ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स का बिजनेस मॉडल कैसे काम करता है ?

ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स का बिजनेस मॉडल कैसे काम करता है ?

ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स का बिजनेस मॉडल कैसे काम करता है ?
ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स का बिजनेस मॉडल कैसे काम करता है ?

 

ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स का बिजनेस मॉडल कैसे काम करता है ? दोस्तों आज के इस वीडियो में हम लोग डिस्कस करने वाले हैं क्रिकेट बैटिंग के पूरे बिजनेस मॉडल के ऊपर

क्यों यह बैटिंग वेबसाइट्स इस टाइम इंडिया में बहुत ज्यादा पॉपुलर हो रही है आखिर यह क्रिकेट बेटिंग वेबसाइट्स का बिजनेस मॉडल क्या है कैसे यह इंडिया में प्रॉफिट कमा रही है या फिर कैसे यह बिजनेस को रन कर रही है

और क्यों बड़े यूट्यूबर क्यों बड़े ब्रांड्स क्यों बड़े सेलिब्रिटीज इसको प्रमोट कर रहे हैं और मैं आपको यह बता दूं कि इस टाइप की जो वेबसाइट्स है फिर वो चाहे व एक बट हो गया लोटस 365 हो गया डी बुक हो गया या जो भी इस टाइप की वेबसाइट च रही है मार्केट में

इस टाइप की वेबसाइट्स पे सिर्फ वो लोग बेट नहीं खेल रहे हैं जो जिनका काम है बेट खेलना या जो बुकीज है या जो बेट लगाने में इंटरेस्ट रखते हैं इस पे आजकल वो लोग भी बेट खेल रहे हैं जो प्रोफेशनल्स है जो वाइट कलर जॉब करते हैं

मैं उन लोगों को देख रहा हूं बेट इस पे खेलते हुए इसके पीछे का रीजन है कि एक्चुअल में देखो पहले क्या होता था अगर आपको बेट लगाना है तो पहले आपको कोई बुकी को फाइंड करना है बुकी को जाके आपको अमाउंट देना है और अगर जीत गए तो आपको बुकी से जाके पेमेंट लेना है

अदर वाइज लॉस हो गए तो भूल जाओ सेम सिनेरियो यहां पे है लेकिन ये ऑनलाइन हो चुका है दूसरा चीज आप पहले अगर बेट खेलने जाते थे तो एक शर्म की बात होती थी कि यार यह बंदा सट्टा खेलता है

सटोरी है या बेट खेलने जाता है या फिर अगर वो जीत जाता था तो ये दो नंबर का पैसा है ऐसा बहुत लोग बोलते थे लेकिन जब से ये सब कुछ ऑनलाइन हो गया तब से आदमी इंस्टॉल कर लेता है अपने फोन में एप्लीकेशन चुपके से अपने वो वेबसाइट पे गया इजली प्ले कर पा रहा है

 खेल भी ले रहा है सामने वाले बंदे को पता भी नहीं चल रहा है इसकी वजह से ये जो वेबसाइट्स है बहुत ज्यादा पॉपुलर हो रहे हैं इंडिया में ज्यादातर तो इंडिया में बहुत ज्यादा लोग इसे खेल रहे हैं ठीक है

अब हम इनके बिजनेस मॉडल को समझते हैं उसके पहले ये समझते हैं क्यों ये बड़े यूट्यूबर क्यों ये बड़े ब्रांड्स क्यों बडे सेलिब्रिटीज इन सब एप्लीकेशन इन सब वेबसाइट्स को प्रमोट कर रहे हैं

ये पहले समझो देखो क्या है दोस्तों ये आपको भी पता है कि ये जो गैंबलिंग  वेबसाइट्स होती हैं यहां पे इनकम कितना ज्यादा होता है इस टाइप की वेबसाइट पे प्रॉफिट बहुत ज्यादा होता है गए हाल फिलहाल में कुछ एक साल पहले आपने देखा होगा

एक जूस वाला 5000 करोड़ का धंधा करके बैठा है टाइगर श्रॉफ और भी पता नहीं कौन-कौन से बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज को वो अपनी शादी में बुला रहा है 300 करोड़ की खर्चा कर रहा है वो अपने शादी में तो सोचो कितना ज्यादा प्रॉफिट होगा

ठीक है तो ये लोग मान के चलिए कि अगर इनके वेबसाइट पर अगर 1000 यूजर्स भी है तो ये अच्छा खासा प्रॉफिट कमा लेते हैं ठीक है जो बड़े ऐसे गैलिंग वेबसाइट्स हैं वो तो बहुत ज्यादा कमाते हैं

