उसने दुबारा जनम लिया अपने कातिलों को पकड़ने के लिए एक सच्ची घटना
1985 आगरा से 17 किलोमीटर दूर बाल गांव में तोरन सिंह उर्फ टीटू अभी दो साल का भी नहीं हुआ था कि उसने साफसाफ बोलना शुरू कर दिया था टीट सबसे छोटा बालक है सुनने में तो यह हर मां-बाप के लिए खुशी की बात होती है
कि उनका बच्चा बोलने लग जाए बट टीटू के केस में यह क्वालिटी उसके पेरेंट्स के लिए खुशी से ज्यादा चिंता का कारण बन गई थी टीटू जब दो साल का हुआ तो अजीब तरह की बातें करने लगा था मेरे पिताजी से कहना कि वह मेरी बीवी और बच्चों का ध्यान रखें
क्योंकि मुझे यहां खाना मिल रहा है लेकिन मुझे उनकी फिक्र हो रही है जब टीटू की मां ने पूछा कि वह किसकी बात कर रहा है तो उसने जवाब दिया कि वह अपने असली परिवार की बात कर रहा है जो इस वक्त आगरा में है
वह बार-बार अपने पेरेंट से कहता कि तुम लोग मेरे असली मां-बाप नहीं हूं और मेरे असली माता-पिता आगरा में है वह अचानक रोना शुरू कर देता अपनी मां से कहता कि मैं बस यूं ही आ गया हूं और मुझे अपने असली घर जाना है
मुझे वहां की बहुत याद आ रही है हम पूछते थे कि हम कौन हैं तो यह बताता था कि हम तुम्हारे घर के नहीं है शुरुआत में तो उसे सबने बच्चा समझकर इग्नोर किया जो ओबवियसली हर कोई करेगा एंड इसे एक बच्चे की इमेजिनेशन समझा 1988 3 साल बीत गए 5 साल के टीटू ने अब जो बातें और हरकतें करनी शुरू की उसने मां-बाप को गहरी चिंता में डाल दिया
एक दिन टीटू बोला कि उसका असली नाम सुरेश वर्मा है और उसकी बीवी उमा से उसको दो बेटे हैं जिनका नाम रोमू और सोमू है मेरी बहू का नाम उमा है मेरे पापा जी का नाम चंदा भारती है उसका आगरा में एक बंगला है और सदर बाजार में सुरेश रेडियोज नाम से दुकान भी है
की दुकान है वो मेरी और इतना ही नहीं उसने बताया कि कैसे शाम को अपनी कार से घर लौटते वक्त दो आदमियों ने उसे आकर सर पर गोली मार दी थी जिससे उसकी ऑन स्पॉट मौत हो गई थी कभी कहता है मेरे गोली मारी कभी कहता है मेरे माता-पिता तुम नहीं हो उसने यह भी बताया कि कैसे उसका अंतिम संस्कार किया गया कभी कहता है
मुझे हॉस्पिटल ले जाने के बाद में शमशान भूमि ले गए पिछले तीन सालों से घर वाले वैसे भी उसकी उल्टी सीधी बातें सुनते आ रहे थे लेकिन इस तरह की बात उसने पहली बार की थी शमशान भूमि में आग लगा दी और पानी डाल के मुझे यमुना में फेंक दिया एक 5 साल का बच्चा अपने बीवी और बच्चे होने की बात करने लगे और यह बताने लगे कि कैसे पिछले जन्म में उसकी मौत हुई थी
तो आपके मन में क्या आएगा फिलहाल यह खबर पूरे गांव में फैल गई और वहां सबको एक ही बात लग रही थी और वो यह थी कि टीटू के ऊपर भूत आ गया है भूत प्रेत की थ्योरी तो वैसे भी हमारे देश के गांव में सबसे पहले आ जाती है
इसलिए टीटू के केस में भी वही हुआ टीटू का नेचर अपनी उम्र के बच्चों से कहीं ज्यादा अलग हो गया था था वो भले ही 5 साल का लेकिन उसकी भाषा शैली लहजा हावभाव और बोलने का तरीका बड़ों जैसा हो गया था
वो अपने मां-बाप की गरीबी का मजाक उड़ाने लगा वो अपनी मां से कहता कि मेरी बीवी तुम्हारी तरह ऐसी फटी पुरानी साड़ी नहीं पहनती मम्मी मेरी मा तो 2 2000 की साड़ी पहनती है तुम गंदी धोती से बाहर मत जाओ करो वो ये भी कहता कि मैं इस गंदे से घर में नहीं रह सकता इसलिए मैं अपने बंगले रहने जा रहा हूं
