तो एक बार जरूर पढ़े । 2024
चिंता मैं खुद को बर्बाद मत करो, अगर परेशान हो तो एक बार जरूर पढ़े । 2024 यह बात उन दोनों की है जब बुद्ध मार्बन में अपना समय व्यतीत कर रहे थे इस समय तक बुद्ध की प्रसिद्ध दूर-दूर तक फेल चुकी थी बहुत दूर-दूर से लोग अपनी चिंता और परेशानियां का समाधान हेतु बुद्ध के पास आते थे
ऐसे ही एक दिन जब बुद्ध मार्बन में अपने शिष्यों को प्रवचन दे रहे थे तभी एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति अपने नौजवान पुत्र को अपने साथ लिए बुद्ध की तरफ चला ए रहा था जब यह प्रवचन स्थल के पास पहुंच गए तो बुद्ध ने एक नजर उन पर डाली और इशारे से बैठने के लिए कहा जब प्रवचन समाप्त हो गए और सभी लोग वहां से चले गए तो बुद्ध ने उसे व्यक्ति को अपने पास बुलाया और बैठने के लिए कहा वहां चारों तरफ हरियाली छी हुई थी मौसम बहुत सुहाना था और तरह-तरह के पक्षियों की आवाजें गुज रही थी
ऐसा नजर देखकर उसे व्यक्ति को अंदर से असीम शांति महसूस हो रही थी इसके बाद बुद्ध ने उसे व्यक्ति से आने का करण पूछा तो इस पर व्यक्ति ने कहा तथागत मैं दो दिन की लंबी यात्रा करके अपने पुत्र को आपसे मिलवाने लाया हूं यह मेरा इकलौता पुत्र है और ये हर समय थक थक राहत है ऐसा लगता है जैसे इसके अंदर कोई जान ही ना हो इसका स्वभाव भी काफी चिड़चिड़ा सा हो गया है अगर हम इससे कुछ भी कहते हैं तो यह हमारी छोटी-छोटी बटन पर गुस्सा हो जाता है इसके देखने की क्षमता भी उम्र से पहले ही कमजोर हो गई है और इसके बाल भी सफेद पढ़ने लगे हैं
इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी उम्र का लगा मुझे तो कुछ समझ नहीं ए रहा है तथागत मैं अपने पुत्र के स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंतित हूं जब मैं अपने पुत्र को वेद जी के पास लेकर गया तो उन्होंने कुछ औषधि दी और कहा अपने पुत्र को तनाव कम लेने के लिए कहो वह अपने दिमाग में बहुत अधिक तनाव लेट है इसलिए उसकी ऐसी हालात हो गई है
लेकिन मैंने उसको बहुत समझने के बाद भी तनाव का मतलब समझ नहीं आया मुझे नहीं पता की तनाव होता क्या है यह किन कर्म से आता है और उसे कैसे अपने पुत्र के दिमाग से निकालो लेकिन मुझे सबसे पहले तो यह समझना है की तनाव होता क्या है
इसीलिए तथागत मैं आपके पास आया हूं कृपया आप मेरी समस्या का समाधान कीजिए ये सुन बुद्ध उसके पुत्र को बड़े ध्यान से देखते हैं उसके चेहरे को देखते हैं उसकी आंखों को देखते हैं और फिर उसके हाथों की लब्ज को भी देखते हैं ये सारी विधि करने के पश्चात बुद्ध उसे व्यक्ति से कहते हैं की तनाव लेना तो कोई नहीं चाहता लेकिन फिर भी इतना लोगों के दिमाग को दीमक की तरह पकड़ लेते है और व्यक्ति जान भी नहीं पता है की वह तनाव में जी रहा है लेकिन अगर व्यक्ति तनाव के कर्म को अच्छे से समझ लेते है और तनाव के बारे में कोई ऐसा पैमाना बना लेते है
चिंता मैं खुद को बर्बाद मत करो, अगर परेशान हो तो एक बार जरूर पढ़े । 2024
जिससे वह जान सके की वह कितने तनाव में है तो वह इस समस्या का समाधान भी खोज सकता है सबसे पहले तो तुम यह समझो की तनाव होता क्या है जब भी कोई व्यक्ति कोई काम कर रहा होता है लेकिन उसका मान कही दूर भटक रहा होता है कल्पनाओं में होता है तो उसके शरीर और मन के बीच एक दूरी पैदा हो जाति है यह दूरी जितनी अधिक होगी व्यक्ति उतनी ही ज्यादा बेहोशी की अवस्था में होता है और शरीर वी मन के बीच की इसी दूरी और खिंचाव को तनाव कहा जाता है