अगर इसका थोड़ा सा आपको झलक देखना है तो आप एक बार गोवा जाइए गोवा में कनोज वगैरह में एक बार जब आप विजिट करोगे तो आपको देखने को मिलेगा या ठीक है तो उन लोग को अच्छा खासा पैसा मिल जाता है जिसकी वजह से प्रमोट कर देते हैं

और ये गैंबलिंग  वालों को बहुत ज्यादा प्रॉफिट हो रहा है इसकी वजह से ये लोग उन लोगों को बुला के प्रमोट करवाते हैं ठीक है अब समझते हैं हम लोग कि इनका बिजनेस मॉडल क्या है क्रिकेट बैटिंग वेबसाइट में ना दोस्तों मैं सिर्फ क्रिकेट वर्ड नहीं यूज करूंगा

एक्चुअली स्पोर्ट्स बैटिंग वेबसाइट या फिर कसीनो जैसी वेबसाइट्स में तो बिजनेस मॉडल होता है वो दो तरीके का होता है एक बी टू बी एक बी टू सी बी टू बी से मेरा मतलब है बिजनेस टू बिजनेस यहां पे मैं यूज करना चाहूंगा

वर्ड बुकी टू बुकी ठीक है मतलब अगर आपने एक वेबसाइट बना लिया आप क्या चाहते हो कि मैं डायरेक्टली कस्टमर्स को ना देके डायरेक्टली बुकीज को दूं उन के अंदर जो कस्टमर्स है क्योंकि क्या होता है ये पूरे ऐसे बिजनेस मॉडल में एक दूसरे के ऊपर भरोसा होना बहुत मुश्किल होता है

तो अगर एक बुकी है आप उसको जानते हो आप उसको पैसा देते हो हमेशा  क्योंकि वो आपको टाइम पे विड्रॉ दे रहा है तो आपके सामने कोई दूसरा बुकी या कोई दूसरा ब्रांड आ गया कितना भी अच्छा हो लेकिन आप उसपे ट्रस्ट नहीं करोगे

तो ट्रस्ट फैक्टर बहुत मैटर करता है यहां पे इसलिए लोग क्या करते हैं बी टू बी वाले बुकी टू बुकी यानी कि वो लोग बुकीज को पकड़ते हैं अपनी वेबसाइट पे लाते हैं और वो जो बुकीज रहते हैं वो लोग अपने अंदर कस्टमर्स लाते हैं

और इसी सेम वेबसाइट पे प्ले होता है गेम ठीक है अब ये जो बैट की वेबसाइट होती है ना बी टू बी में इसमें भी पैनल्स रहते हैं मतलब वो जो बुकी है एजेंट पैनल उसको एजेंट पैनल दे दिया गया अब वो अपने अंदर जो कस्टमर जोड़ रहा है उसको एक्स वाई जड वही खिला रहा है

सब कुछ ठीक है एक्स वाई जड जो भी प्रॉफिट होगा वही बुकी खा रहा है बट जिसने ये पैनल दिया है वो उस प्रॉफिट का जस्ट 10% ले लेता है तो क्योंकि ये गेम ऑनलाइन हो रहा है और ज्यादा लोग खेल रहे हैं तो बुकी को भी फायदा हो जाता है

और ये जो जिसने बनाया वेबसाइट उसको भी फायदा हो जाता है जिसने जितना मतलब उसने जो बुकीज जोड़े उसको भी फायदा हो जाता है ठीक है इसमें एक और चीज है वो है बी टू सी बिजनेस टू कस्टमर या आप कह लीजिए बुकी टू कस्टमर ठीक है अब इसमें क्या होता है

अब बुकी टू कस्टमर मैं नहीं बोलूंगा मैं इंडिविजुअली बोलूंगा बीटीसी मतलब ये कोई भी बना सकता है अब इसमें ये होता है आपने एक वेबसाइट बना लिया आपने उसमें मल्टीपल गेम्स डाल दिए क्रिकेट टेनिस फुटबॉल कसीनो के जो टेबल्स रहते हैं

व कसीनो के आज बहुत सारे टेबल्स है हर वेबसाइट्स पे 140 से ज्यादा टेबल्स हैं और इनके जो ब्रांड्स होते हैं वो जो टेबल्स मैं बोल रहा हूं ना उस टेबल के ऊपर ब्रांड होता है जैसे एवोल्यूशन इंकी ये सब ब्रांड के अलग-अलग टेबल्स होते हैं