यह कहकर वो बिल्कुल एक बड़ी उम्र के शख्स जैसे सूटकेस निकालकर अपने कपड़े पैक करने लगता झोला अपने छोटे-छोटे कपड़ा भरे और झट चल ले तो जब घर वाले उसे डांट लगाकर रोकते
तो वो उन्हें घर से भाग जाने की धमकी देता वह नॉर्मली कहीं पर पैदल या बस से जाने को तैयार नहीं होता और बोलता कि उसको सिर्फ अपनी कार से ही चलने की आदत है
टीटू अपने छह भाई बहनों में सबसे छोटा था उसका इस तरह का बर्ताव मां-बाप के लिए एक बहुत बड़ी परेशानी बन चुका था मां को मां नहीं समझता है पापा को पापा नहीं समझता है भाइयों को भाई नहीं समझता है और हमेशा इसी रट में लगा रहता है कि मैं आपके यहां तो दिन काट रहा हूं इसलिए उन्होंने अपने सबसे बड़े बेटे अशोक से इन सब बातों की सच्चाई पता करने को कहा
आखिर यह सब बातें कहां से आ रही थी क्या यह टीटू का एक इमेजिनेशन था या कोई उसे यह सब सिखा रहा था इन सब बातों में कितनी सच्चाई है इसको परखने के लिए टीटू का भाई अशोक अपने एक दोस्त के साथ गांव से आगरा के सदर बाजार की ओर चल पड़ा क्योंकि टीटू अक्सर यही बोलता था
कि उसके सुरेश रेडियो नाम से वहां पर एक दुकान है अशोक और उसका दोस्त वहां पहुंचकर इस नाम से दुकान को ढूंढते रहे लेकिन ऐसे नाम की दुकान ना मिलने पर एक जगह थक कर बैठे ही थे कि अशोक की नजर एक बोर्ट पर पड़ी सुरेश रेडियोज वही नाम जिसका जिक्र टीटू करता रहता था
अशोक चौक गया क्या टीटू की कहीं बाकी सारी बातें भी सच थी क्या टीटू सुरेश का ही पुनर्जन्म था या फिर यह कोई इत्तेफाक था
1983 आगरा सुरेश आगरा का एक बिजनेसमैन था जिसकी सदर बाजार में सुरेश रेडियोज नाम से इलेक्ट्रॉनिक की शॉप थी सुरेश का आगरा में एक बंगला था जिसमें वह अपनी वाइफ उमा दो बच्चे मां-बाप और भाइयों के साथ रहता था 28 अगस्त 1983 टीटू के जन्म से चार महीने पहले शाम के वक्त सुरेश अपनी सफेद फिट कार से घर को वापस लौट रहा था
जहां पर पहले से ही दो बदमाश घात लगाए बैठे थे सुरेश ने गाड़ी अपने घर के गेट के सामने रोककर हॉर्न बजाया ही था कितने में उन दो बदमाशों ने उस पर गोलियां चला दी गोली का शोर सुन जब तक घर वाले भाग कर बाहर आ पाते तब तक सुरेश की जान चली गई थी
गोली कनपटी के दाई तरफ लगी थी बाद में सबने कहा सुरेश की गाड़ी की स्टेप नहीं खराब हो गई है मगर जब गोलियों की आवाज थी दोनों बदमाश मौके से भाग गए थे ये बात 1983 की है सो उस वक्त आज के जैसे इतने ज्यादा लोग नहीं होते थे
इतनी ज्यादा पॉपुलेशन नहीं थी और तो और घटना शाम की थी इसलिए ऐसा एक भी गवाह नहीं मिला जिससे ने इनमें से किसी एक बदमाश को देखा हो लिहाजा बिना किसी को सजा हुए पुलिस ने इस केस को क्लोज कर दिया सुरेश जा चुका था दो बच्चे बूढ़े मां-बाप और घर चलाने की जिम्मेदारी अब उसकी पत्नी उमा पर थी इसलिए अब सुरेश की जगह उमा शॉप संभालने लगी
अब चलते हैं यहां से 5 साल आगे 1988 में उसी दिन जहां टीटू का भाई अशोक उसी शॉप के आगे हैरान खड़ा हुआ था अशोक शॉप के अंदर जाता है जहां उसे एक लेडी मिलती है पता चलता है कि वो सुरेश की वाइफ उमा है
अशोक उनसे कहता है कि वह सुरेश से मिलना चाहता है जिस पर उमा पूरा किस्सा बताती है अशोक के पैरों तले जमीन खिसक गई थी क्योंकि जो जो उमा ने बताया वह सारी बातें टीटू बोला करता था वाइफ का नाम बच्चे दुकान का नाम डेथ का कारण सब कुछ कभी-कभी सच इतना भारी हो जाता है
