2024 विनाश की तरफ एक और कदम।
इस वक्त आप दुनिया में जहां भी हो चाहे वहां बादल छाए हो सूरज चमक रहा हो बारिश हो रही हो या फिर बर्फ पड़ रही हो लेकिन सबसे बड़ा सच यही है कि यह पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है 2024 विनाश की तरफ एक और कदम।
वैज्ञानिक कहते हैं कि अभी-अभी जो फरवरी का महीना बीता है वह रिकॉर्ड पर मौजूद अब तक का सबसे गर्म फरवरी का महीना है और बात सिर्फ एक महीने की नहीं है बल्कि बीते 9 महीनों से हर महीना अपने औसत तापमान के मुताबिक सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया है
और इसकी शुरुआत जून 2023 से हुई तब से हर महीना रिकॉर्ड कायम कर रहा है ऐसा रिकॉर्ड जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है जो अपने साथ पहले से ज्यादा प्राकृतिक संकट और आपदाएं लेकर आ रहा है
इंशानो की वजह से पैदा हुए जलवायु संकट के असर यहां भी साफ दिखाई देते हैं तापमान बढ़ने की वजह से पृथ्वी के ध्रुवों पर हजारों साल से जमा बर्फ तेजी से पिघल रही है
इससे समुद्र का जल स्तर बढ़ता जा रहा है और दुनिया के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है यूरोपीय जलवायु परिवर्तन एजेंसी c3s के आंकड़े बताते हैं कि बीते 12 महीनों के दौरान औसत तापमान में जो वृद्धि दर्ज की गई है वह औद्योगिकीकरण के दौर से पहले के मुकाबले डेढ़ डिग्री सेल्सियस से कहीं ज्यादा है यह वह दौर था जब हमारे जीवन में मशीनें नहीं थी
2024 विनाश की तरफ एक और कदम।
और ना उन्हें चलाने के लिए हमें बेतहाशा बिजली और ऊर्जा की जरूरत थी यह बात आज से पौने साल पुरानी है मशीनों ने हमारी जिंदगी को बड़ी तेजी से आगे बढ़ाया
लेकिन इसकी कीमत हमारे पर्यावरण ने चुकाई हमने दशकों तक अंधा धुंद कच्चा तेल प्राकृतिक गैस और कोयला जलाया इससे हमें ऊर्जा तो मिली लेकिन हमारे पर्यावरण में बहुत ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड जमा हो गई इसीलिए आज हम जलवायु संकट से घिरे हैं वैज्ञानिकों का कहना कि पिछले साल पूरी दुनिया का जो तापमान था वो उसे संभवतः बीते 1 लाख साल में सबसे गर्म साल बनाता है
और लगता नहीं है कि तापमान बढ़ने का यह सिलसिला थमने वाला है इस साल ऐसे और भी रिकॉर्ड देखने को मिल सकते हैं जलवायु परिवर्तन को लेकर आज दुनिया भर में बड़ी बहस छिड़ी है लेकिन इसे रोकने के लिए जिस सहमति और प्रभावी कदमों की जरूरत है
क्यू उन्हें लेकर अब भी एक राय नहीं दिखाई पड़ती फरवरी 2024 में महासागरों के तापमान ने नया रिकॉर्ड कायम किया इस दौरान दुनिया में समुद्र की सतह का औसत तापमान 21.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया
इससे पिछला रिकॉर्ड 20.9 डिग्री सेल्सियस का था जो अगस्त 2023 में बना महासागर जितने गर्म होंगे उतने जोरदार तूफान आएंगे बढ़ते तापमान की मार समुंद्री जीवों की बहुत सी प्रजातियां झेल रही हैं मछलियां अपने बसेरों से उजड़ रही हैं खत्म हो रही हैं
2024 विनाश की तरफ एक और कदम।
जो कि इंसानों के खाने का एक बड़ा आधार है मूंगा चट्टानों पर भी बहुत बुरा असर हो रहा है कुल मिलाकर बढ़ते तापमान से समुद्री इकोसिस्टम तहस नहस हो रहा है
और सबसे बड़ी बात जलवायु परिवर्तन की वजह से जो गर्मी पैदा होती है उसमें से 90 फीसद गर्मी को महासागर ही सोखते हैं पृथ्वी का दो तिहाई हिस्सा पानी से ढका है इसीलिए महासागरों और उनके इकोसिस्टम में जो भी बदलाव आएंगे उनका सीधा असर इस पूरे ग्रह पर होगा
इसके बाशिंदों पर होगा चाहे वह सागर की गहराइयों में रहने वाले जीव हो या फिर जंगलों में मौजूद जानवर या फिर हम इंसान जिनकी वजह से दरअसल यह धरती आज संकट झेल रही है यूरोपीय संघ की जलवायु परिवर्तन एजेंसी के पास 1979 से महासागरों की सतह के तापमान का रिकॉर्ड मौजूद है
और इसके मुताबिक फरवरी 2024 में यह तापमान 21.6 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचा महासागर जितने गर्म होंगे उतनी ज्यादा नमी हमारे वातावरण में बढ़ेगी इससे मौसम में और ज्यादा बदलाव आएंगे हवाएं तेज होंगी तूफान आएंगे पहले से ज्यादा बारिश होगी और जितना गर्म होता है उतना ज्यादा फैलता है नासा का अनुमान है कि समुद्र के बढ़ते जलस्तर की एक अहम वजह महासागरों का तापमान बढ़ना भी है
जलवायु परिवर्तन की वजह से जितने बदलाव जमीन पर होंगे उतने ही या शायद उससे ज्यादा बदलाव समुद्र के भीतर हमें नजर आएंगे जलीय जीवों के जीवन का पैटर्न बदल जाएगा यानी उनके खाने उनके रहने और प्रजनन के तौर तरीके बदल जाएंगे जो जीव महासागर की बदली परिस्थितियों से तालमेल नहीं बिठा पाएंगे
वह हमेशा के लिए खत्म हो सकते हैं इस तरह बढ़ता तापमान बहुत सी प्रजातियों के खात्मे की रफ्तार को तेज कर सकता है
यह पृथ्वी और इस पर मौजूद जीवन संतुलन की नाजुक डोर से बंधे हुए हैं और अगर यह संतुलन गड़बड़ होता है तो इसका असर कहीं ना कहीं हमारे पूरे परिवेश पर
होगा 2015 के पेरिस जलवायु सम्मेलन के दौरान जब दुनिया भर के देश इस बात पर राजी हुए कि पृथ्वी के तापमान में हो रही वृद्धि को रोकना है तो इसे बहुत बड़ी उपलब्धि माना गया तब से जलवायु संकट में यह एक तरह से दहलीज बन गई है जिसके पार नहीं जाना है
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क्योंकि इसके पार जो दुनिया है उसमें पहले से ज्यादा आपदाएं संकट और विपत्तियां होंगी लेकिन हम इस दहलीज तक आ पहुंचे हैं और कुछ अनुमान तो कहते हैं कि यह दहलीज हमने पार भी कर ली है इसीलिए आज कहीं लोग पानी को तरस रहे हैं कहीं खाने का संकट है और कहीं बेमौसम बारिश और बाढ़ सब कुछ चौपट कर रही हैं
और कहीं जंगलों की आग बेलगाम हो रही है आपकी नजर में जलवायु परिवर्तन से निपटने का सबसे अच्छा तरीका क्या है हमें जरूर बताइए कमेंट बॉक्स में तो आज इतना ही होगी आपसे जल्द मुलाकात अपना ध्यान रखें आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
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