आखिर कोई पसंदीदा खेल खेलने के बाद व्यक्ति चुस्ती और प्रसन्नता से क्यों भर जाता है जबकि उसने तो अपने शरीर को थकाया है लेकिन समझने वाली बात यह है की खेलते समय मन और शरीर एक साथ पुरी तरह से उसे खेल में केंद्रित होते हैं जिससे शरीर और मन के बीच दूरी पैदा नहीं होती और कोई तनाव पैदा नहीं होता और अगर दिमाग में कोई तनाव था तो वह भी दूर हो जाता है लेकिन इसके विपरीत जब हम कोई ऐसा कम करते हैं जो हमें पसंद नहीं है तो हमारा शरीर तो उसे कम को कर रहा होता है
लेकिन हमारा मां कहानी दूर कल्पनाओं में भटक रहा होता है जिससे शरीर और मन के बीच एक दूरी पैदा हो गई और तनाव ने जन्म ले लिया इसीलिए व्यक्ति को एक समय पर सिर्फ एक ही कम करना चाहिए और अपने तन और मन की सारी शक्ति इस एक कम पर लगा देनी चाहिए जिससे व्यक्ति के अंदर तनाव पैदा ही ना हो इसके बाद बुद्ध ने कहा तनाव पैदा होने के मुख्य आठ करण होते हैं और जिसने इन कर्म को समझ लिया वो जीवन भर तनाव मुक्त कर सकता है मुख्य कर्म में सबसे पहले करण है
अति महत्वाकांक्षी होना महत्वाकांक्षी होना अच्छी बात है लेकिन क्या कभी आपने इस बात पर ध्यान दिया है की इंसान के लक्ष्य कभी पूरे ही नहीं होते हैं उसका एक लक्ष्य पूरा हुआ नहीं की वह दूसरे की तरफ भागने लगता है दूसरा पूरा हुआ तो तीसरी की तरफ और इस तरीके से वह अपने लक्षण को अपने के लिए जिंदगी भर गोल घूमता राहत है इसीलिए जो व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी होता है जिसने बड़े-बड़े लक्ष्य बनाए होते हैं वह वर्तमान में कभी नहीं पता है उसका मन सदैव भविष्य की योजनाएं बनाने में ही व्यस्त राहत है
उसका शरीर तो वर्तमान में राहत है लेकिन मन भविष्य में ही राहत है जिससे मन और शरीर के बीच दूरी पैदा हो जाति है और वह तनाव भारी जिंदगी जीने लगता है बुद्ध के मुंह से यह बात सुनो उसे लड़के ने कहा है बुद्ध तो फिर इसका मतलब है की हमें लक्ष्य नहीं बनाना चाहिए क्योंकि लक्ष्य बनाना भी तो महत्वाकांक्षा ही है इस पर बुद्ध ने कहा जीवन में लक्ष्य बनाना कोई गलत बात नहीं है लेकिन समस्या तब उत्पन्न होती है जब वो अपना पूरा ध्यान उसे लक्ष्य से मिलने वाले परिणाम पर ही लगा देते हैं और उसके परिणाम की चिंता करते रहते हैं
चिंता मैं खुद को बर्बाद मत करो, अगर परेशान हो तो एक बार जरूर पढ़े । 2024
व्यक्ति को वर्तमान में जीना आना चाहिए आप लक्ष्य बनाया और उसे लक्ष्य की प्रताप के लिए कड़ी मेहनत करिए लेकिन साथ ही साथ आपको इस बात का भी ज्ञान होना चाहिए की आप अभी वर्तमान में जी रहे हैं और वर्तमान ही सत्य है का दूसरा सबसे बड़ा करण है ईर्ष्या करना है जब व्यक्ति ईर्ष्या और जलन से भर जाता है तो उसका मन अंदर से सड़ने लगता है ईर्ष्या एक आंतरिक घाव है आंतरिक घाव यानी मन का घाव व्यक्ति के शरीर का घाव तो भर सकता है लेकिन मन का घाव कभी नहीं भर सकता
इसीलिए व्यक्ति को दूसरे की खुशी और तरक्की से कभी ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए क्योंकि ईर्ष्या तनाव का करण है इसके बाद बुद्ध ने तनाव का तीसरा करण बताते हुए कहा की आरुषि पूर्ण कम ना करना इससे भी मां में तनाव पैदा होता है जो कम करना हमें पसंद ही नहीं है जी कम में हमारी रुचि ही नहीं है उसे कम में हमारा मन ग ही नहीं पाएगा हमारा शरीर तो वही बैठा रहेगा लेकिन हमारा मने कल्पनाओं की उड़ान भरेगा जिससे शरीर और मन के बीच दूरी पैदा हो जाति है और व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाता है