कि वह आसानी से हजम भी नहीं होता वहीं दूसरी तरफ सुरेश की वाइफ उमा ने अशोक से उसका परिचय पूछा कि वह आखिर है कौन और उसको सुरेश से क्या काम था अब बारी थी उमा के शॉक्ड होने की अशोक ने बताया कि वह आगरा से 17 किमी दूर बाड़ गांव में रहता है
उसने अपने यहां आने की पूरी वजह डिटेल में बताना शुरू की इन सब बातों पर यूं ही विश्वास करना आसान नहीं होता है और वही उमा के साथ भी हुआ उमा ने कहा कि हो सकता है टीटू ने न्यूज़पेपर में ये सब पढ़ लिया होगा क्योंकि यह उस वक्त का सबसे बड़ा केस था
इस पर अशोक ने कहा कि वह यह सब तब से बता रहा है जब उस उमर के बच्चे ठीक से बोलना नहीं सीख पाते अब यह उमा के लिए एक अजीब सी सिचुएशन थी वह एक तरफ क्यूरियस भी थी वहीं दूसरी तरफ मन में उठ रहे ढेरों सवाल से कंफ्यूज भी उमा ने अपने सास ससुर यानी सुरेश के पेरेंट्स को पूरी बात बताई
वो भी शॉक्ड लेकिन एक तरफ यह सोचकर खुश भी कि उनका बेटा वापस आ गया है अशोक ने सच को और पुग करने के लिए सुरेश के परिवार वालों से अपने घर बाढ गांव चलने के लिए कहा अशोक ने कहा कि बिना बताए अचानक घर चलकर देखते हैं
कि वो आप लोग को देखकर पहचान पाता है या नहीं और आप टीटू से अपने सवाल जवाब कर लेना बेचैनी घबराहट क्यूरियोसिटी जैसे अनेक इमोशंस दिल में लिए सुरेश के घर वाले अशोक के साथ टीटू से मिलने चल दिए
वही टीटू जिसमें शायद उनको अपना सुरेश दोबारा देखने को मिल जाए उस टाइम टीटू खाना खा रहा था लेकिन जैसे ही उसने दरवाजे पर खड़े सुरेश के परिवार वालों को देखा वो भागता हुआ उनके पास पहुंचा और सबके गले लग गया वह जोर-जोर से बोलने लगा देखो मेरे मां बाबू जी आप गए
अपने मां-बाप को बुलाकर लाया और सुरेश के पेरेंट्स को अपने असली माता-पिता बताने लगा ओ मैं आई पापा जी आए माता जीी आई लेकिन जैसे ही उसकी नजर उमा पर पड़ी वह शर्मा गया एक 5 साल का बच्चा अचानक एक एडल्ट मेल की तरह एक्ट करने लगा
उसने उमा को इशारे से अपने बगल में बैठने के लिए बुलाया और बच्चों का हालचाल लेने लगा टीटू ने उमा से डोलपुर के मेले से जुड़ी कुछ बात की जिसे सुनते ही उमा हैरान हो गई क्योंकि यह सब बातें सिर्फ सुरेश और उमा के बीच ही हुई थी
मिलने के बाद जब सब वापस जाने लगे तो टीटू ने देखा कि बाहर ने इससे पहले कभी कार देखी नहीं थी और उस वक्त तो इतनी गाड़ियां भी नहीं होती थी लेकिन यह देखकर ऐसा लग रहा था मानो उसके लिए यह सब नया नहीं है
टीटू ने सोचा कि अब वह भी उनके साथ आगरा जा रहा है लेकिन जैसे ही उसे समझ आया कि वोह लोग उसे अपने साथ नहीं ले जा रहे व पूरी तरह भड़क गया अपनी मां पर चिल्लाने लगा अपने पिता से हाथापाई करने लगा वोह भागकर सुरेश के फादर चंदा सिंह के गले लग गया
क्योंकि उसके दिल में वही उसके असली पिता थे फिर उन्होंने उसे प्यार से समझाया और वादा किया कि वह जल्दी ही उससे मिलने आएंगे उसी के बाद एंड में यह डिसाइड हुआ कि अब एक दिन टीटू को आगरा बुलाया जाए ताकि वह अपनी पास्ट लाइफ की मेमोरीज को कंफर्म कर सके
टीटू ने ना सिर्फ दावे के अकॉर्डिंग अपने पिछले जन्म के मां-बाप पहचान लिए थे बल्कि अपनी पत्नी और उससे की गई पर्सनल बातें भी डिस्क्लोज कर दी थी इससे यह डाउट तो काफी हद तक मिट गया था