तो बहुत लोगों को एवोल्यूशन पे ट्रस्ट है बहुत लोगों को इकी पे ट्रस्ट है अब ये जो मैं नाम बोल रहा हूं इंकी ये नाम आपको समझ में आ रहा है कहां से आ रहा है इसकी एपीआई ये डाटा कहां से आता होगा यस आप सही सोच रहे हो चाइना से आ रहा है ये सारा डाटा चाइना से आता है

जो एपी कसीनो वगर जो भी चल रहा है तो अब बी टू सी वाले क्या करते हैं कि ये लोग एक बढ़िया वेबसाइट बना लेंगे यहां पे सारे स्पोर्ट्स की बेटिंग वेबसाइट्स गैंबलिंग  वेबसाइट्स रहेंगी और एक साइड में सारे कसीनो के गेम्स रहेंगे

तो ये लोग सब कुछ उसमें मतलब पूरा एक वेबसाइट बनाते हैं डेवलपर से उसके बाद में मार्केट में लॉन्च करेंगे और क्रिकेट बैटिंग की जो वेबसाइट्स रहती है अब ये लोग क्या करते हैं उसमें पैनल्स दे देते हैं

जैसे कि सुपर मास्टर मास्टर एजेंट सुपर एजेंट क्लाइंट अब ये जो आपको मैं  की बता रहा हूं जैसे सुपर मास्टर है वो मास्टर को पैनल देगा वो मास्टर जो है वो एजेंट को पैनल देगा फिर वो सुपर एजेंट को देगा फिर वो क्लाइंट के पास पैनल जाएगा

इस तरीके से क्योंकि एक ही बंदा सब हैंडल नहीं कर सकता जिसकी वजह से वो इस एक तरह से बुकीज ही होते हैं सारे जिसको देते हैं और वो क्लाइंट लाते हैं प्ले करवाते हैं इस तरीके से पूरा गेम चलता है ठीक है अब इसमें एक बड़ी प्रॉब्लम ये है कि ऐसे गेम्स में ना एपीआई की बहुत प्रॉब्लम आती है

और आपको बता दूं मैं एपीआई स्पोर्ट्स की एपीआई मिलना तो इजी है लेकिन जो कसीनो की एपीआई होती है वो इंडिया में तो कोई रन कर नहीं रहा क्योंकि इंडिया में इलीगल है ये तो ये एपीआई आती भी चाइना से हैं कुछ चाइना से आती है कुछ अदर कंट्रीज से आती है

जिसको इंप्लीमेंट करके ये कंप्लीट वेबसाइट बनती है अब इसका अगर मैं डेवलपमेंट कॉस्ट का बात करूं एसी वेबसाइट का तो विद ऑल गेम्स सभी कसीनो टेबल्स एंड ऑल क्रिकेट टेनिस फुटबॉल ये अराउंड 15 टू 20 लाख के आसपास डेवलपमेंट कॉस्ट आता है

और इसकी एपीआई का खर्चा आप ये समझ के चलिए एक डेढ़ से 2 लाख के आसपास खर्चा आता है बट ये डिपेंड करता है ये जो मैं आपको प्राइसिंग बता रहा हूं ये डिपेंड करता है कि आपको कौन-कौन से गेम्स चाहिए आपको क्या-क्या फंक्शनैलिटी चाहिए

क्योंकि फंक्शंस तो इसमें बहुत ज्यादा  रहते हैं मैंने ना एक एडमिन पैनल दिखाया था इसका क्रिकेट का कि ये ऐसा ऐसा रहता है इसमें ऐसे-ऐसे प्ले होते हैं इसमें लोग ऐसे बैटिंग लगाते हैं तो क्योंकि इसमें कैलकुलेशन बहुत टफ होता है

जिसकी वजह से इसका डेवलपमेंट कॉस्ट बहुत हाई होता है इसमें एक छोटे से कैलकुलेशन मिसिंग पे पूरा गेम चेंज हो सकता है छोटा सा कैलकुलेशन मिस हुआ जितने भी कस्टमर्स ने बेट लगाया सीधा ओनर का पूरा पूरा लॉस है

और अगर आपने लॉस में विथड्रावल चले जाते क्योंकि इसमें ट्रस्ट फैक्टर बहुत मैटर करता है आई होप दोस्तों आपको ये क्रिकेट बिजनेस मॉडल समझ में आ गया होगा।

Please follow and like us:

Leave a comment

error

Subscribe for more information