इसीलिए इंसान को हमेशा अपनी रुचि के अनुसार ही कार्य करना चाहिए अगर व्यक्ति ने यह पता कर लिया की उसे कौन सा कम करना पसंद है और वह इस कम को अपने जीवन का लक्ष्य बना लेता है तो फिर वह काम उसके लिए काम नहीं बल्कि एक खेल बन जाता है फिर बुद्ध ने कहा तनाव का चौथ करण होता है किसी दूसरे से अच्छा रखना बुद्ध ने उसे व्यक्ति की और इशारा करते हुए कहा एक पिता होने के नाइट तुम्हारी अपने पुत्र से बहुत सी अपेक्षाएं होगी की तुम्हारा पुत्र एक बहुत ही कामयाब इंसान बने तुम्हारा नाम रोशन करें
जैसा तुम चाहते हो उसी तरह का जीवन जिए तुम्हारी हर बात माने लेकिन क्या आज तक कभी किसी की साड़ी अपेक्षाएं पुरी हुई है जब भी कोई व्यक्ति किसी दूसरे से कोई अपेक्षा रखना लगता है तो वो अनजाने में अपने लिए तनाव पैदा करने लगता है जरा सोचो की अगर तुम्हारा बेटा तुम्हारे अनुसार काम नहीं कर रहा है और वो नहीं बन का रहा है जो तुम उसे बनाना चाहते हो तो निश्चित रूप से तुम्हारे दिमाग को तनाव तुम्हें पकड़ लगा तुम तनाव से भारत जीवन जीना शुरू कर डॉग और इस तनाव के बस में आकर तुम ऐसा व्यवहार करोगे
ऐसी बातें करोगे की तुम्हारा अपने पुत्र के साथ संबंध और भी खराब चला जाएगा इसीलिए व्यक्ति को जितना हो सके उतनी कम अपेक्षाएं दूसरों से रखती चाहिए और अगर पुरी तरह से तनाव मुक्त रहना है तो दूसरों से अपेक्षा रखना ही बैंड कर दो इसके बाद बुद्ध ने कहा की शारीरिक कष्ट भी इंसान के तनाव का एक करण होता है जब व्यक्ति किसी शारीरिक पीड़ा से गुर्जर रहा होता है तो उसका पूरा ध्यान अपने उसे शारीरिक दर्द पर होता है और वो पूरे दिन बस इस के बड़े में सोचता राहत है
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जिससे उसका मां दुख के विचारों से भर जाता है और ऐसी स्थिति में व्यक्ति तनावग्रस्त रहने लगता है यह सुन उसे व्यक्ति ने कहा की है बुद्ध शारीरिक दुख तो किसी भी व्यक्ति को हो सकता है तो फिर क्या हुआ व्यक्ति जीवन भर तनाव में ही जिएगा इसका जवाब देते हुए बुद्ध ने कहा की इंसान को यह बात समझनी चाहिए की हमारा जीवन दुखों का आधार है जैसे-जैसे हमारा जीवन आगे बढ़ता है इसमें दुख आते हैं बीमारियां आई है और फिर अंत में मृत्यु भी आई है तो बीमारियां इंसान के जीवन अभिन्न अंग है
कोई इसे बैक नहीं सकता बस किसी के जीवन में यह समय से पहले अ जाति है तो किसी के बाद में आई है जब इंसान का मन इस बात को अच्छे से समझ लगा तो फिर वह अपनी बीमारी के बड़े में सोच सोच कर ज्यादा तनाव नहीं लगा क्योंकि यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है और इसके लिए व्यक्ति को शारीरिक रूप से भी अभ्यास करते रहना चाहिए अपने जीवन में व्यायाम और स्वस्थ जीवन शैली को भी जगह देनी चाहिए ताकि उसका शरीर लंबे समय तक निरोगी रहकर सही से कम कर सकें
तनाव का अगला करण होता है अपनी योजनाओं को समझना के लिए समय ना देना कुछ लोगों के दिमाग में कोई विचार आया ही नहीं की वह बिना सोच समझे उसे पर कम करना शुरू कर देते हैं और जब उसे कम में उन्हें असफलताअसफलता मिलती है तो वह तनाव से भर जाते
चिंता मैं खुद को बर्बाद मत करो, अगर परेशान हो तो एक बार जरूर पढ़े । 2024
https://youtu.be/rbo4CznCCPk?si=fI8X0-5qFZmGQGi6