कि यह सब जानकारी उसे कहीं से पढ़कर नहीं मिली लेकिन दूसरी तरफ इससे टीटू के मां-बाप की चिंता और भी ज्यादा बढ़ गई थी एक मां-बाप बाप के लिए इससे बुरा क्या होगा जब उनका बच्चा किसी और को अपने माता-पिता मानने लगे एक मिक्स्ड फीलिंग से वो जूझ रहे थे
मन में सवाल आ रहे थे हम तो सर हैरान है इसलिए जब मान लो बड़ा हो गया तो उसके बाद में हम लोगों से संबंध ही बिल्कुल खत्म कर देगा टीटू को आगरा लाया गया लेकिन उसके पहले ही टीटू के सच को परखने के लिए कुछ प्री प्लानिंग कर ली गई थी
टेस्ट वन कार में बैठकर आते हुए टीटू को मिसलीड करने के लिए सुरेश के भाइयों ने गाड़ी दुकान पर नहीं रोकी बल्कि शॉप के सामने से तेजी से निकल गए
यह देखने के लिए कि वह जगह पहचान पाता है या नहीं जैसे ही गाड़ी दुकान के सामने से गुजरी उसने जोर से आवाज लगाई रोको रोको मेरी दुकान तो पीछे ही रह गई है तुम आगे कहां चले जा रहे उसने वह जगह रास्ता मार्केट दुकान कार के अंदर बैठे-बैठे ही पहचान लिया था
वह भी तब जब कार इतनी तेज चल रही थी यह वही कर सकता था जो परसों से उन रास्तों से हजारों बार गुजरा हो अब बारी थी टीटू को शॉप के अंदर ले जाने की
टेस्ट टू टीटू दुकान के अंदर एंट्री करता है लेकिन उसकी चाल बॉडी लैंग्वेज एक 5 साल के बच्चे की नहीं एक शोरूम के मालिक की जैसी हो गई उमा ने देखा वह जिस तरह से स्टूल पर बैठा उसके हाथ चलाने का तरीका सब सुरेश जैसा ही था
इतना ही नहीं उसने यह तक पहचान लिया कि दुकान का कौन सा हिस्सा रिनोवेट किया गया है और कौन सा हिस्सा उसके यानी सुरेश के जिंदा रहते एज इट इज था रिजल्ट पास टीटू के लिए एक आखिरी इम्तिहान और बाकी था
टेस्ट थ्री दुकान के बाद टीटू को सुरेश के घर लाया गया लेकिन उसके आने से पहले ही सुरेश के दोनों बच्चों को घर के बाहर मोहल्ले के बच्चों के साथ खेलने के लिए भेज दिया गया लेकिन यहां पर भी टीटू फेल नहीं हुआ
उसने उन मोहल्ले के बच्चों के बीच सुरेश के दोनों बच्चों को पहचान लिया रिजल्ट पास सभी के लिए इतने सारे एविडेंसेस काफी थे यह मानने के लिए कि टीटू सिंह सुरेश वर्मा का पुनर्जन्म है लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती मीडिया में यह केस हर जगह छा गया था
इसकी जानकारी डीयू के प्रोफेसर एन के चड्ढा को मिली प्रोफेसर चड्ढा डॉ यान स्टीवेंसन के साथ रिसर्च टीम में थे डॉर यान स्टीवेंसन यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के एक वेल नोन एंड हाईली रिस्पेक्टेड प्रोफेसर थे जो रिइन कार्नेट पुनर्जन्म पर की गई साइंटिफिक रिसर्च के लिए फेमस थे
उन्होंने पुनर्जन्म के ऊपर काफी सारी बुक्स भी लिखी थी डॉक्ट इयान स्टीवेंसन की एडवाइस पर एंटोनिया मिल्स जो एक रिसर्चर और उनकी कलीग थी टीटू के केस को क्लोजल स्टडी करने लगी सुरेश की फैमिली ने बताया था कि जो सुरेश का नेचर था
वह काफी अग्रेसिव और था छोटी-छोटी बातों पर वह लड़ाई झगड़ा कर लेता था डॉक्टर मिल्स ने नोटिस किया कि टीटू का नेचर भी इसी तरह का होता जा रहा था एक बार डॉक्टर मिल्स टीटू के साथ मार्केट चूड़ी लेने गई थी
वहां पर उसने दुकानदार को धमकी दे डाली और उससे कहा कि एंटोनिया उसकी दोस्त है तो गलती से भी उनसे पैसे ना मांग लेना इस इंसिडेंट का जिक्र डॉक्टर मिल्स ने अपनी रिस सर्च पेपर में भी किया है
अब सबसे बड़ा सवाल यह था कि क्या टीटू को सुरेश के कातिलों के बारे में पता था क्या उसने उनका चेहरा देखा था जिसने उसकी पिछले जन्म में जान ली थी तोरन सिंह उफ टीटू एक 5 साल का बच्चा अब ऐसे खुलासे करने वाला था
जिसने मीडिया जगत में आग लगा दी टीटू ने बताया कि 28 अगस्त 1983 की शाम जिस दिन उसको गोली मारी गई उसने उन दो बदमाशों में से एक का चेहरा पहचान लिया था और वह शख्स कोई और नहीं उसी का यानी सुरेश का ही एक साथी बिजनेसमैन था
अच्छी बात यह थी कि आगरा पुलिस ने इस केस को सीरियसली लिया पुलिस ने टीटू के बयान के आधार पर उस आदमी को उठा लिया और शक्ति से पूछताछ की जिस कारण उसने अपना अपराध कबूल कर लिया
इस कबूल नामे के आधार पर 1983 सुरेश वर्मा मर्डर केस को रिओपन किया गया यह पहली बार था जब पुनर्जन्म से जुड़ा कोई केस कोर्ट में आया था गवाही के लिए टीटू को बुलाया गया उसने भी कोर्ट में पूरा इंसीडेंट डिटेल में बताया केस के सबसे बड़े टर्निंग पॉइंट थे पोस्टमॉर्टम एंड बर्थ मार्क रिपोर्ट सुरेश के सर पर जिस तरह गोली मारी गई थी उसी तरह दो निशान टीटू के सर पर मिले
जब उसके बाल हटाए गए तो पाया गया कि उसके सर में बिल्कुल वैसे ही दो निशान थे जिसका साइज और शेप सुरेश के सर पर लगी बुलेट के एंट्री और एग्जिट वं से मिलता था
डॉक्टर इयान स्टीवेंसन ने अपनी रिसर्च में मेंशन किया है कि बर्थ मार्क और पास्ट लाइफ की इंजरी के बीच कनेक्शन होता है और यही मान्यता हिंदू धर्म में भी है कोर्ट में डॉक्टर एंटोनिया मिल्स के टीटू से जुड़े रिसर्च पेपर भी सबमिट किए गए
इन सभी सबूतों के आधार पर आगरा कोर्ट ने यह मान लिया कि टीटू ही सुरेश का पुनर्जन्म है और सुरेश के कातिलों को सजा हुई यह एक रिवोल्यूशन और कंट्रोवर्शियल सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिसकी जान लेकर वह बच निकले थे वो दोबारा जन्म लेकर फिर लौटेगा उनको उनके किए की सजा दिलाने
अब एक आखिरी बड़ा सवाल क्या टीटू अपने पिछले जन्म वाले माता-पिता के पास चला गया या फिर उसने अपने इसी जन्म के मां-बाप को ही अपना माना सुरेश भले ही टीटू के रूप में वापस आया था लेकिन वह सुरेश तो नहीं था
माना आत्मा वही थी लेकिन शरीर तो एक बच्चे का था ना उमा के लिए वो उसका हस्बैंड रह गया था और ना ही उसके बच्चों के लिए वह एक पिता सुरेश के फादर भी जानते थे कि अगर उन्होंने टीटू से नजदीकियां बढ़ाई
तो टीटू के मां-बाप जीते जी अपने बेटे से दूर हो जाएंगे और एक बेटे को खोने का दर्द वो पहले से ही जानते थे दोनों परिवार अपनी-अपनी जिंदगी में वापस लौट गए टीटू ने भी दोहरी यादों के साथ अपने बचपन को जिया और अपने गांव में रहकर ही पढ़ाई लिखाई की आज टीटू सिंह जिनका असली नाम तोरन सिंह है
बीएचयू में असिस्टेंट प्रोफेसर है और उनको आज भी सब कुछ याद है व अक्सर आगरा अपने पिछले परिवार से मिलने भी जाते हैं आज उनका मानना है कि हम दोहरी जिंदगी नहीं जी सकते जो कल बीत गया सो बीत गया
और जो बाकी है वह है हमारा आज पुनर्जन्म का यह अनोखा केस हमें सिखाता है कि लाइफ एक सीधी लकीर नहीं एक सर्कल है जहां शुरुआत और अंत एक जगह आकर मिल ही जाते हैं तो यह था आज का केस